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राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा के बयानों से सियासी हलचल तेज

राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा के बयानों से सियासी हलचल तेज

शोभना शर्मा।  राजस्थान सरकार के कृषि और आपदा मंत्री किरोड़ी लाल मीणा इन दिनों अपने तीखे बयानों और सरकार पर उठाए सवालों के कारण चर्चा में हैं। अपने मंत्री पद पर रहते हुए भी सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोलना किरोड़ी लाल मीणा के सियासी व्यक्तित्व को और खास बनाता है। पिछले 24 घंटों में उनके बयानों ने राज्य की राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। जहां एक ओर वह एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द कराने की मांग को लेकर युवाओं के समर्थन में खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर उन पर इनवेस्टमेंट समिट में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है। इस पूरे प्रकरण में उनके बयान “लड़ाई लड़ूंगा तो सीधी लड़ूंगा, छुरा नहीं घोंपता” ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरी हैं।

एसआई भर्ती परीक्षा 2021 विवाद और युवाओं के समर्थन में मीणा का रुख

राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को लेकर काफी विवाद रहा है। किरोड़ी लाल मीणा ने इस परीक्षा में कथित धांधली को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह परीक्षा रद्द की जानी चाहिए और छात्रों के हित में सरकार को पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। बुधवार रात का घटनाक्रम इस विवाद को और अधिक गंभीर बना गया। जब पुलिस ने परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले छात्रों के घर पर छापेमारी की, तो किरोड़ी लाल मीणा ने मौके पर पहुंचकर पुलिस को जमकर फटकार लगाई। रात 12 बजे उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि इस तरह की कार्रवाई छात्रों को डराने के लिए की जा रही है। मीणा ने युवाओं को लेकर यह भी कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो मैं हर स्तर पर उनकी लड़ाई लड़ने को तैयार हूं। मैं किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करूंगा।”

गृह राज्य मंत्री के घर पर प्रदर्शन

युवाओं के समर्थन में किरोड़ी लाल मीणा ने बुधवार को गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म के घर पर प्रदर्शन किया। उन्होंने मंत्री से मांग की कि परीक्षा रद्द की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। इस दौरान उन्होंने पुलिस और प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाए। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, “पुलिस को छात्रों के घर जाकर उन्हें डराने का हक किसने दिया? क्या यह लोकतंत्र है? क्या यह सरकार केवल ताकत के बल पर अपनी इच्छाएं थोपेगी?”

इनवेस्टमेंट समिट में विघ्न डालने का आरोप

एक अन्य विवाद में, किरोड़ी लाल मीणा पर राजस्थान की इनवेस्टमेंट समिट को बाधित करने का आरोप लगाया गया। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, मीणा समिट में बाधा डालने की योजना बना रहे थे। मीणा ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए इसे “शर्मनाक” बताया। उन्होंने कहा, “मैं मंत्री हूं और पार्टी का वफादार सिपाही भी। यह कैसे संभव है कि मैं अपनी ही पार्टी के खिलाफ ऐसा काम करूं? यह आरोप पूरी तरह से झूठा और राजनीति से प्रेरित है।” उन्होंने आगे कहा, “पार्टी मेरी मां है और भजनलाल मुखिया मेरे भाई जैसे हैं। मैं ऐसा गंदा काम कभी नहीं कर सकता। चाहे मैं मंत्री रहूं या ना रहूं, मैं अपनी पार्टी के खिलाफ साजिश रचने की सोच भी नहीं सकता।”

‘लड़ाई लड़ूंगा तो सीधी लड़ूंगा’: राणा प्रताप से तुलना

अपने बयानों में किरोड़ी लाल मीणा ने खुद को सीधे और सच्चे नेता के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा, “मैं लड़ाई लड़ूंगा तो सीधी लड़ूंगा, जैसे राणा प्रताप लड़ते थे। मैं छुरा नहीं घोंपता। जो भी करूंगा, खुले तौर पर करूंगा।” उन्होंने अपने बयान में दौसा की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उनके भाई पर हमला किया गया था, और इसे वह कभी नहीं भूल सकते।

राजनीतिक हलचल और विपक्ष की प्रतिक्रिया

मीणा के बयानों ने केवल उनकी पार्टी ही नहीं, बल्कि विपक्ष में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि किरोड़ी लाल मीणा जनता के मुद्दों को सही तरीके से उठा रहे हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। पायलट ने कहा, “राज्य सरकार को एसआई भर्ती परीक्षा पर पारदर्शी जांच करनी चाहिए। किरोड़ी लाल मीणा सही मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।”

मीणा का व्यक्तित्व: “बाबा” के नाम से मशहूर

राजनीति में “बाबा” के नाम से मशहूर किरोड़ी लाल मीणा का व्यक्तित्व हमेशा से विवादों और चर्चाओं के केंद्र में रहा है। अपने सटीक और बेबाक बयानों के लिए जाने जाने वाले मीणा, युवाओं और गरीबों के अधिकारों के लिए खड़े होने वाले नेता के रूप में देखे जाते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि वह बिना किसी डर के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं, चाहे वह सरकार के अंदर हो या बाहर।

राजस्थान की राजनीति में नई दिशा

किरोड़ी लाल मीणा के हालिया बयानों ने राजस्थान की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। उनके समर्थन में आए युवा और उनके तीखे बयान यह संकेत देते हैं कि वह पार्टी लाइन से हटकर भी जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि, इनवेस्टमेंट समिट में विघ्न डालने के आरोपों और सरकार पर उठाए गए सवालों ने उनकी छवि को और विवादित बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में उनके बयानों का राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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