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अढ़ाई दिन का झोपड़ा: मंदिर और संस्कृत कॉलेज के दावे पर सियासत गरमाई

अढ़ाई दिन का झोपड़ा: मंदिर और संस्कृत कॉलेज के दावे पर सियासत गरमाई

शोभना शर्मा, अजमेर।   अजमेर के ऐतिहासिक स्थल ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ पर मंदिर और संस्कृत कॉलेज होने के दावे ने एक बार फिर से सियासी और धार्मिक बहस को जन्म दिया है। भाजपा नेता और अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने हाल ही में दावा किया कि यह स्थल आक्रमणकारियों द्वारा तोड़े गए एक संस्कृत विद्यालय और मंदिर का अवशेष है। इस विवाद ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: क्या है अढ़ाई दिन का झोपड़ा?

अढ़ाई दिन का झोपड़ा अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के पास स्थित एक प्राचीन इमारत है। यह संरचना 12वीं सदी में दिल्ली के सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाई गई थी। इसे मूल रूप से एक संस्कृत विद्यालय और मंदिर माना जाता है, जिसे मुस्लिम आक्रमण के दौरान तोड़कर मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। इस इमारत का नाम ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ पड़ने के पीछे कई मान्यताएं हैं। कुछ कहते हैं कि इसे केवल ढाई दिनों में बनाया गया था, जबकि अन्य का मानना है कि यहां ढाई दिन तक एक खास धार्मिक आयोजन हुआ था।

नीरज जैन के दावे: मंदिर और संस्कृत कॉलेज के सबूत

भाजपा नेता नीरज जैन ने दावा किया कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक मंदिर और संस्कृत विद्यालय का अवशेष है। उनके अनुसार, इमारत में स्वास्तिक, घंटियां और संस्कृत में लिखे श्लोक जैसे कई प्रतीक पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के पास यहां से प्राप्त 250 मूर्तियां सुरक्षित हैं, जो इस दावे को समर्थन देती हैं। उन्होंने यह भी कहा, “हमारी संस्कृति और शिक्षा प्रणाली पर आक्रमणकारियों ने हमला किया और इसे तहस-नहस कर दिया। यह भी उसी षड्यंत्र का हिस्सा है।”

एएसआई की भूमिका और संरक्षित स्मारक का दर्जा

अढ़ाई दिन का झोपड़ा एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक है, और इस पर किसी भी प्रकार के धार्मिक या सियासी परिवर्तन पर रोक है। एएसआई ने इस स्थल को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया है। नीरज जैन ने सरकार से मांग की कि इस स्थल की पुरातात्विक जांच की जाए और इसे इसके पुराने स्वरूप में लौटाने का प्रयास किया जाए।

जैन मुनियों और विश्व हिंदू परिषद का समर्थन

इस विवाद में जैन मुनि और विश्व हिंदू परिषद ने भी नीरज जैन के दावों का समर्थन किया है। मई 2024 में, जैन धर्मगुरुओं ने इस स्थल का दौरा किया और इसे संस्कृत विद्यालय और मंदिर का अवशेष बताया। उन्होंने इस संरचना के एएसआई सर्वेक्षण की मांग की थी।

सियासी और धार्मिक बहस

अढ़ाई दिन का झोपड़ा को लेकर मंदिर और मस्जिद के दावे के बाद सियासी और धार्मिक बहस तेज हो गई है। भाजपा इसे भारत की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक बताकर हिंदू संगठनों का समर्थन हासिल करना चाहती है। वहीं, अन्य पक्षों का कहना है कि यह विवाद जानबूझकर धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए खड़ा किया जा रहा है।

विवाद के संभावित नतीजे

  1. सांप्रदायिक तनाव: मंदिर-मस्जिद विवाद से क्षेत्र में सांप्रदायिक माहौल खराब होने की आशंका है।

  2. पुरातात्विक जांच: अगर सरकार और एएसआई जांच के लिए सहमत होते हैं, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है।

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