शोभना शर्मा। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी (Rajasthan Assembly Speaker Vasudev Devnani) ने हाल ही में इंडोनेशिया का दौरा किया, जहां उन्होंने भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझने और वहाँ के आध्यात्मिक स्थलों का अवलोकन करने का अवसर प्राप्त किया। देवनानी का यह दौरा इंडोनेशिया के बाली में शुरू हुआ, जहां उन्होंने स्थानीय मंदिरों का दर्शन किया और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अधिकारियों और सदस्यों के साथ गहन चर्चा की। इस दौरे के माध्यम से उन्होंने दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया।
देवनानी ने बाली में स्थित विभिन्न मंदिरों और धार्मिक स्थलों का भ्रमण करते हुए कहा कि भारत और इंडोनेशिया का सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराना है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के बारे में गहरी समझ विकसित करने के लिए इंडोनेशिया के लोगों के अनुशासन और उनकी “नमस्ते” की परंपरा की सराहना की। बाली के ये मंदिर दोनों देशों के धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक हैं, और देवनानी ने इसे भारत की सनातन संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया।
इस दौरे के दौरान देवनानी ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अधिकारियों के साथ राजस्थान के धार्मिक, पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में विशेष रूप से राजस्थान में अनेक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल हैं, जो न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है ताकि धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।
उन्होंने बाली में अपने वक्तव्य के दौरान राजस्थान विधानसभा में बने “राजनीतिक आख्यान संग्रहालय” की भी जानकारी दी। यह संग्रहालय लोकतंत्र से जुड़े विभिन्न पक्षों को प्रदर्शित करता है और खासतौर से विद्यार्थियों, शोधार्थियों और विभिन्न देशों से आने वाले पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण है। इस संग्रहालय में लोकतंत्र की यात्रा और उससे जुड़े प्रमुख घटनाक्रमों का संग्रह किया गया है, जो राजस्थान के समृद्ध राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास का परिचायक है। देवनानी ने इस संग्रहालय को लोकतंत्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक विशेष आकर्षण बताया और उन्होंने इस संग्रहालय को देखने का निमंत्रण दिया।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने इस मौके पर प्रवासी भारतीयों से कहा कि वे अपने बच्चों के साथ भारत आएं और भारतीय संस्कृति की गहराई से जानकारी हासिल करें। उन्होंने प्रवासियों को बताया कि राजस्थान सरकार भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को विकसित करने में लगी हुई है ताकि अगले पीढ़ी के लिए इसे संरक्षित रखा जा सके और विदेशों में रह रहे भारतीय अपने बच्चों को इस संस्कृति से जोड़ सकें।
देवनानी ने यह भी साझा किया कि इंडोनेशिया में लोगों का अनुशासन और उनके “नमस्ते” के रूप में अभिवादन करने की परंपरा उन्हें बहुत पसंद आई है। भारतीय संस्कृति में भी अभिवादन की यह विधि गहरी जड़ें रखती है और इसे संस्कारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। देवनानी ने बताया कि इंडोनेशिया के लोग भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान रखते हैं, जो उनके द्वारा अपनाई गई सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से परिलक्षित होता है। इंडोनेशिया के बाली में बड़ी संख्या में मंदिर होने के बावजूद वहाँ की संस्कृति में भारतीयता की झलक देखने को मिलती है, जो दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध कितने मजबूत हैं।
इस दौरे का एक मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना और भारत की धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करना था। देवनानी ने कहा कि वे इस दौरे के माध्यम से उन सभी भारतीयों तक एक संदेश पहुँचाना चाहते हैं जो विदेश में रह रहे हैं। उन्होंने यह संदेश दिया कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर अद्वितीय है और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना सभी का दायित्व है।
अंत में, वासुदेव देवनानी ने इंडोनेशिया में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सदस्यों और अधिकारियों का धन्यवाद किया और आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों देशों के बीच एक सशक्त सेतु का कार्य करेंगे। उन्होंने सभी प्रवासियों को भारत आने का निमंत्रण दिया और उन्हें भारत के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया।