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राजस्थान में पुलिस बनाम परिवहन विभाग की जंग रोजाना 10 करोड़ का घाटा

राजस्थान में पुलिस बनाम परिवहन विभाग की जंग रोजाना 10 करोड़ का घाटा

शोभना शर्मा , अजमेर। राजस्थान में पुलिस और परिवहन विभाग के बीच टकराव ने प्रदेश को भारी नुकसान की ओर धकेल दिया है। सरकारी राजस्व की वसूली पूरी तरह से ठप हो गई है और इससे रोजाना लगभग 10 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब धौलपुर जिले में एसपी सुमित मेहरड़ा ने परिवहन विभाग के दो निरीक्षकों को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना के बाद पूरे परिवहन विभाग ने हड़ताल का ऐलान कर दिया, जिससे राजस्व वसूली ठप हो गई और RTO का कामकाज पूरी तरह से बंद हो गया। यह विवाद केवल प्रशासनिक स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी इसकी गूंज सुनाई देने लगी है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस मामले को पुलिस और परिवहन विभाग के बीच “चौथ वसूली” की लड़ाई बताया है। उनका कहना है कि सरकार की निष्क्रियता के कारण प्रदेश में लगातार राजस्व घाटा बढ़ रहा है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

2 फरवरी को धौलपुर में पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुमित मेहरड़ा ने चेक पोस्ट चेकिंग के दौरान परिवहन विभाग के निरीक्षक अनिल कुमार और शैलेंद्र वर्मा को गिरफ्तार कर थाने ले गए। इस घटना के बाद पूरे परिवहन विभाग में आक्रोश फैल गया और उन्होंने कार्य बहिष्कार कर दिया। हड़ताल के चलते परिवहन विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया, जिससे राज्य को भारी वित्तीय नुकसान झेलना पड़ रहा है। परिवहन विभाग की हड़ताल के चलते न केवल राजस्व वसूली पर असर पड़ा है, बल्कि चेक पोस्ट पर लगने वाले करों और लाइसेंस फीस का भुगतान भी नहीं हो रहा है। इसी कारण से प्रदेश को हर दिन 10 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है, लेकिन इस गंभीर समस्या का अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस पूरे विवाद को पुलिस और परिवहन विभाग के बीच “चौथ वसूली” की जंग करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर दिन करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है, लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पुलिस विभाग के मुखिया हैं और उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा परिवहन विभाग के प्रमुख हैं। ऐसे में दोनों विभागों के अधिकारी अवैध वसूली को लेकर आपस में लड़ रहे हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश में सभी चेक पोस्ट खत्म कर दिए गए थे, लेकिन बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही परिवहन विभाग ने फिर से चेक पोस्ट शुरू कर दिए। अब पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी वाहनों से अवैध वसूली को लेकर आपस में भिड़े हुए हैं।

चौथ वसूली को लेकर क्यों बढ़ी तनातनी?

खाचरियावास ने दावा किया कि धौलपुर में पुलिस और परिवहन विभाग की चौकियां पास-पास हैं, जिससे दोनों विभागों में टकराव की स्थिति बनी हुई है। यदि परिवहन विभाग के अधिकारी वाहनों की जांच करते हैं, तो पुलिस को परेशानी होती है, और अगर पुलिस चेकिंग करती है, तो परिवहन विभाग के कर्मचारियों को अवैध वसूली करने में दिक्कत आती है। यही वजह है कि दोनों विभागों के अधिकारी आपस में भिड़ गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार इस मामले में चुप क्यों है? यदि एसपी ने परिवहन विभाग के निरीक्षकों को पूरी रात थाने में बिठाकर रखा, तो सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इसमें सही कौन है—पुलिस या परिवहन विभाग?

सरकार की चुप्पी से जनता में नाराजगी

राजस्थान में इस विवाद के चलते न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम जनता भी प्रभावित हो रही है। आरटीओ और परिवहन विभाग की हड़ताल के कारण वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। ट्रक, बस और अन्य वाणिज्यिक वाहनों के परमिट और टैक्स से जुड़ा काम पूरी तरह से ठप हो गया है। सरकार की चुप्पी को लेकर विपक्षी दलों ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह सरकार प्रशासनिक मामलों को संभालने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। खाचरियावास ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “यह सरकार नहीं, बल्कि सर्कस है।”

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