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अजमेर में किसान रजिस्ट्री अभियान: जानें शिविरों का विस्तृत शेड्यूल

अजमेर में किसान रजिस्ट्री अभियान: जानें शिविरों का विस्तृत शेड्यूल

मनीषा शर्मा। अजमेर जिले में किसानों के लिए एक नया और महत्वपूर्ण पहल शुरू हो रही है, जिसका नाम है फार्मर रजिस्ट्री अभियान। यह अभियान राज्य सरकार द्वारा एग्री स्टैक योजना के तहत किसानों के लिए एक एकीकृत रजिस्ट्री बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इस पहल के अंतर्गत, किसानों को अपने आधार कार्ड के साथ-साथ भूमि संबंधी दस्तावेजों की नकल और आधार से जुड़े मोबाइल लाना अनिवार्य होगा। मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी के माध्यम से एग्री स्टैक की प्रक्रिया को अपडेट किया जाएगा, जिससे किसानों की डिजिटल पहचान मजबूत होगी और कृषि एवं संबंधित विभागों को एक मजबूत डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया जा सकेगा।

इस अभियान का आयोजन ग्राम पंचायत स्तर पर किया जा रहा है, ताकि प्रत्येक किसान तक आसानी से पहुँच बनाई जा सके। जिला कलेक्टर लोक बन्धु ने इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि यह अभियान किसानों को उनके अधिकारों एवं उपलब्ध सेवाओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कृषि विभाग, जो कि भारत सरकार द्वारा संचालित एग्री स्टैक योजना के अंतर्गत काम कर रहा है, ने इस पहल के माध्यम से किसानों के लिए व्यापक रजिस्ट्री तैयार करने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री द्वारा 13 दिसम्बर 2024 को सीकर जिले से इस योजना का शुभारंभ किया गया था, और अब राज्य सरकार ने पूरे राजस्थान में इसे लागू करने का निर्णय लेते हुए अजमेर जिले में भी इस अभियान को तेज गति से शुरू किया है।

अजमेर जिले में फार्मर रजिस्ट्री अभियान के तहत किसानों के लिए विभिन्न तिथियों पर कई शिविर लगाए जा रहे हैं, ताकि हर क्षेत्र के किसान बिना किसी दिक्कत के अपनी जानकारी अपडेट कर सकें। इस अभियान की शुरुआत 5 फरवरी से हो रही है और इसमें विभिन्न ग्राम पंचायतों में शिविर आयोजित किए जाएंगे। पहले चरण में, 5 से 7 फरवरी तक अजमेर की नारेली, अंराई के कटसूरा, भिनाय के धातोल, केकडी के सरसडी, किशनगढ़ के सिलोरा, नसीराबाद के फारकिया, पीसागंन के मकरेडा, पुष्कर के खोरी, रूपनगढ़ के मोतीपुरा, सरवाड के गोयला, सावर के गोरधा एवं टाटोटी के सराना में शिविर लगाए जाएंगे। इस अवधि में ग्रामीण किसान अपने आधार, जमीन के दस्तावेज और मोबाइल लेकर इन शिविरों में आएंगे, जहाँ उन्हें एग्री स्टैक के अंतर्गत रजिस्ट्री अपडेट करने में सहायता प्रदान की जाएगी।

इसके बाद, 10 से 12 फरवरी तक के दौरान अजमेर की अजयसर, अंराई की अंराई, भिनाय की बडगांव, केकडी की गुलगांव, किशनगढ़ की मालियों की बाडी, नसीराबाद की भवानीखेडा, पीसागंन की भगवानपुरा, पुष्कर की तिलोरा, रूपनगढ़ की अमरपुरा, सरवाड की शेरगढ, सावर की आलोली एवं टाटोटी की जोताया में शिविर आयोजित किए जाएंगे। इस चरण में भी किसानों को उनके दस्तावेज और आधार से जुड़े मोबाइल लेकर आने का निर्देश दिया गया है ताकि ओटीपी के माध्यम से उनकी जानकारी की पुष्टि की जा सके। इन शिविरों में किसानों को कृषि संबंधित अन्य सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी, जिससे उन्हें अपने कृषि कार्यों में डिजिटल सहायता मिल सके।

