मनीषा शर्मा। राजस्थान में उपचुनाव के दौरान देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव में एक विवादित घटना हुई, जहां निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने सेक्टर मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया। इस घटना ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब नरेश मीणा ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी जबरन ग्रामीणों को वोट डालने के लिए दबाव बना रहे थे, जबकि गांववालों ने तहसील और उपखंड मुख्यालय बदलवाने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया था।
ग्रामीणों की मांग और बहिष्कार का कारण
समरावता गांव के लोगों का कहना है कि प्रशासन ने उनके गांव को पहले उनियारा तहसील के अंतर्गत रखा था, लेकिन सवा साल पहले इसे देवली तहसील में जोड़ दिया गया। देवली मुख्यालय गांव से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, जबकि नगर फोर्ट तहसील की दूरी मात्र 25-30 किलोमीटर है। इस बदलाव के कारण ग्रामीणों में नाराजगी है, क्योंकि उन्हें अब सरकारी कामों के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने पिछले विधानसभा चुनावों में भी अपनी इसी मांग के चलते मतदान का बहिष्कार किया था।
थप्पड़ मारने की घटना
ग्रामीणों की शिकायत थी कि चुनाव के दिन प्रशासनिक अधिकारी जबरन गांव वालों को वोट डालने का दबाव बना रहे थे। आशा सहयोगिनी चित्रा मीणा ने बताया कि सेक्टर मजिस्ट्रेट ने उन्हें और दो अन्य कर्मचारियों को धमकाकर वोट डलवाने के लिए मजबूर किया। इस सूचना के मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा मौके पर पहुंचे और वहां सेक्टर मजिस्ट्रेट से बहस करने लगे। इस दौरान तनाव बढ़ने पर नरेश मीणा ने सेक्टर मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया। नरेश का कहना था कि प्रशासनिक अधिकारी किसी पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।
विवाद के बाद धरना
थप्पड़ की घटना के बाद पुलिस ने नरेश मीणा को मतदान केंद्र से बाहर निकाल दिया, जिसके बाद उन्होंने ग्रामीणों के साथ धरना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि जब तक गांव को देवली से हटाकर उनियारा तहसील में जोड़ने का लिखित आश्वासन नहीं मिलता, वे धरने पर बैठे रहेंगे। उन्होंने ग्रामीणों की “वाजिब मांग” का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि इसके लिए चाहे उनकी जान क्यों न चली जाए, वे अपने लोगों के अधिकारों के लिए खड़े रहेंगे।
प्रशासनिक कार्रवाई और कर्मचारियों का विरोध
इस घटना के बाद, मालपुरा के प्रशासनिक कर्मचारियों ने सेक्टर मजिस्ट्रेट अमित चौधरी पर हुए हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर नरेश मीणा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। वहीं, एसडीएम थप्पड़ मामले में जिला कलेक्टर डॉ. सौम्या झा ने कहा कि चुनाव आचार संहिता के हटने के बाद ग्रामीणों की मांग पर विचार किया जाएगा और आवश्यक प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।
एसपी और कलेक्टर का आश्वासन
विवाद बढ़ने पर पुलिस अधीक्षक (एसपी) विकास सांगवान मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को वोट डालने के लिए समझाया। एसपी ने कहा कि कानूनी कार्रवाई की जाएगी और मामले की पूरी जांच करवाई जाएगी। जिला कलेक्टर ने भी समरावता गांव के निवासियों को आश्वासन दिया कि चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। कलेक्टर ने यह भी कहा कि पहले भी कई गांवों को उनकी मांग के अनुसार तहसील में जोड़ा गया है, और इस गांव के लिए भी ऐसा ही किया जाएगा।
राजनीतिक विवाद की जड़
समरावता गांव में यह विवाद दरअसल प्रशासनिक व्यवस्था और ग्रामीणों की सामाजिक, आर्थिक समस्याओं का परिणाम है। गांववाले अपनी मांग को लेकर लगातार विरोध जता रहे हैं और प्रशासन से उचित समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में 800 से ज्यादा मतदाता हैं और उनकी आबादी लगभग 1200 है, ऐसे में प्रशासन को उनकी समस्याओं का संज्ञान लेकर समाधान करना चाहिए।