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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान: 10 साल बाद लौटे पिन टेल पक्षी

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान: 10 साल बाद लौटे पिन टेल पक्षी

शोभना शर्मा। राजस्थान के भरतपुर स्थित केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में इस साल प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट ने जीवंतता भर दी है। विशेषकर यूरेशिया से आए पिन टेल पक्षियों ने इस बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित किया है। लगभग 3500 किलोमीटर की यात्रा तय कर 2000 से अधिक पिन टेल पक्षी यहां पहुंचे हैं। यह दुर्लभ घटना करीब 10 साल बाद हुई है, जब इतने बड़ी संख्या में यह पक्षी उद्यान की झीलों में नजर आए हैं।

घना की झीलों में पानी भरने से बढ़ा आकर्षण

केवलादेव उद्यान के डीएफओ मानससिंह के अनुसार, इस बार पक्षियों के लौटने का मुख्य कारण उद्यान की झीलों में पर्याप्त पानी का भरा होना है। पांचना और गोवर्धन ड्रेन से लगभग 640 एमसीएफटी पानी आने से झीलें लबालब हो गई हैं। यह पानी झीलों के लिए जीवनरेखा साबित हुआ है, जो करीब 9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हैं।

पिन टेल पक्षियों की खासियत

पिन टेल पक्षी अपनी सुंदरता और अनोखी फीडिंग शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। भूरे रंग के इन पक्षियों की पूंछ पिन जैसी होती है, इसलिए इन्हें पिन टेल कहा जाता है। इनके प्रवास का सीधा संबंध सर्दियों से होता है। इस बार सर्दी देर से शुरू होने के कारण दिसंबर में ये पक्षी यहां पहुंचे हैं। भरतपुर में ये पक्षी फरवरी तक रहेंगे और इस दौरान पर्यटकों को इनका नजारा करने का अद्भुत मौका मिलेगा।

प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे पर्यटक

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इस उद्यान में हजारों पक्षी प्रेमी और पर्यटक हर साल प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनंद लेने आते हैं। पिन टेल के आगमन ने इस बार इन सैलानियों के अनुभव को और खास बना दिया है।

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