अगले चरण में, 11 से 13 फरवरी तक अजमेर के नरवर, भिनाय के भिनाय, केकडी के देवगांव, नसीराबाद के बिठूर, पीसागंन के बुधवाडा और सरवाड के हिगोनिया में शिविर लगाए जाएंगे। इस अवधि में भी किसान अपनी आवश्यक कागजी कार्रवाई लेकर इन शिविरों में उपस्थित होंगे और एग्री स्टैक प्रणाली में अपना पंजीकरण अपडेट कर सकेंगे। इस प्रकार के शिविरों का मुख्य उद्देश्य किसानों को डिजिटल आधार पर एक सशक्त पहचान प्रदान करना है, जिससे वे सरकारी योजनाओं और कृषि सेवाओं का लाभ उठा सकें।

12 से 14 फरवरी तक के शिविरों में अजमेर की तबीजी, अंराई की आकोडिया, भिनाय की बूबकिया, केकडी की भीमडावास, किशनगढ़ की डीडवाडा, नसीराबाद की देराठू, पीसागंन की भटसूरी, रूपनगढ़ की त्योद, सरवाड की भगवानपुरा एवं सावर की आमली में शिविर आयोजित किए जाएंगे। इस चरण में किसानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ-साथ आधार से जुड़े मोबाइल भी साथ लेकर आएं, ताकि ओटीपी के माध्यम से उनका रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरा हो सके।

अगले दिनांक में, 13 से 15 फरवरी तक, अजमेर की बीर, भिनाय की चांपानेरी, केकडी की भराई, नसीराबाद की ढाल, पीसागंन की पिचोलिया, पुष्कर की नांद एवं सरवाड की ताजपुरा में शिविर आयोजित किए जाएंगे। इन शिविरों के दौरान भी किसानों से अपेक्षा की गई है कि वे सभी जरूरी कागजात और मोबाइल लेकर आएं। ऐसा करने से एग्री स्टैक में उनकी जानकारी त्वरित एवं प्रभावी ढंग से अपडेट हो सकेगी, जिससे भविष्य में उन्हें कृषि से संबंधित सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।

फरवरी के मध्य में, 17 से 19 फरवरी तक, अजमेर की अरडका एवं डूमाडा, अंराई की छोटालाम्बा, भिनाय की छछून्दरा एवं बांदनवाडा, केकडी की जूनिया एवं बघेरा, किशनगढ़ की बांदरसिन्दरी, नसीराबाद की दिलवाडा एवं भटियानी, पीसागंन की बिडक्चियावास एवं रामपुरा डाबला, पुष्कर की कडेल, रूपनगढ़ की सुरसुरा, सरवाड की मनोहरपुरा एवं अरवड, सावर की बाजटा एवं पीपलाज तथा टाटोटी की कल्याणपुरा में शिविर लगाए जाएंगे। इस चरण का उद्देश्य क्षेत्रीय स्तर पर किसान रजिस्ट्री को सुदृढ़ करना है, ताकि हर किसान तक डिजिटल पंजीकरण की प्रक्रिया पहुंच सके।

फरवरी के अंत की ओर, 18 से 20 फरवरी तक के शिविरों में अजमेर की हाथीखेडा एवं मायापुर, अंराई की भामोलाव, भिनाय की देवलियाकलां एवं पडांगा, केकडी की कादेडा, किशनगढ़ की बरना एवं तिलोनिया, नसीराबाद की बाधसूरी एवं राजौसी, पीसागंन की दांतडा, रूपनगढ़ की कोटडी, सरवाड की भाटोलाव एवं बिडला एवं सावर की बाड का झौपड़ा में शिविर लगाए जाएंगे। इस दौरान भी, किसानों को अपनी पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आधार कार्ड, जमीन के दस्तावेजों और मोबाइल के माध्यम से ओटीपी सत्यापन की आवश्यकता होगी।

