मनीषा शर्मा। पंजाब एसआईटी (विशेष जांच दल) ने जयपुर सेंट्रल जेल में कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई द्वारा दिए गए इंटरव्यू से संबंधित एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है। जांच के दौरान यह पता चला कि बिश्नोई ने जयपुर जेल में बंद रहते हुए जूम ऐप के जरिए एक निजी टीवी चैनल से इंटरव्यू किया था। यह इंटरव्यू फरवरी 2023 में हुआ था, जबकि लॉरेंस जयपुर सेंट्रल जेल में था। एसआईटी ने इस बात के पुख्ता सबूत इकट्ठे कर राजस्थान पुलिस को सौंपे हैं, जिसके बाद जयपुर के लालकोठी थाने में इस मामले में केस दर्ज किया गया है।
लॉरेंस बिश्नोई का जेल से इंटरव्यू:
दरअसल, 2023 में मार्च महीने में लॉरेंस बिश्नोई के दो इंटरव्यू सामने आए थे, जिसमें उसने जेल के अंदर रहते हुए साक्षात्कार दिए थे। ये इंटरव्यू एक निजी न्यूज चैनल पर 14 और 17 मार्च को प्रसारित किए गए थे। एसआईटी के अनुसार, बिश्नोई उस समय 21 दिनों तक जयपुर पुलिस की कस्टडी में था। एसआईटी की जांच में यह स्पष्ट हो गया कि इन दो में से एक इंटरव्यू जयपुर सेंट्रल जेल से किया गया था। इस घटना को लेकर कोर्ट के आदेश पर पंजाब पुलिस ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनकी जांच अभी जारी है।
बिश्नोई को जयपुर की जी क्लब फायरिंग केस में पूछताछ के लिए जयपुर लाया गया था। जवाहर सर्किल थाना पुलिस ने 15 फरवरी 2023 को बिश्नोई को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 16 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजा गया। इसी अवधि के दौरान बिश्नोई ने जेल में रहते हुए इंटरव्यू दिए, जिसमें उसने अपने आपराधिक मामलों और नेटवर्क के बारे में खुलकर बात की थी। खासकर, उसने सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बारे में स्वीकार किया कि यह उसकी साजिश थी, क्योंकि मूसेवाला ने उसके करीबी मित्र अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या में संलिप्तता दिखाई थी।
इंटरव्यू के सबूत:
एसआईटी द्वारा राजस्थान पुलिस को सौंपे गए सबूतों में यह खुलासा हुआ कि लॉरेंस बिश्नोई ने इंटरव्यू के दौरान अपनी बैरक से वीडियो कॉल की थी। उसने अपनी बैरक को दिखाते हुए जेल के भीतर से मोबाइल फोन का उपयोग करने की जानकारी दी। लॉरेंस के अनुसार, रात के समय जेल में सुरक्षा कर्मचारियों की आवाजाही बहुत कम होती है, जिससे वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके बाहरी दुनिया से संपर्क कर सकता है। उसने यह भी खुलासा किया कि जेल के भीतर मोबाइल फोन तस्करी के माध्यम से आते हैं, और कई बार जेल स्टाफ इन्हें पकड़ने में नाकाम हो जाता है।
कोर्ट का स्वत: संज्ञान और एसआईटी की जांच:
जब यह इंटरव्यू सामने आया, तब पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्वत: संज्ञान लेते हुए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे इंटरव्यू देने की सुविधा मुहैया कराने वाले अधिकारियों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इस आदेश के बाद पंजाब पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और जेल प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति बनाई गई, जिसने इस मामले की जांच शुरू की।
एसआईटी की जांच के बाद यह पुष्टि हो गई कि बिश्नोई के जेल में रहते हुए ही इन इंटरव्यू को अंजाम दिया गया था। एसआईटी ने इस दौरान राजस्थान पुलिस के साथ भी साझा किया कि लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू का एक हिस्सा जयपुर सेंट्रल जेल से हुआ था, जिसके पुख्ता सबूत इकट्ठे किए गए हैं।
लॉरेंस बिश्नोई का बढ़ता गैंग नेटवर्क:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की रिपोर्ट के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई के गैंग में 700 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं। जेल में रहते हुए भी उसने अपने नेटवर्क को और मजबूत किया है। एनआईए की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लॉरेंस का गैंग सिर्फ दो प्रमुख लोगों के आदेश पर काम करता है – एक खुद लॉरेंस बिश्नोई और दूसरा गोल्डी बराड़, जो विदेश में बैठकर भारत में अपराधों का संचालन करता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि लॉरेंस बिश्नोई का नेटवर्क फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से नए सदस्य भर्ती करता है। गैंग में शामिल होने के लिए युवाओं को ब्रांडेड कपड़े, पैसे और विदेश में सेटल होने का लालच दिया जाता है। गैंग के नए सदस्य इन वादों के कारण आसानी से लॉरेंस बिश्नोई के गैंग में शामिल हो जाते हैं और फिरौती और टारगेट किलिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं।
कोर्ट और पुलिस की सख्ती:
लॉरेंस बिश्नोई के जेल से दिए गए इंटरव्यू ने जेल प्रशासन और पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोर्ट ने भी इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि दोषी अधिकारियों की पहचान की जाए और उन पर उचित कार्रवाई की जाए।