शोभना शर्मा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) के रूप में मनाया जाता है। इसे जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विशेष पूजा की जाती है, विशेषकर उनके वामन रूप की। इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी व्रत 14 सितंबर 2024, शनिवार को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि इसे करने से आर्थिक समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है।
तिथि और समय (Parivartini Ekadashi Date and Time)
परिवर्तिनी एकादशी व्रत की तिथि 13 सितंबर को रात 10:30 बजे से शुरू होकर 14 सितंबर की रात 8:41 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 14 सितंबर की सुबह 6:06 बजे से शुरू होगा। इस दिन उत्तराषाढा नक्षत्र और शोभन योग का संयोग बन रहा है, जो ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी दिन व्रत करने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
पूजा विधि (Parivartini Ekadashi Puja Vidhi)
परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत करने वाले को प्रातःकाल स्नान करके भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद हाथ में जल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प करें। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु या वामन रूप की प्रतिमा की स्थापना करें। भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं और फिर पीले वस्त्र, चंदन, फूल, और तुलसी के पत्तों से भगवान का श्रृंगार करें। इसके बाद भगवान को नैवेद्य अर्पित करें और परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा (Parivartini Ekadashi Vrat Katha)
परिवर्तिनी एकादशी की कथा महाभारत के समय से जुड़ी है। कथा के अनुसार, पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नारद मुनि और ब्रह्मा जी की वार्ता सुनाई, जिसमें नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से पूछा कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु की किस रूप में पूजा की जाती है। ब्रह्मा जी ने बताया कि इस दिन भगवान हृषिकेश की पूजा होती है।
इसके अलावा, एक अन्य कथा के अनुसार, सत्य युग में राजा मान्धाता के राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा था, जिससे राज्य में सूखा पड़ गया। अंगिरा ऋषि ने राजा मान्धाता को भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। जब राजा और प्रजा ने इस व्रत का पालन किया, तो राज्य में वर्षा हुई और सभी समस्याओं का अंत हो गया।
व्रत का महत्व (Significance of Parivartini Ekadashi)
परिवर्तिनी एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत से आर्थिक संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से जीवन के सभी कष्ट और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। इसके साथ ही यह व्रत करने से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
विष्णु पुराण के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ होता है जो अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की इच्छा रखते हैं।
एकादशी व्रत के लाभ (Benefits of Parivartini Ekadashi Vrat)
- आर्थिक संकट से मुक्ति: इस व्रत को करने से आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- सुख-समृद्धि: घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार में खुशहाली आती है।
- पापों का नाश: इस व्रत को करने से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: इस व्रत के दौरान उपवास करने से शरीर शुद्ध होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह न केवल आर्थिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है बल्कि जीवन को सुख-समृद्धि और शांति से भर देता है। भगवान विष्णु की कृपा से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस वर्ष 14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन जरूर करें और भगवान विष्णु की पूजा कर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करें।