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जूली मंदिर विवाद पर राहुल गांधी ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

जूली मंदिर विवाद पर राहुल गांधी ने दी कड़ी  प्रतिक्रिया

मनीषा शर्मा।  राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और दलित वर्ग से आने वाले कांग्रेस नेता टीकाराम जूली द्वारा 6 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर अलवर स्थित रामलला मंदिर में दर्शन किए गए। इस घटना के तुरंत बाद बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करने की घोषणा की और अगले दिन मंदिर पहुंचकर गंगाजल छिड़क कर ‘पवित्रिकरण’ किया। आहूजा के इस कदम और बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि दलित व्यक्ति द्वारा मंदिर में प्रवेश के बाद वह स्थान “अपवित्र” हो गया था, जिसे गंगाजल से धोने की आवश्यकता थी। यह बयान न सिर्फ दलित समाज बल्कि समूचे विपक्ष के लिए अपमानजनक प्रतीत हुआ, और कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

राहुल गांधी का कड़ा प्रहार: ‘यह हमारा धर्म नहीं है’

गुजरात में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में राहुल गांधी ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि टीकाराम जूली एक दलित नेता हैं और जब वह मंदिर गए, तो बीजेपी नेताओं ने उस मंदिर को गंगाजल से साफ करवाया। राहुल ने इस पर सवाल उठाया कि क्या यही हिंदू धर्म है जिसकी दुहाई बीजेपी देती है? उन्होंने कहा, “एक दलित व्यक्ति को मंदिर में जाने का अधिकार नहीं देना और फिर उसके जाने के बाद मंदिर को धुलवाना—ये हमारा धर्म नहीं है। हम भी हिंदू कहलाते हैं, लेकिन हमारा धर्म वह है जो हर इंसान का सम्मान करता है।” राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस के दिलों में दलितों और पिछड़ों के लिए सम्मान नहीं, बल्कि घृणा है। उन्होंने कहा कि आज वे खुलकर कुछ नहीं कहते क्योंकि संविधान है, लेकिन उनके दिल में वही पुरानी मनुवादी सोच बसती है।

कांग्रेस का पलटवार: वीडियो के जरिए किया हमला

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर मंदिर में गंगाजल छिड़कने का वीडियो साझा किया और बीजेपी पर हमला बोला। राहुल ने ट्वीट किया, “यह बीजेपी की दलित विरोधी और मनुवादी सोच का एक और उदाहरण है। वे लगातार संविधान और दलितों का अपमान कर रहे हैं।” कांग्रेस ने यह भी कहा कि ज्ञानदेव आहूजा प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं और उनका यह कदम बीजेपी की असल सोच को दर्शाता है। पार्टी ने सवाल उठाया कि क्या संविधान के रहते हुए भी दलितों के साथ ऐसा व्यवहार करना उचित है?

मल्लिकार्जुन खड़गे की नाराज़गी और अपील

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “दलित भी हिंदू धर्म के अंग हैं। अगर एक दलित नेता के मंदिर दर्शन के बाद गंगाजल छिड़का जाता है, तो सोचिए देहातों में रहने वाले आम दलित हिंदुओं की स्थिति क्या होगी?” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की कि वे इस प्रकार की घटनाओं को रोकें और समाज में समानता सुनिश्चित करें।

बीजेपी का जवाब और कार्रवाई

विवाद बढ़ने के बाद बीजेपी बैकफुट पर आ गई और ज्ञानदेव आहूजा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। साथ ही पार्टी ने तीन दिन के अंदर कारण बताओ नोटिस भी जारी किया, जिसका जवाब मांगा गया। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई सिर्फ राजनीतिक दबाव में की गई है और इससे बीजेपी की मानसिकता नहीं बदल सकती।

कांग्रेस ने राष्ट्रीय मुद्दा बनाया

कांग्रेस ने इस मुद्दे को सिर्फ एक स्थानीय घटना न मानकर राष्ट्रीय मुद्दा बना लिया है। पार्टी अब इसे दलित सम्मान और संवैधानिक अधिकारों के अपमान के रूप में प्रस्तुत कर रही है। राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। टीकाराम जूली का अपमान कांग्रेस के लिए एक सामाजिक और राजनीतिक सवाल बन गया है, जिसे वह दलितों के समर्थन में पूरे देश में उठाने की रणनीति पर काम कर रही है।

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