शोभना शर्मा। राजस्थान में हाल ही में राज्य सरकार द्वारा 9 जिलों को खत्म करने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लगातार उग्र होता जा रहा है। यह विरोध अब तीसरे दिन भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजनीतिक नेताओं के इस्तीफों से लेकर भूख हड़ताल, टायर जलाने और अनिश्चितकालीन धरनों तक, हर जिले में इस फैसले के खिलाफ आमजन की आवाज गूंज रही है।
नीमकाथाना में विरोध चरम पर
नीमकाथाना, जहां 1952 से जिला बनाने की मांग चली आ रही थी, इस फैसले के खिलाफ आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन गया है।
- भूख हड़ताल: जिला बचाओ संघर्ष समिति ने कलेक्ट्रेट के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
- युवाओं का प्रदर्शन: खेतड़ी मोड़ पर युवाओं ने टायर जलाकर प्रदर्शन किया और भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
- नेताओं के इस्तीफे: भाजपा ग्रामीण मंडल महिला मोर्चा चंवरा की अध्यक्ष ममता सैनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा वार्ड 24 की जिला परिषद सदस्य कोयली देवी और वार्ड 4 की पंचायत समिति सदस्य ममता शर्मा ने भी इस्तीफा देकर अपना विरोध दर्ज कराया।
नीमकाथाना के आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार अपने इस फैसले को वापस नहीं लेती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
अनूपगढ़ में अनिश्चितकालीन धरना शुरू
अनूपगढ़ में जिला बचाओ संघर्ष समिति ने भी सरकार के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
धरना प्रदर्शन: मंगलवार से कलेक्ट्रेट के सामने बड़ी संख्या में लोगों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया।
स्थानीय आक्रोश: यहां के लोगों का कहना है कि यह फैसला राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते लिया गया है, जो क्षेत्रीय जनता के हितों के खिलाफ है।
सांचौर में पैदल मार्च और महापड़ाव
सांचौर में जिला खत्म करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन का दूसरा दिन भी जोश और गुस्से से भरा रहा।
महापड़ाव: जिला बचाओ संघर्ष समिति और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने महापड़ाव जारी रखा।
पैदल मार्च: सैकड़ों लोगों ने पैदल मार्च निकालकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
ज्ञापन सौंपा: एसडीएम प्रमोद कुमार को ज्ञापन सौंपते हुए जिले को यथावत बनाए रखने की मांग की गई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और इस्तीफे
राजनीतिक हलकों में भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
भाजपा के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिलों के गठन में बचकाना फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि बालोतरा, फलौदी, ब्यावर, कोटपुतली और डीडवाना जैसे जिलों की मांग वाजिब थी। लेकिन कई जिलों का गठन बिना सोचे-समझे सिर्फ राजनीतिक दबाव में किया गया।
सांचौर को लेकर गर्ग ने कहा कि यह फैसला मजाक बन गया है।
जिला खत्म करने का विरोध: लोगों की मांग
लोगों का कहना है कि जिले खत्म करने का यह फैसला क्षेत्रीय विकास और प्रशासनिक सुविधाओं पर सीधा असर डालेगा।
नीमकाथाना: 1952 से चली आ रही जिला बनाने की मांग पर अब सरकार ने पानी फेर दिया है।
अनूपगढ़: यहां की जनता का कहना है कि प्रशासनिक लाभों से वंचित कर उन्हें अनदेखा किया गया है।
सांचौर: लोगों का मानना है कि यह जिला क्षेत्रीय विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।