मनीषा शर्मा। राजस्थान के पाली जिले में एक नया ऑक्सीजन जोन विकसित किया जा रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 30 बीघा भूमि पर फैले इस जंगल में 100 से अधिक प्रजातियों के एक लाख पौधे लगाए जाएंगे, जो अकीरा मीयावा तकनीक के माध्यम से तीन वर्षों में 40 फीट तक ऊंचाई प्राप्त कर लेंगे।
इस घने जंगल से न केवल स्थानीय जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आसपास के क्षेत्र में तापमान में 10 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की जाएगी। इस प्रोजेक्ट को मोहनलाल सायरचंद कवाड़ चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शुरू किया जा रहा है और इसकी देखरेख फॉरेस्ट क्रिएटर्स एनजीओ द्वारा की जाएगी। इस परियोजना पर कुल 4 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन 2 फरवरी 2025 को सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर द्वारा किया जाएगा।
कैसा होगा यह ऑक्सीजन जोन?
पाली जिले के गिरादड़ा गांव में रोकड़िया हनुमान मंदिर के सामने इस ऑक्सीजन जोन की स्थापना की जा रही है। यह स्थान पाली शहर से लगभग 8-9 किलोमीटर दूर स्थित है। परियोजना के पहले चरण में 100 से अधिक प्रजातियों के एक लाख पौधे लगाए जाएंगे, जिनमें फलदार, फूलदार और औषधीय पौधे शामिल होंगे।
इस जंगल में हर पौधे के बीच केवल 2-2 फीट की दूरी रखी जाएगी ताकि यह जल्दी घना हो सके। इस जंगल में स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जाएगा और 2.26 लाख लीटर क्षमता वाला एक जल टैंक भी तैयार किया गया है, जिससे पौधों को नियमित रूप से पानी दिया जाएगा।
तीन वर्षों में घना जंगल, 40 फीट तक बढ़ेंगे पेड़
इस परियोजना के लिए जिम्मेदार फॉरेस्ट क्रिएटर्स एनजीओ के संस्थापक डॉ. आरके नायर ने बताया कि डॉ. अकीरा मीयावा पद्धति का उपयोग करके इस जंगल को विकसित किया जाएगा। यह तकनीक पहले भी सफल साबित हुई है और इससे रोपित किए गए पौधों की 98% से अधिक सफलता दर होती है।
पेड़ों की बढ़त इस प्रकार होगी:
- 1 साल बाद: 12-15 फीट ऊंचाई
- 2 साल बाद: 25-30 फीट ऊंचाई
- 3 साल बाद: 35-40 फीट ऊंचाई
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पौधे सामान्य से चार गुना तेजी से बढ़ते हैं और बहुत कम जगह में घना जंगल विकसित किया जा सकता है।
क्या है अकीरा मीयावा पद्धति?
डॉ. अकीरा मीयावा जापान के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, जिन्होंने प्राकृतिक वनों को तेजी से विकसित करने की तकनीक विकसित की। इस पद्धति में पौधों को बेहद पास-पास लगाया जाता है ताकि वे एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर तेजी से बढ़ें और घना जंगल बनाएं।
इस तकनीक से बनाए गए जंगल में:
- पौधे चार गुना तेजी से बढ़ते हैं।
- पौधों की जड़ें अधिक मजबूत होती हैं, जिससे वे लंबे समय तक जीवित रहते हैं।
- एक साल में जंगल 12-15 फीट तक बढ़ जाता है।
- ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य से अधिक होती है।
- तापमान में 10 डिग्री तक की गिरावट आ सकती है।
भारत में इस पद्धति का उपयोग करके पहले भी कई जगहों पर छोटे जंगल विकसित किए गए हैं, लेकिन राजस्थान में इस स्तर का यह पहला प्रोजेक्ट होगा।
पर्यावरण पर असर: तापमान में होगी 10 डिग्री की गिरावट
विशेषज्ञों के अनुसार, जब यह जंगल पूरी तरह विकसित हो जाएगा, तो इससे कई पर्यावरणीय लाभ होंगे:
आसपास के इलाकों में 10 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में गिरावट आएगी।
यह जंगल हवा को शुद्ध करेगा और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाएगा।
बारिश के पानी को संरक्षित करने में मदद करेगा, जिससे भूजल स्तर में वृद्धि होगी।
तेज आंधी और धूल भरी हवाओं से बचाव करेगा।
जैव विविधता को बढ़ावा देगा और पक्षियों तथा अन्य जीवों के लिए सुरक्षित आवास बनेगा।
पौधों की सिंचाई के लिए आधुनिक तकनीक
मोहनलाल सायरचंद कवाड़ चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी शांतिलाल कवाड़ ने बताया कि इस जंगल की सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर पद्धति का उपयोग किया जाएगा। साथ ही, यहां 2.26 लाख लीटर क्षमता का एक जल टैंक बनाया गया है, जो बारिश के पानी को स्टोर करेगा।
बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए ड्रेनेज सिस्टम भी विकसित किया गया है, जिससे पानी बहकर सीधे टैंक में इकट्ठा होगा। इससे जंगल में पानी की कमी नहीं होगी।
जंगल में बनाए जाएंगे वॉकिंग ट्रैक और सिटिंग एरिया
ऑक्सीजन जोन में लोगों के घूमने और आराम करने के लिए भी विशेष सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
जंगल के चारों ओर 10 फीट चौड़े वॉकिंग ट्रैक बनाए जाएंगे।
अंदर की तरफ 4 फीट चौड़े रास्ते भी होंगे, जिससे लोग जंगल के अंदर घूम सकेंगे।
एक विशेष सर्किल एरिया तैयार किया जाएगा, जहां लोग बैठकर शांति और सुकून का अनुभव कर सकेंगे।
इन पेड़ों को लगाया जाएगा
इस जंगल में लगाए जाने वाले पौधे पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद होंगे। इसमें शामिल हैं:
फलदार पेड़: आम, अनार, पपीता, आंवला, नींबू, खट्टी इमली, जामुन, बेर
फूलों के पौधे: गुलाब, गुड़हल, कनीर, चांदनी
औषधीय पौधे: तुलसी, लेमन ग्रास, अर्जुन, करंज
छायादार वृक्ष: शीशम, सागवान, कदंब, बांस, पीपल
सुपरविजन और मेंटेनेंस
इस प्रोजेक्ट की देखरेख अगले तीन साल तक फॉरेस्ट क्रिएटर्स एनजीओ द्वारा की जाएगी, ताकि यह जंगल सफलतापूर्वक विकसित हो सके। पौधों को तेज हवा और बारिश से बचाने के लिए बांस का सहारा दिया जाएगा।
फॉरेस्ट क्रिएटर्स के अनुसार:
अब तक वे 100 से अधिक घने जंगल विकसित कर चुके हैं।
उन्होंने 20 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं, जिनका 95% सक्सेस रेट रहा है।