राजस्थान की दौसा विधानसभा सीट (Dausa assembly seat) पर हो रहे उपचुनाव में सियासी पारा अपने चरम पर है। यह उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण बन गया है क्योंकि भाजपा से कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी मीणा (Kirori Meena) के भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस से सांसद मुरारीलाल मीणा (Murarilal Meena) के करीबी दीनदयाल बैरवा इस सीट पर आमने-सामने हैं। पहली बार एसटी और एससी प्रत्याशियों (ST and SC candidates) के बीच चुनाव होने से जातीय समीकरण दिलचस्प हो गए हैं, और सामान्य व ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
किरोड़ी मीणा और मुरारीलाल मीणा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
यह उपचुनाव किरोड़ी मीणा और मुरारीलाल मीणा के लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है। भाजपा के मंत्री किरोड़ी मीणा और कांग्रेस के सांसद मुरारीलाल मीणा दोनों ही इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। किरोड़ी मीणा लगातार अपने भाई जगमोहन के लिए प्रचार कर रहे हैं और इसे भाजपा व मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बता रहे हैं। वहीं मुरारीलाल मीणा इस चुनाव को कांग्रेस की प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में लगे हैं।
सीएम भजनलाल शर्मा और सचिन पायलट का रोड शो: मतदाताओं को साधने की कवायद
दौसा सीट पर दोनों दलों का प्रचार चरम पर है। रविवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का रोड शो दौसा शहर में आयोजित किया जाएगा। उनके रोड शो का उद्देश्य मुख्य रूप से सामान्य और ओबीसी मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में साधना है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने नामांकन सभा को संबोधित कर पार्टी के प्रति समर्थन जुटाने का प्रयास किया था। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी 10 नवंबर को कांग्रेस के पक्ष में जनसभा करेंगे।
सचिन पायलट के दौरे का उद्देश्य गुर्जर समुदाय के मतदाताओं को एकजुट करना है, जो इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं। सचिन पायलट की उपस्थिति से कांग्रेस को जातीय समीकरण साधने में मदद मिलने की उम्मीद है।
जातीय समीकरण: एसटी-एससी उम्मीदवारों के बीच मुकाबले में निर्णायक सामान्य और ओबीसी मतदाता
दौसा सीट पर इस बार का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है कि यहां एसटी और एससी प्रत्याशी आमने-सामने हैं। भाजपा के जगमोहन मीणा और कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा के बीच कड़ा मुकाबला है। हालांकि, इस मुकाबले में सामान्य और ओबीसी मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका में हो सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इस बात को भांपते हुए इन समुदायों को साधने के लिए अपनी रणनीति तैयार की है।
भाजपा ने जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को रोड शो के माध्यम से सामान्य मतदाताओं के समर्थन में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने गुर्जर समुदाय में लोकप्रिय नेता सचिन पायलट को प्रचार के लिए बुलाकर जातीय समीकरण को साधने का प्रयास किया है।
किरोड़ी मीणा का जनसंपर्क अभियान: मुख्यमंत्री के नाम पर समर्थन की अपील
किरोड़ी मीणा अपने भाई के पक्ष में प्रचार अभियान में जोर-शोर से लगे हुए हैं। हाल ही में भंडाना गांव में एक सभा के दौरान किरोड़ी मीणा ने कहा कि यह उपचुनाव उनकी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रतिष्ठा का सवाल है। किरोड़ी मीणा लगातार मतदाताओं से भाजपा को समर्थन देने की अपील कर रहे हैं और इसे विकास का चुनाव बता रहे हैं।
मुरारीलाल मीणा का समर्थन जुटाने का प्रयास: कांग्रेस की इमेज का सवाल
दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद मुरारीलाल मीणा इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर मतदाताओं से कांग्रेस के लिए समर्थन मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी दीनदयाल बैरवा को टिकट दिलाने में उन्होंने व्यक्तिगत भूमिका निभाई है, और अब वे चाहते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिले। मुरारीलाल मीणा ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि यह चुनाव कांग्रेस की इमेज का सवाल है, और भाजपा को हराकर उन्हें सबक सिखाना होगा।
भाजपा और कांग्रेस की रणनीति में जातीय समीकरण की भूमिका
दौसा सीट पर जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। भाजपा ने सामान्य और ओबीसी मतदाताओं पर जोर दिया है, जबकि कांग्रेस गुर्जर वोटर्स को एकजुट करने का प्रयास कर रही है। दोनों ही पार्टियों ने अपने मुख्य नेताओं को प्रचार में उतारा है ताकि अंतिम समय में जातीय वोट बैंक को अपने पक्ष में किया जा सके।
चुनाव प्रचार में प्रमुख मुद्दे: विकास, जातीय समीकरण और पारिवारिक प्रतिष्ठा
दौसा उपचुनाव में विकास के मुद्दे के साथ ही जातीय समीकरण और पारिवारिक प्रतिष्ठा का भी महत्वपूर्ण स्थान है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही विकास के वादे कर रही हैं, वहीं जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए वोटों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रही हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दौसा में बढ़ती सक्रियता से भाजपा ने इस चुनाव को एक प्रतिष्ठा का विषय बना दिया है। वहीं, सचिन पायलट की सक्रियता से कांग्रेस को भी उम्मीद है कि उन्हें गुर्जर और अन्य जातीय समुदायों का समर्थन मिलेगा।
दौसा उपचुनाव का परिणाम तय करेगा कि किसकी प्रतिष्ठा कायम रहती है
दौसा सीट का यह उपचुनाव न केवल भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है बल्कि किरोड़ी मीणा और मुरारीलाल मीणा के व्यक्तिगत सम्मान का भी मुद्दा बन गया है। दोनों ही पार्टियां अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में झोंक रही हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आम मतदाता किसे अपना समर्थन देते हैं।