मनीषा शर्मा। राजस्थान की स्कूली शिक्षा को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक जंग छिड़ गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खोले गए इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर पुनर्विचार के लिए एक कैबिनेट कमेटी का गठन किया है। इसके बाद कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई बड़े नेताओं ने भाजपा सरकार पर शिक्षा के क्षेत्र में पीछे धकेलने और निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।
क्यों छिड़ा विवाद?
भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कई बड़े फैसलों को पलटते हुए नए जिले और संभाग रद्द कर दिए। अब सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर पुनर्विचार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में बनी कमेटी इस बात पर विचार करेगी कि इन स्कूलों को वापस हिंदी मीडियम में बदला जाए या नहीं।
अशोक गहलोत सरकार के दौरान राज्य में करीब 3,500 से अधिक सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदला गया था। इन स्कूलों को महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल का नाम दिया गया था। स्थानीय नेताओं और जनता की मांग पर यह पहल हुई, जिसमें गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को कम खर्च में अच्छी अंग्रेजी शिक्षा देने का प्रयास किया गया।
गहलोत का आरोप: सरकारी शिक्षा बर्बाद कर रही भाजपा
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार सरकारी शिक्षा को बर्बाद करने पर उतारू है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा करना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार निजी स्कूलों के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर इन स्कूलों में कोई खामी है, तो उसे सुधारने के प्रयास होने चाहिए। लेकिन स्कूलों को वापस हिंदी मीडियम में बदलने का फैसला लाखों गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।
डोटासरा ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार को गरीब-विरोधी और शिक्षा-विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को डर है कि कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके उनके बराबर न आ जाएं।
डोटासरा ने कमेटी की संरचना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें कोई शिक्षाविद या विशेषज्ञ शामिल नहीं है। उन्होंने इसे राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित फैसला बताया। डोटासरा ने चेतावनी दी कि अगर भाजपा सरकार ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को बंद किया, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।
भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा सरकार का फैसला निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के बच्चे तो महंगे अंग्रेजी स्कूलों और विदेशों में पढ़ते हैं, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है।
जूली ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जानबूझकर गरीब और वंचित वर्ग को शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रखना चाहती है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर जनविरोधी फैसला लिया गया, तो कांग्रेस इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
क्या कहती है भाजपा सरकार?
भजनलाल सरकार का तर्क है कि कांग्रेस सरकार ने बिना पर्याप्त संसाधनों और प्रशिक्षित स्टाफ के सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदलने का फैसला लिया था। इस वजह से कई स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाई।
भाजपा सरकार का कहना है कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर पुनर्विचार का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। कैबिनेट कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
कांग्रेस का आंदोलन और भविष्य की रणनीति
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर भाजपा सरकार ने इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद किया या हिंदी मीडियम में बदला, तो पार्टी व्यापक आंदोलन करेगी। अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा और अन्य नेताओं ने कहा कि यह मुद्दा केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का भी है।