मनीषा शर्मा। जयपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के तहत प्रदेश के वैश्य समाज से जुड़े विधायकों और सांसदों ने एक मंच पर आकर देश के विकास में वैश्य समाज की भूमिका पर चर्चा की। कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में “विकसित भारत 2047” के विजन में वैश्य समाज की अहम भूमिका पर जोर दिया।
ओम बिड़ला ने कहा कि वैश्य समाज का देश की प्रगति में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के युवा आज दुनिया भर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और भविष्य में भारत का प्रतिनिधित्व वैश्विक स्तर पर और बढ़ेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जापान में युवा जनसंख्या की कमी के कारण भारतीय नौजवान वहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह, अन्य देशों में भी भारतीयों का योगदान तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कई देशों में यात्रा के दौरान यह देखने को मिला कि भारतीय युवा वहां काम कर रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। बिड़ला का मानना है कि देश की बढ़ती जनसंख्या किसी अभिशाप के बजाय वरदान साबित हो सकती है, और आने वाले समय में भारत वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ाएगा।
वैश्य समाज का ऐतिहासिक योगदान
लोकसभा अध्यक्ष ने वैश्य समाज के ऐतिहासिक योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज ने स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने भामाशाह का उल्लेख करते हुए बताया कि राजशाही के समय में भी वैश्य समाज ने आर्थिक रूप से योगदान दिया था। आजादी के बाद, वैश्य समाज ने उद्योग, व्यापार और आर्थिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बिड़ला ने कहा, “आजादी के आंदोलन में भी वैश्य समाज ने आर्थिक रूप से अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भी, हर संकट के समय वैश्य समाज के लोग सबसे पहले मदद के लिए आगे आते हैं।” उन्होंने वैश्य समाज के व्यवसायिक और सामाजिक योगदान की सराहना की और कहा कि संख्या में कम होने के बावजूद समाज का प्रभाव और योगदान सराहनीय रहा है।
जाति के आधार पर नेतृत्व नहीं
ओम बिड़ला ने कहा कि वैश्य समाज जाति के नाम पर राजनीति में प्रतिस्पर्धा नहीं करता। उन्होंने कहा कि समाज की पहचान उसकी कार्य संस्कृति और समर्पण से होती है। बिड़ला ने स्पष्ट किया कि वैश्य समाज जातियों के नाम पर नेतृत्व करने में विश्वास नहीं रखता और हमें अपने कार्य और सेवाभाव के माध्यम से समाज में अपनी पहचान बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने हमें जो संस्कार दिए हैं, उसके तहत हमें कार्य संस्कृति और बेहतर डिलीवरी के साथ काम करना चाहिए। आपदा और विपत्ति के समय हमेशा वैश्य समाज को आगे रहना चाहिए।” बिड़ला ने समाज के लोगों से आह्वान किया कि वे अपने काम के बल पर देश की प्रगति में योगदान दें और आने वाले समय में भारत को वैश्विक व्यापार और उद्योग का केंद्र बनाने में सहायता करें।
विकसित भारत 2047 और वैश्य समाज की भूमिका
बिड़ला ने कहा कि वैश्य समाज का योगदान विकसित भारत 2047 के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, “हमारे समाज के लोग हर क्षेत्र में मौजूद हैं, और आने वाले समय में हमें भारत को विश्व का सबसे बड़ा बाजार बनाना है।” उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य एक एक्सपोर्टिंग देश के रूप में है, और वैश्य समाज को इस दिशा में आगे बढ़कर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोई भी बड़ा मैन्युफैक्चरर अब भारत में निवेश किए बिना काम नहीं कर सकता, इसलिए देश का व्यापार और उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। बिड़ला ने वैश्य समाज के युवाओं से अपील की कि वे देश के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं और हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाएं।
ओम बिड़ला ने अपने संबोधन में वैश्य समाज की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है, और समाज के लोगों को देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में सक्रिय रूप से योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज को जाति और राजनीतिक आधार पर नेतृत्व करने के बजाय अपने काम और संस्कारों के बल पर आगे बढ़ना चाहिए।
सम्मेलन के दौरान वैश्य समाज से जुड़े विधायकों और सांसदों का सम्मान किया गया और उनके योगदान की सराहना की गई। बिड़ला ने कहा कि वैश्य समाज का इतिहास देश के लिए योगदान का रहा है, और आने वाले समय में यह समाज “विकसित भारत 2047” के सपने को साकार करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।