मनीषा शर्मा। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए चलाई जा रही राइट टू हेल्थ स्कीम (RGHS) में करोड़ों रुपये का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाती है, लेकिन अब सामने आया है कि कुछ डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों ने इस योजना का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को चूना लगाया।
खुलासे में सामने आया है कि कुछ डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स ने मिलकर एक ही मरीज के नाम पर कई बार फर्जी रिपोर्ट अपलोड की और उनके नाम पर बार-बार भुगतान उठाया गया। यही नहीं, इन रिपोर्ट्स के आधार पर दवाइयां दिखाकर बिल बनाए गए और क्लेम फाइल किए गए। इस तरह एक संगठित गिरोह की तरह योजना का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई।
राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अब तक 275 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। इसके अलावा इन मेडिकल स्टोर्स को RGHS स्कीम से डिस्पेनल कर दिया गया है, जिससे वे भविष्य में इस योजना के अंतर्गत कोई सेवाएं नहीं दे सकेंगे।
मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए-नए नाम सामने आ रहे हैं। अब तक लगभग 100 से ज्यादा मामलों की पहचान की गई है जिनमें सरकारी शिक्षक भी शामिल हैं। ये शिक्षक फर्जी रिपोर्ट के सहारे मेडिकल लाभ उठाते पाए गए हैं। अगर इन पर लगे आरोप साबित होते हैं तो उनके खिलाफ FIR दर्ज करवाई जाएगी।
मामले पर स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि RGHS योजना वित्त विभाग के अधीन आती है, जिसकी जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के पास है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर वित्त विभाग की ओर से कोई शिकायत आती है तो वे संबंधित डॉक्टरों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि ट्रांसप्लांट घोटाले से लेकर इस तरह के किसी भी भ्रष्टाचार पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। डॉक्टरों द्वारा किए गए इस प्रकार के अनैतिक कृत्य पर “कठोर से कठोर कार्रवाई” की जाएगी ताकि आने वाले समय में कोई भी ऐसी गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके।
राज्य सरकार इस पूरे मामले में रिकवरी प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है। फर्जी बिलिंग और झूठे क्लेम के आधार पर जितनी राशि उठाई गई, उसकी वसूली संबंधित डॉक्टरों, मेडिकल स्टोर्स और कर्मचारियों से की जाएगी।