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ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह: अजमेर का ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर

ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह: अजमेर का ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर

शोभना शर्मा । ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह, राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसे ‘दरगाह अजमेर शरीफ’ के नाम से भी जाना जाता है। यह दरगाह भारत में इस्लामिक संस्कृति और धार्मिक एकता का प्रतीक मानी जाती है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह मक्का के बाद दूसरा सबसे पवित्र स्थल है, इसलिए इसे ‘भारत का मक्का’ भी कहा जाता है।

निर्माण और इतिहास

दरगाह का निर्माण 1143-1233 ई. के दौरान किया गया था। यह अजमेर के तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित है और मजहबी आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। सन 1464 ई. में मांडू के सुल्तान ग़यासुद्दीन ख़िलजी ने इसे पक्का करवाया था। मुग़ल सम्राट अकबर ने 1570 ई. में ‘अकबरी मस्जिद’, ‘बुलंद दरवाज़ा’, और ‘महफिलखाना’ का निर्माण करवाया। दरगाह का विस्तार शाहजहाँ और जहाँआरा बेगम के समय में भी हुआ, जिनकी बनवाई हुई ‘बेगमी दालान’ यहाँ के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

वास्तुकला और संरचना

ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह की वास्तुकला में ईरानी और हिन्दुस्तानी शैलियों का अद्भुत मिश्रण देखा जा सकता है। इसका प्रवेश द्वार और गुंबद अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध हैं। दरगाह के अंदर एक चाँदी का कटघरा है, जो जयपुर के महाराजा राजा जयसिंह द्वारा बनवाया गया था। इस कटघरे के अंदर ख़्वाजा साहब की मज़ार स्थित है। दरगाह में एक महफिल खाना भी है, जहाँ कव्वाली गाई जाती है।

धार्मिक सद्‍भाव और उर्स पर्व

ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह धार्मिक सद्‍भाव का प्रतीक है। यहाँ हर धर्म और जाति के लोग अपनी मन्नतें मांगने और पूरी होने पर धन्यवाद देने के लिए आते हैं। उर्स पर्व यहाँ का मुख्य धार्मिक आयोजन है, जो इस्लामी कैलेंडर के रज्जब माह की पहली से छठी तारीख तक मनाया जाता है। इस अवसर पर दरगाह में विशेष चादर चढ़ाई जाती है और कव्वालियाँ गाई जाती हैं।

बड़ी देग और छोटी देग की विशेषता

अजमेर शरीफ दरगाह में दो प्रमुख देगें हैं – ‘बड़ी देग’ और ‘छोटी देग’। बड़ी देग जहाँगीर द्वारा पेश की गई थी, जबकि छोटी देग अकबर ने। इन देगों में मीठे चावल पकाए जाते हैं, जिन्हें ‘ज़रदा’ कहा जाता है। ज़रदा तैयार करने के लिए चावल में ज़ाफ़रान, मेवा, घी और शक्कर का उपयोग होता है। यह देगें खास मन्नतें पूरी होने पर चढ़ाई जाती हैं और इनका प्रसाद गरीबों में बांटा जाता है।

दरगाह की विशिष्टताएँ

ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में सफेद संगमरमर से बनी शाहजहानी मस्जिद, बारीक कारीगरी युक्त बेगमी दालान, और जन्नती दरवाजा जैसी संरचनाएँ हैं। यहाँ हर वर्ष लाखों की संख्या में जायरीन आते हैं, जो ख़्वाजा साहब की पुण्य तिथि पर आयोजित उर्स में भाग लेते हैं।

दरगाह शरीफ न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है। इसके धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण यह अजमेर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। अगर आप राजस्थान घूमने आते हैं, तो इस पवित्र स्थल की यात्रा अवश्य करें।

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