शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में अपने तीखे बयानों और सक्रियता के लिए चर्चित कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने एक बार फिर से मंत्री पद छोड़ने की इच्छा जाहिर कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। रविवार को दौसा जिले के लालसोट में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने वैराग्य की बात कहते हुए यह संकेत दिया कि वे अब मंत्री पद पर बने रहना नहीं चाहते। उनके इस बयान को सियासी हलकों में कई तरह से देखा जा रहा है।
लालसोट कार्यक्रम में दिया बयान
रविवार को लालसोट में आयोजित एक कार्यक्रम में किरोड़ी लाल मीणा ने कहा, “मैं तो रहना ही नहीं चाहता। मेरे गले में जो घंटारी लटका रखी है, वह इनके (लालसोट विधायक रामबिलास मीणा) गले में लटक जाए। ममता कुलकर्णी को वैराग्य हो गया, मुझे भी वैराग्य हो जाए तो रामबिलास को और भी रास्ता मिल जाएगा।” इस बयान ने तुरंत ही चर्चा का विषय बना लिया और इसे मंत्री पद छोड़ने की उनकी इच्छा के रूप में देखा गया।
लोकसभा चुनाव के बाद इस्तीफे की पेशकश
यह पहली बार नहीं है जब किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई हो। इससे पहले, 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने बीजेपी की 7 सीटों में से 4 सीटें हारने की जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उनका इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं किया गया है। तब भी उन्होंने कहा था कि अगर वे हार की जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तो यह नैतिकता के खिलाफ होगा।
कैबिनेट विस्तार की चर्चा को दी हवा
राजस्थान में लंबे समय से कैबिनेट विस्तार की अटकलें लगाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हाल ही में दिल्ली जाकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में किरोड़ी लाल मीणा का यह बयान कैबिनेट विस्तार की चर्चा को और तेज कर गया है।
लालसोट विधायक पर जताया भरोसा
कार्यक्रम में किरोड़ी लाल मीणा ने लालसोट विधायक रामबिलास मीणा की तारीफ करते हुए कहा कि जनता को एक अच्छा विधायक मिला है। उन्होंने कहा कि अगर उनका मंत्री पद किसी और को सौंपा जाता है, तो यह और बेहतर होगा। इस तरह, उन्होंने अपने बयान में न केवल वैराग्य की भावना को व्यक्त किया, बल्कि एक बार फिर मंत्री पद छोड़ने की मंशा साफ कर दी।
वैराग्य की बात और सियासी मायने
किरोड़ी लाल मीणा ने अपने बयान में वैराग्य की बात कहकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। ममता कुलकर्णी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर वे राजनीति से दूर हो जाएं, तो यह अन्य नेताओं के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। उनके इस बयान को उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक दृष्टिकोण के बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
दौसा की राजनीति और किरोड़ी लाल की पकड़
दौसा जिला राजस्थान की राजनीति में हमेशा से अहम रहा है, और किरोड़ी लाल मीणा की यहां मजबूत पकड़ मानी जाती है। लोकसभा चुनावों में दौसा सीट पर बीजेपी की हार के बाद उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने का ऐलान किया था। हालांकि, इस सीट पर उनकी पकड़ अभी भी कायम है, और उनके समर्थकों का मानना है कि उनकी सक्रियता पार्टी के लिए फायदेमंद है।
इस्तीफा अब तक क्यों नहीं हुआ स्वीकार?
किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा 4 जुलाई को दिया गया था, लेकिन आज तक इसे स्वीकार नहीं किया गया। जानकारों का मानना है कि बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों और कैबिनेट विस्तार की जटिलताओं के चलते ऐसा हुआ। हालांकि, वे अब भी कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने दायित्व निभा रहे हैं और सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।
सियासी अटकलों का बाजार गर्म
किरोड़ी लाल मीणा के इस बयान ने एक बार फिर से राजस्थान की राजनीति में सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है। क्या उनका यह बयान केवल एक संकेत है, या वे वास्तव में मंत्री पद छोड़ने का इरादा रखते हैं? यह सवाल बीजेपी के अंदर और बाहर चर्चा का विषय बना हुआ है।