मनीषा शर्मा। राजस्थान के मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने राज्य के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम से मुलाकात कर सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग (डीओआईटी) में कथित 3500 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की मांग की। रविवार को यह मुलाकात बेढम के आवास पर हुई, जहां मीणा ने घोटाले की जांच और एफआईआर दर्ज करने की बात रखी।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि गहलोत सरकार के शासनकाल में डीओआईटी में यह घोटाला हुआ, जिसकी शिकायत पहले एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) में की गई थी। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार ने एसीबी को जांच की अनुमति नहीं दी, जिससे मामले की जांच अधूरी रह गई। अब वर्तमान सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने फिर से इस मामले की जांच की मांग उठाई है।
घोटाले का विवरण
मीणा ने डीओआईटी विभाग में बिना किसी सरकारी प्रक्रिया के अधिकारियों की सीधी भर्ती करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि “प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट फॉर सोशल मीडिया डेवलपमेंट एक्टिविटी” के तहत करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है। मीणा ने आरोप लगाया कि इस प्रोजेक्ट के तहत कार्यरत लोगों को बेहद ऊंचा यात्रा भत्ता (टीए-डीए) दिया गया, जो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के भत्तों से भी अधिक है।
उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में किसी भी शहर में जांच के लिए जाने पर अधिकारियों को 2 लाख 61 हजार 400 रुपये का भुगतान किया गया, जबकि राजस्थान के बाहर जाने पर यह राशि 4 लाख 95 हजार 666 रुपये थी। मीणा ने इसे घोटाले का एक बड़ा हिस्सा बताया और कहा कि यह घोटाला गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन अब इसे उजागर किया जाएगा।
आरोपित अधिकारियों के नाम
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी शिकायत में डीओआईटी के कई उच्चाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। इसमें प्रोजेक्ट अधिकारी दीपशिखा सक्सेना, कुलदीप यादव, वित्त अधिकारी कौशल गुप्ता, और अन्य शामिल हैं। उन्होंने इन अधिकारियों पर गलत दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये के वर्क ऑर्डर जारी करने का आरोप लगाया।
इसके अलावा, मीणा ने अधिकारी आशुतोष देशपांडे और पूर्व अतिरिक्त निदेशक आरसी शर्मा पर ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को टेंडर देने का आरोप भी लगाया। जॉइंट डायरेक्टर प्रद्युमन सिंह और रणवीर सिंह पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है, जिसमें कहा गया कि उन्होंने रिश्वत की राशि अपनी पत्नी के बैंक खातों में जमा करवाई।
गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम की प्रतिक्रिया
मुलाकात के बाद गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा कांग्रेस सरकार में हुए घोटालों की जांच करवाने की मांग लेकर उनके पास आए थे। बेढम ने तुरंत डीजीपी को फोन कर इस मामले की जांच के निर्देश दिए और कार्रवाई करने को कहा। बेढम ने आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व शिकायतें और पेपर लीक का मामला
यह पहली बार नहीं है कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भ्रष्टाचार के मामले उठाए हैं। दो महीने पहले भी मीणा ने पेपर लीक से संबंधित सबूत एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) को सौंपे थे। उन्होंने आरएएस, REET और एसआई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मामलों पर गंभीर आरोप लगाए थे। मीणा ने उस समय एसओजी के अधिकारियों और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के चेयरमैन पर भी बड़े आरोप लगाए थे और सबूतों के साथ एसओजी के एडीजी वीके सिंह को पेपर लीक के प्रमाण सौंपे थे। इस तरह, मंत्री मीणा लगातार राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहे हैं।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का 3500 करोड़ रुपये के डीओआईटी घोटाले का आरोप राज्य की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस घोटाले की जांच अब उनकी प्राथमिकता है, और उन्होंने इसके लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं। मामला अब पुलिस और जांच एजेंसियों के हाथ में है, और आने वाले दिनों में घोटाले से जुड़े नए खुलासे हो सकते हैं।