शोभना शर्मा। राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों की मांग को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। छात्रसंघ चुनावों के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के बीच लगातार बयानबाज़ी हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने एक ट्वीट के जरिये राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग की है। दूसरी ओर, बीजेपी के दिग्गज नेता भी इस मांग के समर्थन में उतर आए हैं।
गहलोत की चुनाव करवाने की मांग
अशोक गहलोत ने अपने ट्वीट में लिखा कि वर्तमान परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उचित नहीं है। गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार के समय विधानसभा चुनावों की तैयारी के चलते छात्रसंघ चुनाव स्थगित किए गए थे, लेकिन अब ऐसी कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की राजनीति में कई नेता छात्रसंघ राजनीति से उभरकर आए हैं, जिनमें वे स्वयं भी शामिल हैं।
गहलोत ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि छात्रसंघ चुनाव राजनीति की प्रारंभिक पाठशाला हैं और इन चुनावों को जल्द से जल्द करवाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने छात्र नेताओं पर हो रहे बलप्रयोग की निंदा भी की और चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता की पालना की बात कही।
छात्रसंघ चुनाव को लेकर आंदोलन तेज
राजस्थान के विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनावों की मांग को लेकर लगातार आंदोलन हो रहे हैं। इन आंदोलनों में NSUI के साथ-साथ बीजेपी के अनुशांगिक संगठन ABVP भी सक्रिय है। छात्र नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार चुनाव करवाने से बच रही है, जबकि छात्रों की ओर से लगातार इसकी मांग की जा रही है।
हालांकि, राज्य सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कुछ समय पहले कहा था कि सरकार का फिलहाल छात्रसंघ चुनाव करवाने का कोई इरादा नहीं है।
बीजेपी नेताओं का दबाव
बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्य सरकार पर चुनाव जल्द से जल्द करवाने का दबाव डाला है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों से उभरकर आए कई नेता आज बड़े पदों पर हैं, इसलिए यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।
इसके अलावा, वर्तमान विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी सरकार से चुनाव करवाने की मांग की है। भाटी का कहना है कि छात्रसंघ राजनीति से नई पीढ़ी को राजनीति में कदम रखने का अवसर मिलता है, और इसे रोकना उचित नहीं है।
छात्रसंघ चुनावों की मांग अब राज्य की राजनीति में एक अहम मुद्दा बन चुकी है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच बयानबाज़ी और आंदोलन से यह साफ हो गया है कि यह मुद्दा आने वाले समय में और भी गरमाएगा।