शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की। यह मुलाकात न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी, बल्कि इससे राजस्थान की सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है। वसुंधरा राजे, जो जोधपुर में एक शादी समारोह में शामिल होने आई थीं, के स्वागत के लिए रविंद्र सिंह भाटी ने एयरपोर्ट पर उनकी अगुवाई की। इस मुलाकात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
भाटी और भाजपा नेताओं के बीच खींचतान
रविंद्र सिंह भाटी और बाड़मेर के भाजपा नेताओं के बीच खींचतान की स्थिति बनी हुई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भाटी को “आवारा सांड” तक कह दिया था, जो इस बात का संकेत है कि पार्टी में उनके प्रति असंतोष है। इसके अलावा, भाटी पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम के तहत शिव विधानसभा में सोलर और विंड क्षेत्र में आ रहे निवेश पर अड़ंगा डाला है। इस विवाद के चलते भाटी की छवि पर भी असर पड़ा है।
वसुंधरा राजे का करीबी सहयोगी
रविंद्र सिंह भाटी को वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है। भाटी ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से निर्दलीय छात्र संघ का चुनाव जीता था और इसके बाद उन्होंने बेरोजगारी पेपर लीक जैसे मुद्दों पर प्रदर्शन किया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि वसुंधरा राजे पर्दे के पीछे भाटी को समर्थन दे रही थीं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह चर्चा थी कि भाजपा द्वारा टिकट काटे जाने के बाद भाटी ने राजे की मौन स्वीकृति से निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन
इन दिनों रविंद्र सिंह भाटी शिव क्षेत्र में ऊर्जा के क्षेत्र में किसानों के साथ धोखा करने और उनकी जमीनों का उचित मुआवजा नहीं देने के आरोपों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस संदर्भ में उनकी वसुंधरा राजे से मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। भाटी की यह मुलाकात यह संकेत देती है कि वे राजे के साथ अपने राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर जब वे अपने क्षेत्र में किसानों के मुद्दों को लेकर सक्रिय हैं।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
वसुंधरा राजे और रविंद्र सिंह भाटी की मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजस्थान की राजनीति में समीकरण बदल रहे हैं। भाटी की राजे के साथ निकटता और भाजपा के भीतर उनके प्रति असंतोष, दोनों ही इस बात का संकेत हैं कि आने वाले समय में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ सकता है। यह मुलाकात यह भी दर्शाती है कि भाटी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर गंभीर हैं और वे राजे के समर्थन से अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं।