मनीषा शर्मा। राजस्थान में हुए वरिष्ठ अध्यापक भर्ती पेपर लीक मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए कोर्ट ने इस घोटाले के मुख्य सरगना सुरेश ढाका को भगोड़ा घोषित कर दिया है। यह फैसला उदयपुर के सुखेर थाने में दर्ज एक मामले के तहत लिया गया, जिसमें सुरेश ढाका के खिलाफ पहले ही कुर्की की कार्रवाई की जा चुकी है। कोर्ट ने सुरेश ढाका की गिरफ्तारी के लिए 37 पुलिस एक्ट के तहत वारंट जारी किया था। पुलिस की काफी कोशिशों के बावजूद ढाका अब तक फरार है, और इसके निकट भविष्य में मिलने की संभावना भी कम है। इसी के चलते कोर्ट ने उसे कानूनी रूप से भगोड़ा घोषित कर दिया है।
पेपर लीक मामले की गंभीरता
वरिष्ठ अध्यापक भर्ती पेपर लीक मामला राजस्थान में शिक्षा क्षेत्र को हिला देने वाला एक बड़ा घोटाला माना जा रहा है। इस मामले में भर्ती परीक्षा के पेपर को लीक कर हजारों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में डाल दिया गया। उदयपुर के सुखेर थाने में यह मामला दर्ज किया गया था, जहां जांच के दौरान सामने आया कि सुरेश ढाका इस गिरोह का मुख्य सरगना है। इस केस को लेकर उदयपुर के बेकरिया थाने में भी एक अन्य प्रकरण दर्ज है।
सुरेश ढाका के खिलाफ पहले से कुर्की की कार्रवाई
पेपर लीक के इस मामले में मुख्य सरगना सुरेश ढाका के खिलाफ पहले ही कुर्की की कार्रवाई की जा चुकी है। कुर्की की इस कार्रवाई के तहत सुरेश ढाका की संपत्ति को सीज करने का आदेश दिया गया था ताकि उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, इसके बाद भी ढाका फरार है, और उसे पकड़ने में पुलिस अब तक नाकाम रही है।
इश्तहार जारी करने का कोर्ट का आदेश
कोर्ट द्वारा भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद अब सुरेश ढाका के खिलाफ इश्तहार जारी किया जाएगा। इश्तहार जारी होने का मतलब है कि कोर्ट अब जनता को इस मामले में जागरूक करेगी ताकि आरोपी को पकड़ने में सहायता मिल सके। इसके साथ ही इस केस में फरार चल रहे अन्य आरोपियों जैसे सुरेश बिश्नोई, प्रदीप खींचड़, नेतराम कलबी, और जोगेंद्र को भी कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया है।
पेपर लीक गिरोह का विस्तार और समाज पर असर
पेपर लीक गिरोह का राजस्थान में खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है, और यह मामला केवल एक परीक्षा तक सीमित नहीं है। शिक्षा क्षेत्र में लगातार इस तरह की घटनाओं ने न सिर्फ विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में डाला है बल्कि समाज में सरकारी भर्ती परीक्षाओं पर से भी विश्वास उठता जा रहा है। सुरेश ढाका जैसे संगठित गिरोह शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं, जहां पैसा और सिफारिश के बल पर परीक्षा के नतीजे प्रभावित किए जा सकते हैं।
एसओजी का विशेष प्रयास
इस मामले में राजस्थान पुलिस के एसओजी (विशेष कार्य बल) ने विशेष लोक अभियोजक भंवर सिंह चौहान की ओर से कोर्ट में पेश होकर सुरेश ढाका को भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी। एसओजी की टीम लगातार इस केस में गहराई से जांच कर रही है और यह सुनिश्चित करने में लगी है कि आरोपी पकड़े जाएं। भंवर सिंह चौहान ने कोर्ट को बताया कि ढाका लंबे समय से फरार चल रहा है और पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद उसे पकड़ने में कामयाबी नहीं मिल रही है। कोर्ट ने एसओजी की इस दलील को स्वीकार करते हुए सुरेश ढाका को भगोड़ा घोषित कर दिया।
आगे की कार्रवाई और संभावित परिणाम
अब जब सुरेश ढाका भगोड़ा घोषित हो चुका है, तो पुलिस इस मामले में और अधिक सख्ती के साथ उसकी तलाश करेगी। इश्तहार जारी होने के बाद लोगों को सुरेश ढाका की पहचान और उसके खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी मिल सकेगी। इससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और पुलिस को ढाका की लोकेशन का पता लगाने में भी सहायता मिल सकती है।
इस कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि कानून व्यवस्था में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। राजस्थान में यह केस विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक सीख है कि भ्रष्टाचार और अनुचित साधनों के माध्यम से सफलता पाने की कोशिशें कभी भी समाज और व्यक्तिगत जीवन पर अच्छा प्रभाव नहीं डालती हैं।
इस पूरे मामले से यह भी साफ होता है कि आने वाले समय में राज्य सरकार शिक्षा प्रणाली में और भी कठोर नियमों को लागू कर सकती है, ताकि ऐसे पेपर लीक के मामलों पर रोक लगाई जा सके।