शोभना शर्मा। राजस्थान में आगामी 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र को लेकर सभी पार्टियों के नेताओं ने एक मंच पर आकर एकता और शांति से काम करने का संकल्प लिया। राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में हुई सर्वदलीय बैठक में यह तय किया गया कि विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कोई हंगामा नहीं होगा। इस बैठक में विपक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही को शांति से चलाने का भरोसा दिया और यह सुनिश्चित किया कि किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं उत्पन्न किया जाएगा।
राज्यपाल के अभिभाषण को लेकर विपक्ष द्वारा की गई इस सहमति ने विधानसभा में शांति और मर्यादित व्यवहार की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि विपक्षी दल भी इस बजट सत्र में सदन की कार्यवाही में सहयोग करेंगे और मर्यादापूर्ण तरीके से अपनी बात रखेंगे।
सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा- विधायकों की बातों को गंभीरता से लिया जाएगा
इस बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि विधानसभा में पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्यों की भावना एक समान होती है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार हमेशा विधायकों की बातों को गंभीरता से लेगी, क्योंकि स्वस्थ आलोचनाएं काम में नई गति लाती हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार और विपक्ष दोनों की भूमिका सदन की कार्यवाही को प्रभावी और सफल बनाने में समान रूप से महत्वपूर्ण है।
भजनलाल शर्मा ने यह भी बताया कि विधानसभा के सत्र के दौरान सभी विधायकों को समय पर अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। यह विचार सभी दलों के नेताओं की सकारात्मक सोच और सहयोग से संभव होगा।
विधानसभा में कार्यवाही के लिए नई व्यवस्थाएं और प्रस्तावित सुधार
विधानसभा में विधायकों की गतिविधियों को बेहतर और व्यवस्थित बनाने के लिए विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कुछ नई व्यवस्थाओं और सुधारों का प्रस्ताव रखा। स्पीकर ने इस दौरान यह सुझाव दिया कि सदन की समितियों की रिपोर्ट पर चर्चा कराई जाए ताकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदस्यों को अधिक समय और ध्यान दिया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने अफसर गैलरी में संबंधित विभागों के अफसरों की लगातार उपस्थिति सुनिश्चित करने की बात कही ताकि संसदीय कार्यवाही के दौरान सरकार की तरफ से शीघ्र और सटीक जवाब मिल सके।
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने यह भी कहा कि विधायकों को सदन में मर्यादित तरीके से व्यवहार करना चाहिए और उन्हें वेल में नहीं आना चाहिए। इससे न केवल सदन की कार्यवाही प्रभावी रहेगी बल्कि सभी विधायकों को नियमानुसार समय दिया जाएगा। इसके अलावा, विधानसभा की कार्यवाही को सुसंगत और व्यवस्थित बनाने के लिए मंत्रियों के जवाब देने के लिए पर्ची प्रणाली फिर से शुरू करने का भी सुझाव दिया गया है।
विधानसभा में नए बदलावों का असर और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा
सदन की कार्यवाही में सुधार के लिए किए गए इन बदलावों का राज्य विधानसभा के संचालन पर बड़ा असर पड़ेगा। इन नए सुधारों से सदन की कार्यवाही में पारदर्शिता और तेजी आएगी, और यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक सकारात्मक कदम साबित होगा। साथ ही, विधानसभा का सदन अब नए रूप में तैयार हो चुका है, जिसमें विधायकों की टेबलों पर टैब लगाए गए हैं ताकि सदन की कार्यवाही को वन-नेशन-वन एप्लिकेशन के तहत डिजिटल रूप में बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके।
इस प्रकार, इन सुधारों से न केवल सदन की कार्यवाही में सुधार होगा बल्कि विधायक अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए भी बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे।
विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की जिम्मेदारी
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस अवसर पर यह भी कहा कि सदन संचालन की जिम्मेदारी केवल सत्ता पक्ष की नहीं है, बल्कि विपक्ष का भी उतना ही योगदान है। उन्होंने कहा कि विपक्षी विधायक हमेशा सदन में मर्यादापूर्वक अपनी बात रखेंगे और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करेंगे। यह बयान इस बात का प्रमाण है कि सभी दलों के नेताओं में सदन के संचालन को लेकर गंभीरता है।
टीकाराम जूली ने यह भी कहा कि सत्र के दौरान विपक्ष सरकार से निर्णायक सवाल करेगा, लेकिन यह सब संवेदनशीलता और संस्कारों के साथ किया जाएगा।