शोभना शर्मा। राजस्थान में हाल ही में संपन्न हुए उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी को सात में से छह सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद पार्टी के भीतर संगठनात्मक बदलाव और नई रणनीतियों पर चर्चा शुरू हो गई है। इसी क्रम में राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख नेता गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में हार के कारणों की समीक्षा और आगे की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई।
इस बैठक में कांग्रेस नेताओं ने माना कि पार्टी को वर्तमान हालात में अपनी संगठनात्मक ताकत को बढ़ाने के साथ-साथ निष्क्रिय नेताओं के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पष्ट किया कि पार्टी को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है, जो जनता के बीच सक्रिय रूप से काम करें और पार्टी को मजबूत बनाने में योगदान दें। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में युवा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपने का समय आ गया है ताकि संगठन को नई ऊर्जा और दिशा मिल सके।
बैठक के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने नेताओं को संगठन की कमजोरियों की पहचान करने और उन पर काम करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। यह भी तय किया गया कि संगठन के विभिन्न स्तरों पर नेतृत्व में बदलाव किया जाएगा ताकि पार्टी आने वाले निकाय और पंचायत चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सके।
संगठन में बदलाव की जरूरत क्यों?
राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से यह शिकायत रही है कि कई नेता केवल अपने व्यक्तिगत हितों के लिए काम कर रहे हैं और पार्टी के लिए योगदान नहीं दे रहे हैं। उपचुनावों में मिली हार ने इस स्थिति को और स्पष्ट कर दिया है। प्रदेश प्रभारी रंधावा ने कहा कि पार्टी को उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी, जो निष्क्रिय हैं और पार्टी के लक्ष्यों को नजरअंदाज कर रहे हैं। इस संदर्भ में, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए युवा और मेहनती कार्यकर्ताओं को आगे लाने पर जोर दिया।
आगामी रणनीति पर चर्चा
बैठक में यह तय किया गया कि कांग्रेस पार्टी जनता से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाएगी और सरकार की नीतियों की खामियों को उजागर करेगी। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बताया कि आने वाले समय में पार्टी पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारियों में जुट जाएगी। इसके लिए प्रत्येक जिले, संभाग और ब्लॉक स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं की पहचान की जाएगी और उन्हें चुनावी जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
इसके अलावा, बैठक में यह भी चर्चा हुई कि पार्टी के भीतर आंतरिक संवाद को कैसे बेहतर बनाया जाए। वर्तमान में पार्टी के कई नेता संगठन के फैसलों का पालन नहीं करते, जिससे पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है। राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि यह स्थिति अब स्वीकार्य नहीं होगी।
युवा नेतृत्व को प्राथमिकता
बैठक में युवाओं को संगठन में अधिक भूमिका देने पर भी जोर दिया गया। गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पार्टी के पास ऐसे कई युवा कार्यकर्ता हैं, जो मेहनत से संगठन के लिए काम कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि उन्हें नेतृत्व की जिम्मेदारी दी जाए। यह कदम न केवल पार्टी में नई ऊर्जा का संचार करेगा, बल्कि आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
राजस्थान में उपचुनावों में मिली हार ने कांग्रेस संगठन की खामियों को उजागर कर दिया है। इस स्थिति को सुधारने के लिए पार्टी नेतृत्व अब कड़े कदम उठाने को तैयार है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ हुई बैठक ने यह संकेत दिया है कि पार्टी अपने निष्क्रिय नेताओं को किनारे करते हुए युवा और सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। आगामी पंचायत और निकाय चुनावों के मद्देनजर यह कदम न केवल कांग्रेस को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य की राजनीति में पार्टी की स्थिति को भी बेहतर बनाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा तय की गई नई रणनीतियां किस हद तक प्रभावी साबित होती हैं और पार्टी आने वाले चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है।