मनीषा शर्मा। राजस्थान की मांड गायिका बतूल बेगम को इस वर्ष पद्मश्री सम्मान से नवाजने की घोषणा हुई है। गणतंत्र दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर यह घोषणा की गई। बतूल बेगम को भारतीय लोक संगीत में उनके अतुलनीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। उन्हें भजनों की बेगम के नाम से भी जाना जाता है। मिरासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली बतूल बेगम ने मांड और फाग गायकी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है।
साधारण जीवन से असाधारण उपलब्धियों तक का सफर
बतूल बेगम का सफर संघर्ष और हौसले की कहानी है। बचपन में ही उनकी पढ़ाई छूट गई। महज 16 साल की उम्र में उनकी शादी फिरोज खान से हो गई, जो रोडवेज में कंडक्टर थे। गरीबी और कठिन हालात के बावजूद बतूल ने हार नहीं मानी। उन्होंने मांड और फाग गायकी में अपनी कला को निखारा और इस क्षेत्र में अपनी एक खास पहचान बनाई। बतूल बेगम की गायकी में इतनी ऊर्जा और प्रभाव है कि उनकी आवाज हर श्रोता को मंत्रमुग्ध कर देती है। बिना माइक के हारमोनियम और तबले के साथ उनकी सुरीली आवाज ने फाल्गुन के गीतों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भजन गायन में भी अद्वितीय
मुस्लिम समुदाय से आने के बावजूद बतूल बेगम ने राम, गणेश, और कृष्ण से जुड़े भजन गाए हैं। यह उनके कला और समर्पण का अनोखा उदाहरण है, जो संगीत की सीमाओं को धर्म और समुदाय से परे ले जाता है। उनकी गायकी ने मांड संगीत और भजनों को एक नई दिशा दी है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मांड और फाग संगीत की धूम
बतूल बेगम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। वे पिछले पांच वर्षों से यूरोप के सबसे बड़े होली फेस्टिवल में परफॉर्म कर रही हैं। उनकी गायकी ने फ्रांस, जर्मनी, ट्यूनेशिया, इटली, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, और ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीय लोक संगीत को नई पहचान दिलाई है। फ्रांस और ट्यूनेशिया की सरकारें भी उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं। 2021 में उन्हें GOPIO अचीवर्स अवॉर्ड और सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सराहना
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया, जो उनके संघर्ष और उपलब्धियों का प्रतीक है। भारतीय लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए ट्वीट कर उन्हें बधाई दी।
भारतीय लोक संगीत का अंतरराष्ट्रीय गौरव
बतूल बेगम ने मांड और फाग संगीत को न केवल भारतीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय बनाया है। उनकी गायकी का जादू आज भी लाखों श्रोताओं को अपनी ओर खींचता है। उनका जीवन संघर्ष, आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत का प्रतीक है। पद्मश्री सम्मान उनकी कला, परिश्रम और भारतीय लोक संगीत में उनके योगदान का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह सम्मान न केवल बतूल बेगम के लिए, बल्कि पूरे देश के लोक कलाकारों के लिए गर्व का क्षण है।