शोभना शर्मा। भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सांसद राजकुमार रोत ने अपने संसदीय क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर लोकसभा में बड़ी मांगें उठाई हैं। उन्होंने क्षेत्र में रेलवे कनेक्टिविटी की कमी पर गंभीर चिंता जताते हुए ‘भील प्रदेश एक्सप्रेस’ नाम की नई ट्रेन शुरू करने और अधूरी पड़ी परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने की अपील की। यह मांग लंबे समय से क्षेत्र के विकास के लिए की जा रही है, जो आदिवासी बहुल इस इलाके में कनेक्टिविटी और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देगी।
राजकुमार रोत ने लोकसभा में जोर देकर कहा कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर क्षेत्र की रेलवे परियोजना को 2012 में शुरू किया गया था, लेकिन अब तक इसका कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि यदि इसी तरह देरी होती रही, तो इस परियोजना को पूरा होने में और दस साल लग जाएंगे। सांसद ने रेलवे मंत्रालय से इस परियोजना की प्रगति पर निगरानी रखने और मध्य प्रदेश सरकार के साथ समन्वय करके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को जल्द पूरा कराने का अनुरोध किया।
भील प्रदेश एक्सप्रेस की मांग
सांसद राजकुमार रोत ने ‘भील प्रदेश एक्सप्रेस’ ट्रेन की मांग करते हुए कहा कि यह ट्रेन बांसवाड़ा, डूंगरपुर, और अन्य आदिवासी क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उदयपुर-दिल्ली मार्ग पर चलने वाली ‘मेवाड़ एक्सप्रेस’ को डूंगरपुर तक बढ़ाया जाए। इससे डूंगरपुर और आसपास के क्षेत्र के लोगों को दिल्ली जाने के लिए पहले उदयपुर आने की आवश्यकता नहीं होगी। इस कदम से आदिवासी जनता की यात्रा अधिक सुविधाजनक हो जाएगी। उन्होंने इस मांग को क्षेत्र की जनता की जरूरत बताते हुए कहा कि डूंगरपुर और दिल्ली के बीच सीधी कनेक्टिविटी से न केवल यात्रा समय कम होगा, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।
डूंगरपुर रेलवे स्टेशन का नामकरण
सांसद ने लोकसभा में डूंगरपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर राजा डूंगर बरंडा के नाम पर करने की मांग भी उठाई। यह मांग स्थानीय जनता और भारत आदिवासी पार्टी के पदाधिकारियों की ओर से लगातार की जा रही है। राजा डूंगर बरंडा क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक रहे हैं, और उनके नाम पर रेलवे स्टेशन का नामकरण करना क्षेत्रीय सम्मान को बढ़ाने का एक प्रयास होगा।
निजीकरण और बेरोजगारी के मुद्दे
रेलवे कनेक्टिविटी के अलावा, सांसद ने बेरोजगारी और निजीकरण की समस्याओं पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने मांग की कि निजीकरण के बढ़ते प्रभाव को सीमित किया जाए या फिर उसमें भी आरक्षण नीति को लागू किया जाए। उनका कहना था कि आरक्षित वर्ग और आदिवासी समुदाय के युवा रोजगार के अवसरों से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को सख्ती से लागू करने और निजी क्षेत्र में भी इसका दायरा बढ़ाने की बात कही।
क्षेत्रीय विकास और संभावित प्रभाव
राजकुमार रोत की ये मांगें केवल रेलवे कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं हैं। इनका उद्देश्य क्षेत्रीय विकास को गति देना और आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करना है। रेलवे परियोजनाओं के पूरा होने से न केवल परिवहन की सुविधा होगी, बल्कि पर्यटन, व्यापार, और रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी। ‘भील प्रदेश एक्सप्रेस’ जैसी ट्रेनें आदिवासी बहुल क्षेत्रों को बड़े शहरों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। डूंगरपुर रेलवे स्टेशन का नामकरण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय पहचान को भी मजबूत करेगा। यह कदम क्षेत्रीय गर्व और समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।