शोभना शर्मा। दिल्ली और एनसीआर के बाद अब जयपुर भी प्रदूषण के गंभीर संकट का सामना कर रहा है। पिछले पांच दिनों में जयपुर का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। शहर के कई हिस्सों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 400 से ऊपर है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जयपुर में वर्तमान प्रदूषण का असर रोजाना 10-15 सिगरेट पीने के बराबर है।
जयपुर का एक्यूआई: गंभीर श्रेणी में पहुंचा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, जयपुर का वायु गुणवत्ता स्तर लगातार खराब हो रहा है।
16 नवंबर: 188 (मध्यम)
17 नवंबर: 189
18 नवंबर: 210 (खराब)
19 नवंबर: 220
20 नवंबर: औसत 251 (बेहद खराब)
शहर के प्रमुख क्षेत्रों जैसे सीतापुरा, मानसरोवर और मुरलीपुरा में प्रदूषण का स्तर 400 से ऊपर पहुंच गया है, जिसे “गंभीर” श्रेणी में रखा गया है।
कोहरे नहीं, स्मॉग की चादर है जिम्मेदार
जयपुर में सुबह और शाम के समय आसमान में एक मोटी परत दिखाई दे रही है, जिसे लोग कोहरा समझ रहे हैं। हालांकि यह वास्तव में स्मॉग है, जो प्रदूषण और नमी के कारण बनता है। विशेषज्ञों के अनुसार, स्मॉग प्रदूषण के बढ़ते खतरे का संकेत है।
प्रदूषण के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
जयपुर में बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है:
- सांस लेने में कठिनाई
- आंखों में जलन
- गले और फेफड़ों में संक्रमण
- अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी
पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि एक्यूआई 500 तक पहुंच गया, तो यह रोजाना 30 सिगरेट के बराबर धुएं के संपर्क के समान होगा।
डॉक्टरों की 7 जरूरी सलाह
प्रदूषण के बढ़ते असर से बचने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ जरूरी उपाय सुझाए हैं:
गुनगुना पानी पिएं: दिनभर गुनगुने पानी का सेवन करें।
धूल भरे स्थानों से बचें: बाहर जाते समय मास्क पहनें।
निर्माण कार्य रोकें: घर या आसपास निर्माण कार्य कुछ दिनों के लिए स्थगित करें।
पानी का छिड़काव करें: घर के आसपास धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव करें।
आंखों की सुरक्षा: चश्मे का इस्तेमाल करें और जलन होने पर ठंडे पानी से धोएं।
मास्क पहनें: घर से बाहर निकलते समय एन95 मास्क का उपयोग करें।
घरेलू हवा साफ रखें: घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
राजस्थान के अन्य शहरों में भी बढ़ा प्रदूषण
जयपुर के अलावा, राजस्थान के कई अन्य शहर भी प्रदूषण की मार झेल रहे हैं:
अजमेर: एक्यूआई 220
जोधपुर: एक्यूआई 230
कोटा: एक्यूआई 240
उदयपुर: एक्यूआई 210
प्रदूषण के कारण
वाहनों की बढ़ती संख्या
निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल
औद्योगिक उत्सर्जन
ठंड के कारण प्रदूषकों का नीचे सतह पर जमा होना
क्या हो सकता है समाधान?
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना
पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाना
कचरा जलाने पर रोक
निर्माण कार्यों में सावधानी बरतना