मनीषा शर्मा, अजमेर। दरगाह का नाम भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल है। यह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। हालांकि, हाल के समय में यह स्थान एक नए विवाद का केंद्र बन गया है। राजस्थान सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत ने बयान दिया है कि अजमेर दरगाह में खुदाई होने पर मंदिर निकलने की संभावना है। यह बयान न केवल धार्मिक बल्कि राजनैतिक दृष्टिकोण से भी काफी चर्चित हो गया है।
मंत्री अविनाश गहलोत का बयान और विवाद का आगाज
राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने यह दावा किया कि यदि अजमेर दरगाह के अंदर खुदाई की जाती है, तो मंदिर के अवशेष निकल सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो मंदिरों को तोड़कर बनाए गए हैं। गहलोत का यह बयान धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर नए विवाद को जन्म देता है। उन्होंने बाबरी मस्जिद का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे भी एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था, और ऐसे कई मामले देश के अन्य हिस्सों में भी हो सकते हैं। गहलोत ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ये राजनेता कट्टरपंथ और परिवारवाद का सहारा लेकर राजनीति करते आए हैं। उन्होंने धार्मिक स्थलों के इतिहास को लेकर पुरातत्व विभाग से जांच की मांग भी की।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर गहलोत का रुख
मंत्री अविनाश गहलोत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि धार्मिक कट्टरता के आधार पर जो समाज या देश चलता है, वह अपनी संस्कृति को खो देता है। उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों ने कट्टरपंथी नीतियों के चलते अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों को खो दिया है। गहलोत ने बांग्लादेश सरकार से मांग की कि साधु-संतों और हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यदि वहां की सरकार अपने नागरिकों की रक्षा नहीं कर सकती, तो यह मानवता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
मौलाना तौकीर रजा खान की प्रतिक्रिया
इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान ने अजमेर दरगाह विवाद पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जहां प्रधानमंत्री चादर चढ़ाते हैं, वहां इस तरह के विवाद खड़ा करना गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की प्रगति धार्मिक स्थलों को खोदने से नहीं, बल्कि शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने से होती है। मौलाना ने कोर्ट में चल रही याचिकाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि वरशिप एक्ट की उपस्थिति में ऐसी याचिकाओं को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने वाले कोर्ट को दंडित किया जाना चाहिए।
धार्मिक स्थलों के ऐतिहासिक विवाद: बाबरी मस्जिद से अजमेर दरगाह तक
भारत में मंदिर-मस्जिद विवाद कोई नया मुद्दा नहीं है। बाबरी मस्जिद विवाद ने देश की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित किया है। अब अजमेर दरगाह को लेकर भी ऐसी ही बहस शुरू हो गई है। ऐसे विवादों में ऐतिहासिक और पुरातात्विक तथ्यों की जांच का महत्व बढ़ जाता है। गहलोत के बयान के बाद यह स्पष्ट है कि इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भी उछाला जा रहा है।
अजमेर दरगाह का महत्व और संभावित असर
अजमेर दरगाह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का केंद्र भी है। ऐसे विवादों का असर दरगाह की पवित्रता और सांप्रदायिक सौहार्द पर पड़ सकता है। अगर दरगाह की खुदाई से जुड़े विवाद को आगे बढ़ाया गया, तो यह पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा सकता है। इसलिए इस मुद्दे को सावधानीपूर्वक और निष्पक्षता से संभालने की जरूरत है।