शोभना शर्मा। जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर को राजस्थान के स्थानीय निकाय विभाग (डीएलबी) ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उनसे जवाब मांगा गया है, जिसके लिए उन्हें तीन दिन का समय दिया गया है। इस नोटिस के बाद मेयर मुनेश गुर्जर और उनके पति सुशील गुर्जर के खिलाफ चल रही जांच फिर से सुर्खियों में आ गई है।
भ्रष्टाचार के आरोप
मुनेश गुर्जर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तब सामने आए जब उनके पति सुशील गुर्जर को पिछले साल 4 अगस्त को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। सुशील गुर्जर पर आरोप है कि उन्होंने पट्टे जारी करने के बदले रिश्वत मांगी थी। उस समय एसीबी ने मेयर के घर पर तलाशी ली और वहां से 41 लाख रुपए नकद और कई पट्टे की फाइलें बरामद की थीं। सुशील गुर्जर के साथ दलाल नारायण सिंह और अनिल दुबे को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। इन गिरफ्तारियों के बाद से ही एसीबी द्वारा इस पूरे मामले की जांच चल रही थी।
डीएलबी का नोटिस
डीएलबी ने हाल ही में मुनेश गुर्जर को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39(1) के तहत नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में मुनेश गुर्जर से उनके ऊपर लगे आरोपों का जवाब मांगा गया है। आरोप है कि मेयर और उनके पति ने पट्टा जारी करने के एवज में 2 लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी। इस संबंध में सुशील गुर्जर और अन्य को गिरफ्तार किया गया था।
डीएलबी ने नोटिस में स्पष्ट किया है कि अगर मुनेश गुर्जर तीन दिनों के भीतर अपने पक्ष में दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करती हैं, तो यह माना जाएगा कि उनके पास इस मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है। इसके बाद जांच पूरी कर ली जाएगी और कार्रवाई की जाएगी।
अदालत की सुनवाई और अभियोजन स्वीकृति
इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने भी मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस एनएस ढड्ढा ने यह निर्देश दिया कि अभियोजन की मंजूरी का रिकॉर्ड पेश किया जाए। अदालत में सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी, जिसमें अभियोजन की मंजूरी को लेकर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
सुशील गुर्जर की गिरफ्तारी और रिश्वत का मामला
सुशील गुर्जर की गिरफ्तारी के दौरान एसीबी ने मेयर के घर पर छापा मारा और वहां से 41 लाख रुपए नकद और पट्टे की फाइलें बरामद की थीं। सुशील गुर्जर पर आरोप था कि उन्होंने दो दलालों के माध्यम से रिश्वत की मांग की थी। इस मामले में दलाल नारायण सिंह और अनिल दुबे को भी गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, नारायण सिंह के घर से 8.95 लाख रुपए नकद बरामद हुए थे। एसीबी ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ विस्तृत जांच की, जिसमें मेयर मुनेश गुर्जर का नाम भी शामिल है।
आगामी कार्रवाई की संभावनाएं
नोटिस के अनुसार, अगर मुनेश गुर्जर तीन दिनों के भीतर अपना जवाब और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करती हैं, तो डीएलबी द्वारा उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही, राजस्थान हाईकोर्ट में दो सप्ताह बाद होने वाली सुनवाई भी महत्वपूर्ण है, जिसमें अभियोजन की मंजूरी पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। ऐसे में, माना जा रहा है कि इस मामले में आने वाले दिनों में बड़े बदलाव और कार्रवाई देखने को मिल सकते हैं।
राजनीतिक और कानूनी प्रभाव
इस पूरे मामले ने जयपुर नगर निगम हेरिटेज में राजनीतिक हलचल मचा दी है। मेयर मुनेश गुर्जर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनके राजनीतिक करियर पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दल इस मामले को लेकर सरकार पर हमला कर सकते हैं। इसके अलावा, कानूनी रूप से भी यह मामला जटिल होता जा रहा है, क्योंकि एसीबी की जांच के बाद अभियोजन की मंजूरी दी गई है।
मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर डीएलबी द्वारा नोटिस जारी किया गया है। तीन दिनों के भीतर अगर मुनेश गुर्जर अपने पक्ष में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की संभावना है। इसके अलावा, अदालत में अभियोजन की मंजूरी पर सुनवाई भी इस मामले को और आगे ले जा सकती है। आने वाले दिनों में जयपुर नगर निगम हेरिटेज के इस मामले में बड़े निर्णय और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।