मनीषा शर्मा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस पैरालिंपिक-2024 में भारत के शानदार प्रदर्शन के बाद देश लौटे खिलाड़ियों का सम्मान अपने आवास पर गुरुवार को किया। इस दौरान राजस्थान के करौली जिले के टोडाभीम निवासी जैवलिन थ्रो खिलाड़ी सुंदर गुर्जर से भी पीएम मोदी ने मुलाकात की। सुंदर ने पेरिस पैरालिंपिक-2024 में जैवलिन थ्रो (F-46 कैटेगरी) में 64.96 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर कांस्य पदक जीता था। प्रधानमंत्री ने सुंदर से उनके अनुभवों के बारे में पूछा और उन्हें मेडल पहनाकर बधाई दी। सुंदर ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उनके प्रयासों की सराहना की और आगे के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने हमारा हौसला बढ़ाया है। मैं इसी उत्साह के साथ भविष्य में और भी बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करूंगा।”
पेरिस में फोन कर पीएम मोदी ने दी थी बधाई
सुंदर गुर्जर के पैरालिंपिक में पदक जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें पेरिस में फोन पर भी बधाई दी थी। पीएम ने कहा था, “आपने पूरे भारत का नाम रोशन किया है, मुझे बहुत खुशी है।” इस पर सुंदर ने जवाब दिया, “सर, इंजरी के कारण गोल्ड नहीं ला सका।” इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा, “कलर मत देखो, आपने देश के तिरंगे के रंग की ताकत दे दी है।”
एशियाई पैरा गेम्स में भी जीता था गोल्ड
2023 में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स में सुंदर गुर्जर ने 68.60 मीटर की थ्रो कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। यह उनकी एक और बड़ी उपलब्धि थी। इससे पहले, 2021 के टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में भी सुंदर ने कांस्य पदक जीतकर देश का नाम गौरवान्वित किया था।
सुंदर की प्रेरणादायक कहानी
2016 में एक हादसे के दौरान सुंदर का बायां हाथ कट गया था। हादसे के बाद वह गहरी निराशा में चले गए थे और कई महीनों तक अपने माता-पिता से भी नहीं मिले। उन्होंने ठान लिया था कि जब तक वे कुछ बड़ा हासिल नहीं करेंगे, तब तक घर नहीं लौटेंगे। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद सुंदर ने पैरा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर पहली बार अपने गांव देवलेन में कदम रखा। उन्होंने अपने दादा के गले में मेडल डालते हुए कहा था, “मेरे मन में एक जिद थी कि गोल्ड मेडल जीतने के बाद ही घर लौटूंगा।”
प्रधानमंत्री से मिली प्रेरणा
सुंदर गुर्जर का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद उनका आत्मविश्वास और बढ़ा है। मोदी के शब्दों ने उन्हें और भी बेहतर करने के लिए प्रेरित किया है। पैरालिंपिक के बाद भी प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों की हौसला अफजाई कर उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। सुंदर गुर्जर का यह सफर संघर्ष, मेहनत, और समर्पण की प्रेरणादायक कहानी है। उनकी जीत ने न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि लाखों लोगों को यह संदेश भी दिया है कि कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत और दृढ़ता से कामयाबी हासिल की जा सकती है।