शोभना शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जयपुर में नोनेरा-ऐबरा डेम का लोकार्पण किया। यह डेम ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) के तहत तैयार हुआ है। इस डेम का निर्माण 6 वर्षों में पूरा हुआ। 13 अक्टूबर 2018 को इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। कोविड-19 महामारी और अन्य कारणों से परियोजना की समय सीमा कई बार बढ़ाई गई, लेकिन आखिरकार 30 जून 2024 को इसे 1026.32 करोड़ रुपये की लागत से पूरा कर लिया गया। इस डेम का उद्देश्य राजस्थान के 21 जिलों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। खासतौर पर कोटा और बूंदी जिले के 750 गांवों और 6 कस्बों में पेयजल संकट से राहत दिलाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इसके अलावा, इस परियोजना से सिंचाई के लिए भी जल उपलब्ध कराया जाएगा।
नोनेरा-ऐबरा डेम: तकनीकी विशेषताएं और निर्माण विवरण
नोनेरा-ऐबरा डेम का निर्माण कालीसिंध नदी पर किया गया है। डेम की कुल लंबाई 1404 मीटर है और इसकी भराव क्षमता 226.65 मिलियन क्यूबिक मीटर है। पानी की निकासी के लिए इसमें 27 रेडियल गेट लगाए गए हैं।
गेट की विशेषताएं:
- प्रत्येक गेट की ऊंचाई: 16 मीटर
- प्रत्येक गेट की चौड़ाई: 15 मीटर
- संचालन: ऑटोमेटिक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (SCADA)
ये गेट पूरी तरह स्वचालित हैं। पानी का इनफ्लो होने पर ये गेट इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण प्रणाली के जरिए संचालित किए जाएंगे।
डेम की टेस्टिंग सितंबर 2023 में की गई थी। टेस्टिंग के दौरान स्टेट हाइवे-70 (कोटा से श्योपुर) पर तीन दिनों के लिए आवाजाही बंद कर दी गई थी। इस दौरान डेम के सभी गेट बंद कर 217 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी भरकर इसकी मजबूती और संचालन का परीक्षण किया गया।
किन नदियों से डेम को पानी मिलेगा?
इस डेम में तीन मुख्य नदियों से पानी आएगा:
- आहू नदी
- उजाड़ नदी
- परवन नदी
इन नदियों से पानी के संग्रहण की व्यवस्था की गई है ताकि जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा सके और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को राहत दी जा सके।
कोटा और बूंदी के 750 गांवों को मिलेगा पानी
नोनेरा-ऐबरा डेम से कोटा और बूंदी जिले के 750 गांवों को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा इटावा, सुल्तानपुर, केशवरायपाटन, कापरेन, लाखेरी समेत 6 कस्बों में भी पेयजल संकट से राहत मिलेगी। इस परियोजना के लिए कुल 54 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रिजर्व रखा गया है, जो इन गांवों और कस्बों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
21 जिलों को मिलेगा लाभ
नोनेरा-ऐबरा डेम के माध्यम से बाकी जल को राजस्थान के 21 जिलों में भेजा जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य जल संकट से प्रभावित क्षेत्रों में राहत प्रदान करना और किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा को मजबूत करना है।
लाभान्वित जिले:
जयपुर, बूंदी, कोटा, बारां, झालावाड़, सवाई माधोपुर, अजमेर, दौसा, टोंक, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, नागौर, चूरू, झुंझुनूं, बाड़मेर, जालौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और भीलवाड़ा।
जमीन अधिग्रहण: 43 गांवों की भूमि का उपयोग
नोनेरा-ऐबरा डेम के निर्माण के लिए कोटा और बारां जिलों के 43 गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई है। इसमें कुल 3112.24 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हुआ, जिसमें निजी, सरकारी और वन भूमि शामिल हैं।
जमीन अधिग्रहण का विवरण:
- कोटा जिले के 30 गांव:
- कुल जमीन: 2150.22 हैक्टेयर
- निजी भूमि: 359.93 हैक्टेयर
- सरकारी भूमि: 1790.29 हैक्टेयर
दीगोद तहसील:
- अधिग्रहित भूमि: 1444.46 हैक्टेयर
- निजी भूमि: 230.36 हैक्टेयर
- सरकारी भूमि: 1214.10 हैक्टेयर
पीपल्दा तहसील:
- अधिग्रहित भूमि: 705.76 हैक्टेयर
- निजी भूमि: 129.57 हैक्टेयर
- सरकारी भूमि: 576.19 हैक्टेयर
- बारां जिले के 13 गांव:
- कुल जमीन: 962.02 हैक्टेयर
नोनेरा-ऐबरा डेम: कृषि और सिंचाई में योगदान
यह परियोजना केवल पेयजल आपूर्ति तक सीमित नहीं है। इससे किसानों को सिंचाई के लिए जल की भी आपूर्ति की जाएगी। इससे क्षेत्र में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आय में सुधार आएगा।
प्रमुख लाभ:
- फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त जल आपूर्ति।
- जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में खेती का विस्तार।
- किसानों की आय में वृद्धि और जीवन स्तर में सुधार।
परियोजना में देरी के कारण और समाधान
नोनेरा-ऐबरा डेम का निर्माण कार्य 13 अक्टूबर 2018 को शुरू हुआ था। इसे 13 अक्टूबर 2022 तक पूरा करना था, लेकिन कोविड महामारी और विदेशी पार्ट्स की आपूर्ति में देरी के कारण इसकी डेडलाइन बढ़ाकर 30 जून 2024 की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की सफलता के लिए इंजीनियरों और अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह डेम राजस्थान की जल समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस डेम के लोकार्पण का सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी है। यह परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के बीच जल संसाधनों के उपयोग को लेकर समझौते की मिसाल पेश करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह डेम राजस्थान के विकास के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कांग्रेस सरकारों पर जल संसाधनों के मुद्दे को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार जल संकट समाधान को प्राथमिकता देती है।