मनीषा शर्मा, अजमेर। राजस्थान का प्रसिद्ध पुष्कर मेला 9 नवंबर 2023 से आरंभ होकर 15 नवंबर तक चलेगा। मेला मैदान में इस बार भव्य कार्यक्रमों के साथ-साथ ऊंट और घोड़ों की रौनक भी देखने को मिलेगी। मेले के लिए विभिन्न स्थानों पर टेंट लगाए गए हैं, जिनमें सावित्री मंदिर के पास मोतीसर रोड पर रेत के धोरों पर विशेष रूप से टेंट सजाए गए हैं।
इस मेले में हर साल बड़ी संख्या में ऊंट और घोड़े शामिल होते हैं। इस वर्ष भी पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के लिए 12 चौकियां स्थापित की गई हैं, जहाँ मेले में आने वाले ऊंट, घोड़े और अन्य पशुओं की एंट्री की जा रही है। मंगलवार तक की एंट्री के अनुसार, 462 ऊंट और 689 घोड़े मेला स्थल पर पहुँच चुके हैं। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया ने बताया कि अब तक कुल 1152 पशुओं की एंट्री हो चुकी है।
पुष्कर मेले के प्रमुख कार्यक्रम और तिथियां
9 नवंबर: मेले की शुरुआत पूजा, ध्वजारोहण और नगाड़ा वादन के साथ होगी। मांडना प्रतियोगिता, सैंड आर्ट फेस्टिवल, कैमल मार्च और दीपदान के साथ महाआरती का आयोजन भी होगा। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
10 नवंबर: इस दिन देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए खेल प्रतियोगिताएं और कैमल डेकोरेशन प्रतियोगिता आयोजित होगी। कैमल डांस और अनिरुद्ध वर्मा का फ्यूजन म्यूजिक कार्यक्रम भी आकर्षण का केंद्र रहेगा।
11 नवंबर: कबड्डी मैच, हॉर्स डांस और रस्साकस्सी प्रतियोगिता होंगी। शाम को प्रसिद्ध कलाकार अनवर खान का डेजर्ट सिंफनी कार्यक्रम मेले को संगीतमय बनाएगा।
12 नवंबर: आध्यात्मिक यात्रा और महाआरती के साथ भजन गायक अनूप जलोटा का भजन कार्यक्रम होगा।
13 नवंबर: इस दिन मूंछ, साफा, और तिलक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। ब्रह्मा मंदिर एंट्री प्लाजा में भजन कार्यक्रम भी होगा।
14 नवंबर: महिलाओं के लिए मटका रेस, म्यूजिकल चेयर प्रतियोगिता और महाआरती का आयोजन होगा। कैलाश खेर की संगीत संध्या भी इस दिन का मुख्य आकर्षण रहेगी।
15 नवंबर: पुष्कर मेले का समापन समारोह होगा जिसमें प्राइज वितरण, ग्रुप डांस, काला जत्था यात्रा और विभिन्न रेस प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।
पुष्कर मेला न केवल राजस्थान बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। इस मेले में हर साल हजारों की संख्या में देसी और विदेशी पर्यटक आते हैं, जो यहां की सांस्कृतिक धरोहर, राजस्थानी कला, संगीत और परंपरागत खेलों का आनंद लेते हैं। ऊंट और घोड़ा मेले के रूप में भी प्रसिद्ध, यह मेला व्यापारियों के लिए भी खास होता है, जो पशुओं की खरीद-फरोख्त करने आते हैं।