शोभना शर्मा। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत और राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम, भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय से जुड़े अधिकारी, ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित मानसून मीट में भाग लेने पहुंचे। इस मीट का उद्देश्य पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों के विकास के लिए नए सुझाव देना था। शुक्रवार को मीट के अंतिम दिन, कुमावत ने राजस्थान के पशुपालकों के हित में कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं।
राजस्थान के पशुपालकों के हित में मांगें
पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने अपने भाषण में राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र और पशुपालन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान देश का सबसे बड़ा भौगोलिक प्रदेश है, जहां जैसलमेर, बाड़मेर जैसे मरूस्थलीय जिलों में पशुपालन एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। कुमावत ने बताया कि राजस्थान में जितनी जनसंख्या है, उतनी ही संख्या में पशुधन भी है। ऐसे में पशुपालकों के लिए नई योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
उन्होंने केंद्र सरकार से राजस्थान के पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों के लिए विशेष योजनाएं बनाने की मांग की। इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल पशुधन स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, बल्कि मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन जैसे वैकल्पिक साधनों से छोटे किसानों की आय बढ़ाना भी है।
मारवाड़ सोसाइटी द्वारा सम्मान
भुवनेश्वर में मारवाड़ सोसाइटी की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में कुमावत और राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम का भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर राजस्थान के पशुपालन मंत्री के प्रयासों की सराहना की गई और उन्हें समाज के विकास में किए जा रहे कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
केंद्रीय नेताओं की उपस्थिति
इस मीट में केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी समेत कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री मौजूद थे। सभी ने एकजुट होकर पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों के विकास के लिए अपने विचार रखे।