शोभना शर्मा । किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक 5 प्राचीन मंदिरों का समूह है। यह मंदिर समूह अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला और रहस्यमयी कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। किराडू मंदिरों को “राजस्थान का खजुराहो” भी कहा जाता है क्योंकि यहां की मूर्तिकला और स्थापत्य कला खजुराहो के मंदिरों से मिलती-जुलती है।
इतिहास:
मंदिरों का निर्माण 11वीं और 12वीं शताब्दी के बीच परमार राजवंश द्वारा करवाया गया था। इन मंदिरों को भगवान शिव, विष्णु और देवी पार्वती को समर्पित किया गया है। यह माना जाता है कि ये मंदिर एक प्राचीन शहर का हिस्सा थे जो धीरे-धीरे रेत में समा गया। इस क्षेत्र का प्राचीन नाम ‘किराट कूप’ था, जो बाद में ‘किराडू’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से मालवा और गुर्जर-प्रतिहार शैली में किया गया है।
वास्तुकला:
किराडू मंदिर समूह में मुख्यतः पाँच मंदिर शामिल हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख ‘सोमेश्वर मंदिर’ है। मंदिरों की दीवारों पर अत्यंत सुंदर और जटिल नक्काशी की गई है, जिनमें देवी-देवताओं, अप्सराओं, नृत्य करते हुए पुरुषों और महिलाओं, और विभिन्न धार्मिक दृश्यों का चित्रण है। मूर्तियों को कामुक मुद्राओं में दर्शाया गया है, जो खजुराहो मंदिरों के समान है। मूर्तियों की नक्काशी इतनी बारीकी से की गई है कि यह जीवंत प्रतीत होती हैं। मंदिरों की संरचना में गुंबद, मंडप और गर्भगृह शामिल हैं। मंदिरों को नागर शैली में बनाया गया है, जो ऊंचे शिखरों और जटिल नक्काशीदार मूर्तियों की विशेषता है।
रहस्य:
किराडू मंदिर कई रहस्यों और किंवदंतियों से जुड़े हुए हैं। किराडू मंदिरों के बारे में एक प्रसिद्ध किवदंती है कि एक संत ने इस क्षेत्र को श्राप दिया था, जिसके कारण यहाँ की बस्ती उजड़ गई और लोग इसे छोड़कर चले गए। कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद यहाँ रुकने वाला कोई भी व्यक्ति पत्थर का बन जाता है। इस रहस्य और किवदंती के कारण स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद इन मंदिरों के पास जाने से कतराते हैं। अन्य लोगों का मानना है कि मंदिरों में खजाना छिपा हुआ है। राजस्थान सरकार ने भी शाम ढलने के बाद इस मंदिर में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
किराडू मंदिर कैसे पहुंचें:
किराडू मंदिर की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का महीना सबसे अच्छा है। गर्मियों में तापमान बहुत अधिक होता है, और मानसून के दौरान भारी बारिश होती है। किराडू मंदिर बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर स्थित है। आप सड़क मार्ग या रेल मार्ग से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर में है।
किराडू मंदिर अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला, समृद्ध इतिहास और रहस्यमयी कथाओं के कारण एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां की यात्रा आपको भारतीय संस्कृति और वास्तुकला की गहराइयों से परिचित कराएगी ।