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पायलट का बीजेपी पर निशाना: हर चुनाव सरकार के लिए चुनौती

पायलट का बीजेपी पर निशाना: हर चुनाव सरकार के लिए चुनौती

मनीषा शर्मा। राजस्थान में आगामी उपचुनावों के पहले राजनीतिक माहौल गरमा गया है, जहां कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर कड़े शब्दों में हमला बोला है। जयपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान सचिन पायलट ने राज्य में बीजेपी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए और कहा कि “हर चुनाव एक चुनौती होती है, और यह उपचुनाव बीजेपी सरकार के लिए चुनौती साबित होगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में जनता का सरकार से मोह भंग हो चुका है, जो कि किसी भी सरकार के लिए पहली बार देखने को मिल रहा है।

जल जीवन मिशन का ठप पड़ना और ग्रामीण विकास में विफलता

सचिन पायलट ने जल जीवन मिशन का उल्लेख करते हुए बताया कि यह योजना पूरी तरह से ठप पड़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य भी रुक गए हैं और राज्य में वित्तीय संकट गहरा रहा है। उनके अनुसार, “सरकार में प्रशासनिक ढांचे में समन्वय की भारी कमी है, जिससे बाबुओं और अधिकारियों के बीच आपसी खींचतान के कारण योजनाओं पर अमल नहीं हो पा रहा है।” पायलट का मानना है कि सरकार में सत्ता के कई केंद्र बनने से सामान्य लोगों को नुकसान हो रहा है और जनता को अब जवाबदेही का एहसास कराने का समय आ गया है।

निवेश दावों पर पायलट का सवाल

बीजेपी सरकार द्वारा बार-बार निवेश लाने के दावों पर भी सचिन पायलट ने सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि सरकार ने 14 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन किए हैं, लेकिन ये समझौते तीन-तीन बार साइन किए जा चुके हैं, जिससे सरकार की गंभीरता पर सवाल उठता है। पायलट ने कहा, “एमओयू का बार-बार साइन करना सिर्फ कागजी कार्रवाई है। इससे निवेश जमीन पर नहीं आता।” उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल का जिक्र करते हुए बताया कि उनके समय भी इस तरह के समझौते किए गए थे, लेकिन धरातल पर काम बहुत कम देखने को मिला।

रोडवेज बस विवाद और बीजेपी सरकारों में तालमेल की कमी

पायलट ने रोडवेज बसों के चालान काटे जाने के मुद्दे को बीजेपी सरकारों में तालमेल की कमी का उदाहरण बताया। हरियाणा और राजस्थान दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं, लेकिन फिर भी रोडवेज बस विवाद जैसे छोटे मामले को लेकर टकराव हो रहा है। पायलट ने सवाल किया कि जब केंद्र और दोनों राज्यों में बीजेपी की ही सरकार है, तो फिर ऐसे मुद्दों पर तालमेल क्यों नहीं हो पा रहा है। पायलट के अनुसार, “यह रोडवेज बस का मामला एक उदाहरण मात्र है। राज्य सरकारों के बीच तालमेल की कमी के कारण आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।”

पानी के बंटवारे पर पारदर्शिता का अभाव

पानी के बंटवारे के मुद्दे पर पायलट ने मध्यप्रदेश और हरियाणा के साथ राजस्थान के किए गए समझौतों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि “पानी के बंटवारे के एमओयू को सार्वजनिक नहीं किया गया है। सरकार ने घोषणा कर दी, लेकिन जनता को इसकी जानकारी नहीं दी कि उन समझौतों में क्या लिखा है।” पायलट ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में पारदर्शी है, तो उसे इन समझौतों को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि लोग जान सकें कि उनके हित में क्या किया जा रहा है।

गौसेवा के दावों पर सचिन पायलट की तीखी प्रतिक्रिया

बीजेपी द्वारा गायों के संरक्षण के मुद्दे पर पायलट ने भी अपनी राय व्यक्त की। पायलट के अनुसार, “बीजेपी सरकार सिर्फ नाम बदलने और गाय के नाम पर वोट बटोरने का काम कर रही है। आज राज्य में आवारा पशु बड़ी संख्या में सड़कों पर घूम रहे हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर सिर्फ बयानबाजी कर रही है।” पायलट ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा गौसेवा को प्राथमिकता दी है, लेकिन बीजेपी सरकार केवल चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने बीजेपी से आंकड़े प्रस्तुत करने की मांग की कि उन्होंने गायों की सेवा पर कितना खर्च किया है।

इंडिया गठबंधन के एकजुट होने पर पायलट का भरोसा

सचिन पायलट ने यह भी कहा कि इंडिया गठबंधन एकजुट है और आगामी चुनावों में बीजेपी का कड़ा मुकाबला करेगा। उन्होंने कहा कि “बीजेपी के खिलाफ पूरे देश में असंतोष का माहौल बन चुका है, और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए इनकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।” पायलट ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के तेवर की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित की है, लेकिन बीजेपी सरकार सवालों का जवाब देने में विफल रही है।

 जनता को जागरूक और संगठित होने का आह्वान

सचिन पायलट के इस बयान के बाद से राजस्थान का राजनीतिक तापमान और अधिक बढ़ गया है। उन्होंने अपने बयानों के माध्यम से बीजेपी सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पायलट का मानना है कि कांग्रेस के सातों उम्मीदवार मजबूत हैं और इस बार बीजेपी को एक कड़ा सबक सिखाने का समय आ गया है। जनता को जागरूक और संगठित होकर सत्ता के इस अहंकार को तोड़ना होगा ताकि लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हो सकें।

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