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ईवीएम पर सवाल: अशोक गहलोत का बयान और लोकतंत्र पर चिंता

ईवीएम पर सवाल: अशोक गहलोत का बयान और लोकतंत्र पर चिंता

मनीषा शर्मा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर उठाए गए सवालों का समर्थन करते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि यह केवल चुनाव की जीत-हार का मुद्दा नहीं है, बल्कि जनता का ईवीएम पर से उठते विश्वास का मामला है। गहलोत ने गुरुवार को महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके स्मारक पर पुष्प अर्पित करने के दौरान यह बात कही। गहलोत का मानना है कि ईवीएम पर उठ रहे सवाल लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र और हरियाणा के अप्रत्याशित चुनाव परिणामों ने इस बहस को और गहरा कर दिया है।

“ईवीएम सही होती तो वीवीपैट क्यों लगाई जाती?”

गहलोत ने सवाल उठाया कि यदि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट (वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) लगाने का आदेश क्यों दिया? उन्होंने कहा कि यह केवल इस बात का संकेत है कि मशीनों को हैक या टेम्पर किया जा सकता है। वीवीपैट लगाने के पीछे मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता लाना था, लेकिन इसके लिए 15-20 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आया।

गहलोत ने भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी का जिक्र करते हुए कहा कि वे खुद ईवीएम पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट गए थे, और अदालत ने ईवीएम में वीवीपैट लगाने का आदेश दिया। आज स्थिति यह है कि आम जनता का भी इन मशीनों पर से भरोसा उठने लगा है।

अमेरिका-इंग्लैंड का उदाहरण देकर बैलेट पेपर की वकालत

गहलोत ने अमेरिका और इंग्लैंड जैसे विकसित देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी बैलेट पेपर से चुनाव होते हैं। यदि इतने बड़े देश बैलेट पेपर पर भरोसा कर सकते हैं, तो भारत में इसे अपनाने में समस्या क्यों होनी चाहिए? उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव कराना लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया में जनता का विश्वास सबसे महत्वपूर्ण है। आज स्थिति यह है कि कुछ लोग वोट देने ही नहीं जाते, क्योंकि उनका मानना है कि उनका वोट किसी और के खाते में चला जाएगा। इस धारणा को बदलने के लिए पारदर्शिता जरूरी है।

हरियाणा और महाराष्ट्र के अप्रत्याशित परिणाम

गहलोत ने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में भाजपा के नेता खुद मानते थे कि कांग्रेस भारी बहुमत से चुनाव जीतने वाली है। सभी एग्जिट पोल और सर्वेक्षण भी यही दिखा रहे थे। लेकिन परिणाम एकदम विपरीत आए। इसी तरह महाराष्ट्र के नतीजों ने भी पूरे देश को चौंका दिया। गहलोत ने दावा किया कि वह खुद एक महीने तक वहां चुनावी अभियान में शामिल थे, लेकिन जो माहौल उन्होंने देखा, उससे परिणाम बिल्कुल विपरीत आए।उन्होंने कहा कि ऐसे अप्रत्याशित परिणाम केवल ईवीएम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हैं।

ईवीएम से मोहभंग और लोकतंत्र पर खतरा

गहलोत ने कहा कि आज के समय में जनता के एक वर्ग में यह धारणा बन चुकी है कि ईवीएम में टेम्परिंग की जा सकती है। यदि यह स्थिति जारी रही, तो लोकतंत्र को गंभीर खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि वोटिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए बैलेट पेपर से चुनाव कराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब विपक्षी पार्टियां ईवीएम को लेकर सवाल उठा रही हैं, तो सरकार को इसे प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाना चाहिए। बल्कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष अध्ययन या सर्वेक्षण कराकर जनता की राय लेनी चाहिए।

गहलोत की अपील: “जनता का मूड समझना जरूरी”

गहलोत ने कहा कि यह समय की मांग है कि सरकार जनता का मूड समझे। यदि जनता का ईवीएम पर से भरोसा उठ रहा है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केवल कांग्रेस का मुद्दा नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को बचाने का सवाल है। गहलोत ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी एक समय ईवीएम का विरोध किया था। आज वही स्थिति है कि जो लोग पहले ईवीएम के समर्थन में थे, वे भी अब इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।

गृह राज्य मंत्री बेढ़म का पलटवार

गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने गहलोत के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब भी चुनाव हारती है, तो ईवीएम को दोष देने लगती है। बेढ़म ने कहा कि जनता अब समझदार हो चुकी है और ऐसे बयानों से गुमराह नहीं होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश 2047 तक विकसित देशों की श्रेणी में शामिल होगा। भारत को विश्व गुरु बनाने के सपने को साकार करने के लिए जनता मोदी सरकार पर विश्वास करती है।

महात्मा ज्योतिबा फुले को श्रद्धांजलि और जनता से संवाद

गहलोत ने महात्मा ज्योतिबा फुले की 134वीं पुण्यतिथि पर उनके स्मारक पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद वे पास की एक चाय की थड़ी पर बैठे, चाय पी और स्थानीय लोगों से बातचीत की। उन्होंने लोगों की शिकायतें भी सुनीं और उनके समाधान का आश्वासन दिया।

ईवीएम पर विवाद

ईवीएम पर उठ रहे सवाल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर बहस का विषय बन गए हैं। जहां कांग्रेस इसे बैलेट पेपर से बदलने की मांग कर रही है, वहीं भाजपा इसे विपक्ष की हार से उपजी निराशा करार दे रही है। इस बहस के केंद्र में जनता का विश्वास है। लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि वोटिंग प्रक्रिया पर जनता का पूर्ण विश्वास हो। गहलोत और खड़गे जैसे नेताओं का यह कहना है कि बैलेट पेपर की वापसी से पारदर्शिता बढ़ेगी।

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