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PCOS: महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण, लक्षण और इलाज

PCOS: महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण, लक्षण और इलाज

शोभना शर्मा। PCOS (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक हॉर्मोनल कंडीशन है, जो महिलाओं में ओवरी की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। PCOS के चलते अंडाशय (ओवरी) से अंडा समय पर या बिल्कुल भी नहीं निकलता। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं में पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं, और वे अन्य समस्याओं का सामना कर सकती हैं। PCOS से पीड़ित महिलाओं में मेल हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे चेहरे और शरीर पर असामान्य बाल उग सकते हैं, जिसे हिर्सुटिज्म (Hirsutism) कहते हैं। PCOS का सीधा संबंध इंसुलिन रेजिस्टेंस से भी है, जो टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है। जब शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, तो ओवरीज अधिक मेल हॉर्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन करने लगती हैं। इसके कारण महिलाओं को इंफर्टिलिटी, वजन बढ़ना, और अन्य हॉर्मोनल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

PCOS के लक्षण

PCOS के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. अनियमित पीरियड्स: पीरियड्स का न आना या बहुत लंबा गैप होना।
  2. हिर्सुटिज्म: चेहरे, छाती, पेट, या पीठ पर अनचाहे बाल उगना।
  3. वजन बढ़ना: अचानक वजन बढ़ना या मोटापा।
  4. मुंहासे: चेहरे पर एक्ने या अन्य स्किन समस्याएं।
  5. बालों का झड़ना: सिर के बाल पतले या झड़ने लगते हैं।
  6. इंफर्टिलिटी: गर्भधारण में कठिनाई।

हालांकि, कई महिलाओं में PCOS के लक्षण न के बराबर होते हैं और उन्हें इसका एहसास तब तक नहीं होता, जब तक वे प्रेग्नेंसी में कठिनाइयों का सामना नहीं करतीं।

PCOS के कारण

PCOS का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन इंसुलिन रेजिस्टेंस, जेनेटिक्स, और हॉर्मोनल असंतुलन इसके पीछे की प्रमुख वजहें मानी जाती हैं। इसके अन्य कारण इस प्रकार हो सकते हैं:

  1. मेल हॉर्मोन की वृद्धि: जब शरीर में मेल हॉर्मोन्स बढ़ जाते हैं, तो अंडाशय सही ढंग से काम नहीं कर पाता।

  2. इंसुलिन रेजिस्टेंस: शरीर इंसुलिन को सही से उपयोग नहीं कर पाता, जिससे मेल हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ जाता है।

  3. जेनेटिक्स: अगर परिवार में किसी को PCOS है, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।

क्या PCOS अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है?

PCOS के कारण डायबिटीज, हाइपरटेंशन, और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, वजन बढ़ने के कारण कई और स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा भी अधिक रहता है।

PCOS का निदान कैसे होता है?

PCOS का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच कर सकते हैं:

  1. पीरियड्स हिस्ट्री: पीरियड्स के नियमितता के बारे में जानकारी।

  2. ब्लड टेस्ट: मेल हॉर्मोन की मात्रा की जांच।

  3. अल्ट्रासाउंड: ओवरीज में सिस्ट की मौजूदगी की जांच करने के लिए लोअर एबडॉमिनल स्कैन।

सावधानी और इलाज

डॉ. शिल्पा तिवारी कहती हैं कि कई बार 18-19 साल की लड़कियों में भी PCOS की शिकायत आती है, लेकिन इतनी कम उम्र में इसका निदान जल्दबाजी हो सकता है क्योंकि ओवरी का विकास अभी भी हो रहा होता है। इसलिए केवल अल्ट्रासाउंड के आधार पर PCOS का निदान नहीं किया जाना चाहिए।

PCOS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। आमतौर पर लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे कि स्वस्थ डाइट, नियमित व्यायाम, और वजन नियंत्रण इस स्थिति को बेहतर बनाने में मददगार होते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर मेटफॉर्मिन जैसे दवाओं की सलाह दे सकते हैं, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

क्या PCOS होने पर प्रेग्नेंसी संभव है?

हां, PCOS होने के बावजूद प्रेग्नेंसी संभव है। हालांकि, इसे कंसीव करने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है और गर्भावस्था के दौरान कुछ कॉम्प्लिकेशंस का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी प्लानिंग के दौरान डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि उचित ट्रीटमेंट और मॉनिटरिंग की जा सके।

मीनोपॉज के बाद PCOS

मीनोपॉज के बाद भी PCOS जारी रह सकता है और हॉर्मोनल बदलाव के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मीनोपॉज के बाद भी PCOS से संबंधित समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उचित ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

PCOS के इलाज के लिए जीवनशैली में बदलाव

PCOS के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव कारगर हो सकते हैं:

  1. वजन नियंत्रण: वजन कम करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार होता है।
  2. स्वस्थ डाइट: लो-कार्ब और उच्च फाइबर युक्त आहार लेना फायदेमंद होता है।
  3. व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करने से हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है।
  4. तनाव प्रबंधन: योग और ध्यान से तनाव कम किया जा सकता है, जिससे हॉर्मोनल असंतुलन नियंत्रित रहता है।

PCOS एक हॉर्मोनल असंतुलन की स्थिति है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है। हालांकि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही जीवनशैली और उपचार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। PCOS से पीड़ित महिलाओं को अपने डॉक्टर से नियमित परामर्श लेना चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर जोर देना चाहिए। इससे वे न केवल इस कंडीशन को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकेंगी, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन भी जी सकेंगी।

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