फरवरी के अगले चरण में, 19 से 21 फरवरी तक, अजमेर की रसूलपुरा एवं हटूण्डी, अंराई की भोगादित एवं मण्डावरिया, भिनाय की देवपुरा, केकडी की कणोज एवं कालेडा कृष्ण गोपाल, किशनगढ़ की काढा, नसीराबाद की झडवासा एवं रामसर, पीसागंन की डोडियाना, रूपनगढ़ की हरमाडा, सरवाड की बरोल एवं भगवन्तपुरा तथा सावर की भाडावास में शिविर आयोजित किए जाएंगे। इस व्यापक अभियान के अंतर्गत, किसानों को न केवल अपनी जानकारी अपडेट करने का अवसर मिलेगा, बल्कि उन्हें कृषि से संबंधित अन्य सेवाओं का भी लाभ उपलब्ध कराया जाएगा।

20 से 22 फरवरी तक, अजमेर की भूडोल एवं दोराई, भिनाय की बडली एवं पाडलिया, केकडी की खवास एवं पारा, नसीराबाद की साम्प्रोदा एवं जिलावडा, पीसागंन की गोला, पुष्कर की कानस, रूपनगढ़ की जाजोता तथा सरवाड की फतेहगढ एवं गोपालपुरा में शिविर लगाए जाएंगे। इस अवधि में भी, किसानों से अपेक्षा की गई है कि वे सभी आवश्यक दस्तावेज लेकर आएं ताकि उनका डिजिटल पंजीकरण निर्बाध रूप से संपन्न हो सके।

अगले चरण में, 27 फरवरी से 1 मार्च तक, अजमेर की उॅटडा एवं सेदरिया एवं बडल्या, अंराई की काकलवाडा एवं कालानाडा, भिनाय की एकलसिंगा एवं राममालिया, केकडी की कोहडा एवं निमोद, किशनगढ़ की सरगांव एवं पाटन, नसीराबाद की कानाखेडी एवं सनोद, पीसागंन की गोविन्दगढ एवं लामाना, रूपनगढ़ की भिलवाट एवं करकेडी तथा सरवाड की हरपुरा एवं जडाना एवं सावर की चीतावास एवं सदारा में शिविर लगाए जाएंगे। इस चरण में अभियान का दायरा काफी विस्तृत हो गया है, जिससे अधिक से अधिक किसान इस डिजिटल पहल का लाभ उठा सकेंगे।

मार्च महीने में भी इस अभियान की तेज़ी जारी रहेगी। 3 से 5 मार्च तक के शिविरों में, अजमेर की कायड एवं दांता, अंराई की दादिया एवं सान्दोलिया, भिनाय की गुढाखुर्द, केकडी की लसाडिया, किशनगढ़ की टिकावडा, नसीराबाद की कानपुरा, पीसागंन की जसवन्तपुरा एवं लीडी, पुष्कर की बांसेली, रूपनगढ़ की सिनोदिया एवं बुहारू, सरवाड की खीरिया एवं रामपाली, सावर की कालेडा कंवरजी एवं टाटोटी की केबानिया में शिविर लगाए जाएंगे। इस अवधि में भी किसान अपने दस्तावेजों और आधार से जुड़े मोबाइल के साथ शिविर में आकर पंजीकरण कर सकेंगे।

इसके बाद, 4 से 6 मार्च तक के शिविरों में अजमेर की गोडियावास एवं गंगवाना, अंराई की देवपुरी, भिनाय की कनेईकलां एवं राताकोट, केकडी की मानखण्ड एवं सलारी, किशनगढ़ की रलावता, नसीराबाद की लवेरा एवं श्रीनगर, पीसागंन की जेठाना एवं अलीपुरा, रूपनगढ़ की भदूण, सरवाड की सदापुरा एवं सापलां तथा सावर की घटियाली में शिविर आयोजित किए जाएंगे। इस चरण में किसानों को पंजीकरण के साथ-साथ कृषि से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपने खेतों में आधुनिक तकनीक एवं सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।

5 से 7 मार्च तक के शिविरों में, अजमेर की रामनेर ढाणी एवं माकडवाली, अंराई की ढसूक एवं सिरोंज, भिनाय की करांटी एवं कैरोट, केकडी की मोलकिया, किशनगढ़ की निम्बार्क तीर्थ, नसीराबाद की लोहरवाडा, पीसागंन की कालेसरा एवं मांगलियावास, रूपनगढ़ की रूपनगढ़, सरवाड की सातोलाव एवं डबरेला तथा सावर की गिरवरपुरा एवं सदारी में शिविर लगाए जाएंगे। इस अवधि में, किसान अपनी पुरानी जानकारी को अपडेट करवा सकेंगे और नए डेटा के आधार पर सरकारी लाभ योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम होंगे।

6 से 8 मार्च तक, अजमेर की गेगल एवं पालरा, भिनाय की कुम्हारिया, केकडी की प्रान्हेडा, नसीराबाद की मावशिया एवं तिहारी, पीसागंन की करनोस एवं नागेलाव, पुष्कर की गनाहेडा, रूपनगढ़ की नवां एवं नोसल तथा सरवाड की कासीर में शिविर लगाए जाएंगे। इस चरण में भी, किसानों को डिजिटल पंजीकरण प्रक्रिया के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी, ताकि वे आसानी से ऑनलाइन सिस्टम से जुड़ सकें और कृषि से संबंधित सेवाओं का लाभ उठा सकें।

10 से 12 मार्च तक के शिविरों में, अजमेर की सोमलपुर एवं चाचियावास एवं सराना, अंराई की झिरोता एवं गोठियाना, भिनाय की लामगरा एवं सिंगावल, केकडी की मेवदाकलां एवं मीणों का नया गांव, किशनगढ़ की कुचील एवं नलू, नसीराबाद की न्यारा एवं तिलाना, पीसागंन की केसरपुरा एवं पगारा, पुष्कर की देवनगर, रूपनगढ़ की पनेर एवं पिगंलोद, सरवाड की सूंपा एवं लल्लाई, सावर की कुशायता एवं टाकावास तथा टाटोटी की शोकलिया में शिविर आयोजित किए जाएंगे। इस चरण में, किसानों को उनकी डिजिटल पहचान सुनिश्चित करने हेतु नवीनतम तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।

अंत में, मार्च के अंतिम चरण में, 17 से 19 मार्च तक शिविरों का आयोजन अजमेर की घूघरा एवं भावता, भिनाय की नागोला एवं सोवडी, केकडी की नायकी एवं धून्धरी, किशनगढ़ की खातोली, नसीराबाद की राजगढ एवं नान्दला, पीसागंन की केसरपुरा मेवाडिया एवं पीसांगन, रूपनगढ़ की थल, सरवाड की अजगरा एवं बोराडा, सावर की मेहरूकलां एवं टाटोटी की चांदमा में किया जाएगा। साथ ही, 18 से 20 मार्च तक अजमेर की कायमपुरा एवं बूबानी, भिनाय की नांदसी, सरवाड की सुनारिया एवं स्यार में शिविर लगाए जाएंगे और अंत में 19 से 21 मार्च तक अजमेर की बबायचा एवं सराधना में शिविर आयोजित किए जाएंगे।

इस पूरे अभियान का उद्देश्य किसानों की डिजिटल पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना है ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं, ऋणों, बीमा योजनाओं और कृषि से संबंधित अन्य लाभों का समय पर एवं सही तरीके से लाभ मिल सके। किसानों को अपने क्षेत्रीय सेवा केंद्रों पर जाकर, ग्राम पंचायत स्तर पर निर्धारित शिविरों में अपनी पहचान, जमीन के कागजात एवं आधार से जुड़े मोबाइल के माध्यम से ओटीपी सत्यापन के पश्चात अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। यह प्रक्रिया न केवल उनकी जानकारी को अपडेट करेगी, बल्कि कृषि विभाग को भी एक विश्वसनीय एवं सशक्त डेटा बेस प्रदान करेगी जिससे राज्य में कृषि योजनाओं का कार्यान्वयन सुचारू रूप से हो सकेगा।

इस पहल के माध्यम से, किसानों को यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उनकी डिजिटल पहचान सुरक्षित रहे और उन्हें कृषि संबंधी सभी सेवाओं का लाभ मिल सके। जिले के अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस अभियान में आने वाले किसानों को आवश्यक जानकारी और सहायता उपलब्ध कराई जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या का समाधान तुरंत किया जा सके। इस प्रक्रिया में, गांव के स्तर पर प्रशिक्षण सत्र और कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा, जिससे किसान न केवल पंजीकरण कर सकें बल्कि आधुनिक कृषि तकनीकों और डिजिटल सेवाओं के बारे में भी जागरूक हो सकें।

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