मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा में अनुदान मांगों की बहस के दौरान पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और भाजपा विधायक श्रीचंद कृपलानी के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। कृपलानी ने कोटा चंबल रिवर फ्रंट परियोजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिना एनजीटी की अनुमति के बनाया गया था। जवाब में शांति धारीवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ‘सिर्फ आरोप लगाने से कुछ नहीं होता, अगर गड़बड़ी की है तो हमें पकड़ो और जांच करवाओ।’
‘एनजीटी की कोई जरूरत नहीं थी’ – धारीवाल
शांति धारीवाल ने बहस के दौरान कहा कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि 20 हजार स्क्वायर यार्ड से कम कवर्ड एरिया वाले प्रोजेक्ट्स के लिए इसकी अनिवार्यता नहीं होती। उन्होंने कहा, ‘हमारे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई, एनजीटी ने अपनी टीम भेजी, तीन दिन जांच हुई और रिपोर्ट में कहा गया कि परियोजना नियमों के तहत बनाई गई है।’ इसके साथ ही उन्होंने भाजपा के दावों पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘अगर भ्रष्टाचार किया गया है तो शिकायत करो, जांच करवाओ, सिर्फ हवा में आरोप मत लगाओ।’
भाजपा विधायक का आरोप – 1500 करोड़ का सफेद हाथी बना दिया
भाजपा विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि चंबल रिवर फ्रंट पर 1442 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन यह सिर्फ एक सफेद हाथी साबित हो रहा है। उनका कहना था कि इस परियोजना को बिना किसी आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘1500 करोड़ का प्रोजेक्ट हर महीने 2 करोड़ रुपये मेंटेनेंस पर खर्च कर रहा है’ और यह जनता के पैसे की बर्बादी है।
कोटा में विकास के नाम पर भेदभाव?
विधायक संदीप शर्मा ने पूर्व मंत्री शांति धारीवाल पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘धारीवाल पूरे राजस्थान के मंत्री थे, लेकिन उनकी प्राथमिकता सिर्फ कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रही।’ उन्होंने कहा, ‘कोटा दक्षिण की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरसती रही, लेकिन धारीवाल ने सिर्फ अपने इलाके को विकसित किया।’
धार्मिक स्थलों को किया नष्ट?
संदीप शर्मा ने कहा कि रिवर फ्रंट निर्माण के लिए कई प्राचीन धार्मिक स्थलों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया। उनका कहना था कि आईएल की आधी जमीन बेच दी गई और आधी पर ऑक्सीजोन बना दिया गया, जबकि वहां मिनी सचिवालय बनाया जा सकता था।
क्या थी भाजपा की मांग?
भाजपा विधायकों ने सरकार से चंबल नदी की अपस्ट्रीम में स्थित ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के संरक्षण और विकास की मांग की। इनमें भीतरिया कुण्ड, गोदावरी धाम और मौजी बाबा की गुफा जैसे स्थल शामिल हैं। इसके अलावा, दशहरे मैदान के द्वितीय चरण के विकास, शहर के नालों के सौंदर्यीकरण, एक्सीडेंट ब्लैक स्पॉट्स में सुधार, गौशालाओं के विस्तार और वेन्डिंग जोन निर्माण की भी मांग की गई।