मनीषा शर्मा। राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने एक शायराना अंदाज में अपने विरोधियों पर सियासी हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर दो पोस्ट किए, जिनमें इशारों में राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। हालांकि किरोड़ी ने इन पोस्ट्स में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों से ऐसा प्रतीत होता है कि उनका निशाना उनकी ही पार्टी के नेताओं और उनके खिलाफ चल रहे राजनीतिक विवादों पर था। मीणा ने अपनी शायरी के माध्यम से अपनी नाराजगी व्यक्त की और अपने विरोधियों को आड़े हाथों लिया।
किरोड़ी की शायरी में कड़ा संदेश था, जो उनकी अंदरूनी राजनीति में निराशा और गुस्से की स्थिति को दर्शाता है। किरोड़ी ने लिखा था, “खेला हूं मैं सदा आग से, अंगारों के गांव में। मैं पलता-फलता आया जहरीली फुफकारों की छांव में। इतने कांटे चुभे कि तलवे मेरे छलनी हो गए। चलने का है जोश भला, फिर भी मेरे पांवों में। बहुत है बढ़िया कि मुझे मार दे, नहीं मौत में दम इतना। कब्र-मजारों की औकात है क्या? सूरज मुझसे आंख मिलाते घबराता है, चांद-सितारों की औकात है क्या?” इस शायरी में किरोड़ी ने अपने राजनीतिक जीवन की मुश्किलों का जिक्र किया और यह संकेत दिया कि उन्हें लगातार संघर्ष और विरोध का सामना करना पड़ा है।
किरोड़ी की इस तल्खी के पीछे उनके भाई की हार और बीजेपी के अंदरूनी राजनीतिक विवादों का हाथ माना जा रहा है। दरअसल, हाल ही में दौसा उपचुनाव में उनके भाई जगमोहन मीणा की हार हुई थी, जिसके बाद किरोड़ी ने अपनी पार्टी के कुछ नेताओं पर भितरघात का आरोप लगाया था। इसके बाद से ही बीजेपी के अंदर इस विषय को लेकर तनाव बढ़ गया है। किरोड़ी ने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हुए पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें अपनी नाराजगी का इज़हार किया।
किरोड़ी की नाराजगी और उपचुनाव की हार
किरोड़ी लाल मीणा की नाराजगी के प्रमुख कारणों में उनके भाई की हार और बीजेपी के अंदर की सियासत शामिल है। दौसा उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर उनके भाई जगमोहन मीणा मैदान में थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मीणा ने अपनी हार के लिए पार्टी के भीतर के कुछ नेताओं पर आरोप लगाया, जो उनके अनुसार उनके भाई के चुनाव प्रचार में पूरी तरह से सहायक नहीं थे। इस हार के बाद किरोड़ी ने बीजेपी नेताओं के एक गुट से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि पार्टी के कुछ नेताओं ने चुनाव के दौरान उनके भाई को सहयोग नहीं दिया और इसे हार का कारण बताया। इसके बाद से किरोड़ी ने बीजेपी के अंदर की राजनीति में एक अलग ही मुहिम शुरू की, जिसमें उन्होंने अपनी बात को शायरी के माध्यम से ज्यादा प्रभावशाली तरीके से व्यक्त किया। किरोड़ी का शायरी के माध्यम से विरोधियों पर हमला एक तरह से उनके गुस्से और निराशा को दर्शाता है। इस शायराना अंदाज में किए गए बयान ने पार्टी के भीतर एक नई चर्चा को जन्म दिया, क्योंकि इससे यह भी संकेत मिला कि किरोड़ी अब बीजेपी के कुछ नेताओं से खासे नाराज हैं।
शंकरलाल शर्मा का बयान और रावण की तुलना
बीजेपी नेता और दौसा के पूर्व विधायक शंकरलाल शर्मा ने भी किरोड़ी की बयानबाजी पर पलटवार किया। उन्होंने किरोड़ी की शायरी के जवाब में कहा कि हार को पचाने का माद्दा हर किसी में नहीं होता। शंकरलाल शर्मा ने यह भी कहा कि किरोड़ी अपनी हार को दौसा की जनता पर आरोपित कर रहे हैं, जबकि उन्हें तो उन लोगों का धन्यवाद देना चाहिए था जिन्होंने उनकी मदद की। शर्मा ने कहा कि किरोड़ी ने साधु बनकर वोटों की भीख मांगी, और इसे रावण के सीता हरण से जोड़ते हुए कहा कि जैसे रावण साधु वेश में सीता को ले गया, वैसे ही किरोड़ी ने भी वोटों की भीख मांगी और वह हार गए। यह बयान बीजेपी के अंदरूनी मतभेदों को उजागर करता है, क्योंकि इस विवाद के बाद शंकरलाल शर्मा ने यह भी कहा कि उन्हें चुनाव प्रचार में नहीं बुलाया गया था। शर्मा ने कहा था कि “बिन बुलाए तो भगवान के भी नहीं जाते,” यह वाक्य साफ तौर पर किरोड़ी और उनके भाई की हार के लिए पार्टी के भीतर की असहमति को दिखाता है।
किरोड़ी का इस्तीफा और फिर नाराजगी
किरोड़ी लाल मीणा की नाराजगी का एक और उदाहरण उनके मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सामने आया था। दौसा सीट पर बीजेपी की हार के बाद किरोड़ी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि जिस क्षेत्र में उन्होंने अपना जीवन भर काम किया और जहां की जनता ने उन्हें समर्थन नहीं दिया, वहां से वह मंत्री पद पर बने नहीं रह सकते थे। बाद में, कुछ समझौते हुए और उन्हें मंत्री पद पर वापस लिया गया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे विधायक के नाते ही कैबिनेट बैठकों में आए थे। इस्तीफे और फिर से मंत्री पद पर लौटने के बाद भी किरोड़ी की नाराजगी कम नहीं हुई। उनके लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन गया कि पार्टी ने उन्हें मंत्री पद से हटाया और फिर बाद में वापस लिया, जबकि उनके भाई की हार भी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी थी।
किरोड़ी की शायरी और बीजेपी की सियासी दिशा
किरोड़ी लाल मीणा का शायराना अंदाज अब पार्टी के भीतर के नेताओं के लिए एक संकेत बन चुका है। उनके बयान से यह साफ है कि वह बीजेपी के कुछ नेताओं से नाखुश हैं और उनकी नाराजगी चुनाव परिणामों और पार्टी की रणनीतियों से जुड़ी हुई है। शायरी के माध्यम से उन्होंने यह संकेत दिया है कि वह अपनी राजनीतिक यात्रा में कई मुश्किलों और चुनौतियों का सामना कर चुके हैं, और अब वे अपनी बात को सार्वजनिक रूप से रखने से पीछे नहीं हटते। बीजेपी के अंदर जो गुटबाजी और अंदरूनी तनाव है, वह किरोड़ी के बयानों में साफ नजर आता है। उन्होंने अपनी शायरी के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं और जो भी पार्टी के अंदर उनके खिलाफ काम कर रहे हैं, उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।