शोभना शर्मा। राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में हुई हिंसा ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। इस मामले में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा बुधवार को जिला जेल में बंद नरेश मीणा और अन्य लोगों से मिलने पहुंचे। उनकी इस मुलाकात ने राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे दी है।
लोगों के बीच सवाल उठ रहे हैं कि किरोड़ी लाल मीणा किसे न्याय दिलाने की कोशिश कर रहे हैं—समरावता गांव के ग्रामीणों को या जेल में बंद नरेश मीणा और उनके साथियों को?
किरोड़ी लाल मीणा का जेल दौरा और परिजनों की मुलाकात
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा बुधवार को टोंक जिला कारागार पहुंचे। यहां उन्होंने जेल में बंद लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं।
परिजनों की शिकायतें:
परिजनों ने बताया कि आधार कार्ड की कॉपी देने के बावजूद दो-तीन दिनों से मुलाकात की अनुमति नहीं मिली है। इसके बाद किरोड़ी मीणा ने खुद परिजनों को जेल के भीतर लेकर जाकर मुलाकात करवाई।
नरेश मीणा से मुलाकात: पुलिस की भूमिका पर सवाल
किरोड़ी लाल मीणा ने जेल में नरेश मीणा से मुलाकात की। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने हिरासत में बंद लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया है, तो वह मुख्यमंत्री से मिलकर शिकायत करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा,
“इस देश में कानून का पालन हर किसी को करना चाहिए। किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है।”
टोक हिंसा: प्रशासनिक फेलियर पर निशाना
समरावता गांव में हुई हिंसा को लेकर किरोड़ी मीणा ने पहले भी प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि पुलिस और प्रशासन की कुछ गलतियां भी इस हिंसा का कारण हो सकती हैं।
उनका बयान,
“ताली दोनों हाथों से बजती है। पुलिस को बल प्रयोग से बचना चाहिए था।”
सियासी मायने: ग्रामीणों या नरेश के पक्ष में?
किरोड़ी लाल मीणा की यह पहल कई सियासी मायने रखती है। एक तरफ वे सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपने समाज का पक्ष भी मजबूती से रख रहे हैं।
यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी प्राथमिकता ग्रामीणों को न्याय दिलाना है या फिर नरेश मीणा और उनके साथियों को। हालांकि, उन्होंने निर्दोष लोगों की जमानत के लिए कोर्ट जाने की बात कही है।
टोंक हिंसा का घटनाक्रम
समरावता गांव में पुलिस ने जिला कलेक्टर की सहमति के बाद नरेश मीणा को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। सीएम से फोन पर बातचीत के बाद पुलिस गांव पहुंची। लेकिन यह प्रयास हिंसा में बदल गया।
घटना के बाद से ही इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। किरोड़ी लाल मीणा ने इसे प्रशासनिक फेलियर करार दिया।
किरोड़ी मीणा के बयान का असर
किरोड़ी मीणा के जेल दौरे और उनके बयानों ने टोंक पुलिस पर दबाव बढ़ा दिया है। उनके सख्त रुख से यह साफ है कि वह न केवल न्याय के लिए प्रयासरत हैं, बल्कि सरकार और समाज के बीच संतुलन बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं।