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जलझूलनी एकादशी पर गोविंददेवजी को 1100 किलो फलों का भोग

जलझूलनी एकादशी पर गोविंददेवजी को 1100 किलो फलों का भोग

मनीषा शर्मा। भाद्रपद शुक्ल एकादशी को जलझूलनी एकादशी के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर जयपुर के प्रसिद्ध गोविंददेवजी मंदिर समेत कई प्रमुख कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन किए गए। मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण की झांकियों का दर्शन किया। गोविंददेवजी मंदिर में भगवान को 1100 किलो फलों का भोग लगाया गया, जिसमें सेब, नाशपाती, पपीता, अनार, अन्नानस, और अंगूर जैसे फलों का अर्पण हुआ।

जलविहार के साथ भगवान विष्णु का विशेष श्रृंगार

जलझूलनी एकादशी पर गोविंददेवजी मंदिर में ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक किया गया और उन्हें नवीन नटवर वेश पोशाक धारण करवाई गई। मंगला झांकी के बाद ठाकुर श्री शालिग्रामजी का विशेष पूजन किया गया, जिसके अंतर्गत उन्हें छोटी चांदी की खाट पर विराजमान कर तुलसी मंच पर ले जाया गया। यहां भगवान का पंचामृत अभिषेक और चंदन श्रृंगार किया गया। इसके बाद हरिनाम संकीर्तन और चार परिक्रमा के साथ ठाकुर श्रीजी को निज मंदिर में स्थापित किया गया। संध्या झांकी और आरती के साथ एकादशी के पर्व की समाप्ति हुई।

गोनेर के आराध्य लक्ष्मीजगदीश का नौका विहार

जयपुर के समीप गोनेर गांव के आराध्य भगवान लक्ष्मीजगदीश की जलझूलनी एकादशी पर विशेष शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में भगवान के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां सजाई गईं, जिनमें भगवान विष्णु के अवतारों, गणेशजी, और भोलेनाथ के विवाह की झांकी खास रहीं। शाम को भगवान लक्ष्मीजगदीश को 50 किलो वजनी लकड़ी की पालकी में बिठाकर नगर भ्रमण कराया गया और जगन्नाथ सरोवर में नौका विहार हुआ। सरोवर की पाल पर विशेष आरती उतारी गई और भक्तों ने भव्य झांकियों का आनंद लिया। इस दौरान 25 से अधिक झांकियों का प्रदर्शन किया गया।

विशेष ज्योतिषीय महत्त्व

इस एकादशी का ज्योतिषीय महत्व भी खास है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि शुक्रवार रात 10:31 बजे से शुरू होकर शनिवार रात 8:42 बजे तक रही। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु को विशेष रूप से पूजते हैं। इसे परिवर्तनी, डोल ग्यारस, पदमा और वामन जयंती एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, और चातुर्मास का समापन दो महीने बाद देवउठनी एकादशी (12 नवंबर) को होगा।

गोविंददेवजी मंदिर में झांकियों का समय:

  • मंगला झांकी: सुबह 4:30 से 5:15 तक
  • धूप झांकी: सुबह 7:45 से 9:00 तक
  • श्रृंगार झांकी: 9:30 से 10:15 तक
  • राजभोग झांकी: 10:45 से 11:30 तक
  • ग्वाल झांकी: 4:00 से 4:15 तक
  • जलझूलनी पूजन: 4:45 से 5:35 तक
  • संध्या झांकी: शाम 5:45 से 6:45 तक
  • शयन झांकी: रात 8:00 से 8:30 तक

गोनेर के लक्ष्मीजगदीश मंदिर में विशेष आयोजन

गोनेर में भगवान लक्ष्मीजगदीश मंदिर में भी कई विशेष कार्यक्रम हुए। शोभायात्रा के साथ भगवान को नगर भ्रमण पर ले जाया गया और जगन्नाथ सरोवर में नौका विहार कराया गया। भक्तों ने सरोवर के किनारे विशेष आरती का आनंद लिया और विभिन्न झांकियों के दर्शन किए। 470 वर्षों से यहां लक्ष्मीजगदीश मंदिर की प्राचीन मान्यता है और इस दिन बड़ी संख्या में भक्त पदयात्रा कर मंदिर पहुंचते हैं।

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