शोभना शर्मा, अजमेर। आजकल की भाग-दौड़ भरी लाइफस्टाइल और बच्चों की देखभाल के चलते अधिकांश अभिभावक पैरेंटल बर्नआउट का शिकार हो रहे हैं। यह एक तरह की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकावट है। बच्चे को हर फील्ड में ‘परफेक्ट’ बनाने की कोशिश में माता-पिता खुद को थका देते हैं, जिसका असर न सिर्फ़ उन पर बल्कि बच्चों पर भी पड़ता है। पैरेंटल बर्नआउट के लक्षणों में जल्दी गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, ज़िद करना और असफल होने पर निराशा महसूस करना शामिल है।
पैरेंटल बर्नआउट के लक्षण:
- शारीरिक और भावनात्मक थकावट का अनुभव।
- पैरेंटिंग को लेकर शर्मिंदगी महसूस करना।
- बच्चों से भावनात्मक रूप से अलग महसूस करना।
- बच्चों से रिश्ते की मजबूती में कमी आना।
पैरेंटल बर्नआउट के कारण:
- काम का बोझ: बिना आराम किए लगातार काम करना।
- सपोर्ट न मिलना: कामकाजी माओं के लिए चुनौतीपूर्ण।
- तारीफ न मिलना: सराहना की कमी से चिड़चिड़ापन और बर्नआउट।
इससे निपटने के उपाय:
- खुद के लिए समय निकालें: अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और अपने लिए समय निकालें।
- मदद मांगने से न हिचकिचाएं: कामकाजी हैं तो सहयोग मांगें।
- जिम्मेदारियों को बांटें: परवरिश की जिम्मेदारी को साझा करें।
- लोगों से मिले-जुलें: अपने जीवन को बच्चे तक सीमित न करें, अपने प्रियजनों से मिलें।
- ऐसे लक्ष्य हानिकारक हैं: बच्चों पर अपने सपनों का बोझ न डालें।
पैरेंटल बर्नआउट से बचने के लिए यह आवश्यक है कि आप खुद की देखभाल करें और जिम्मेदारियों को बांटकर जीवन को संतुलित बनाएं। इससे आप न सिर्फ़ खुश रहेंगे बल्कि आपके बच्चे भी स्वस्थ और खुशहाल रहेंगे।