मनीषा शर्मा। राजस्थान में सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए ‘चक्रव्यूह’ तैयार किया है। कांग्रेस के खिलाफ इस उपचुनाव में सातों सीटों पर बीजेपी ने अपने दो-दो अनुभवी नेताओं को तैनात कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम सहित 12 मंत्रियों और 34 नेताओं की टीम इन विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कर रही है। इसके साथ ही, बीजेपी की सोशल मीडिया टीम भी सक्रिय होकर सोशल मीडिया के जरिए वोटर्स को अपने पक्ष में लाने के लिए मेहनत कर रही है।
सात विधानसभा सीटों पर बीजेपी की नियुक्तियां और जिम्मेदारियां
1. देवली उनियारा विधानसभा सीट:
देवली उनियारा सीट पर बीजेपी की तरफ से राजेंद्र गुर्जर उम्मीदवार हैं। इस सीट पर जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी और जिला प्रभारी मंत्री हीरालाल नागर को नियुक्त किया गया है। साथ ही, चुनावी रणनीति के लिए सांसद दामोदर अग्रवाल और बंशीलाल खटीक को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
2. रामगढ़ विधानसभा सीट:
रामगढ़ सीट पर बीजेपी ने सहकारिता मंत्री गौतम दक और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म को तैनात किया है। इसके अलावा प्रदेश मंत्री महेंद्र कुमावत और मुकेश गोयल भी चुनावी अभियान का हिस्सा बने हुए हैं। रामगढ़ में बीजेपी कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है।
3. दौसा विधानसभा सीट:
दौसा सीट से बीजेपी ने मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन को टिकट दिया है। इस सीट पर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, प्रदेश मंत्री अजीत मांडन, और भूपेंद्र सैनी को चुनावी अभियान की जिम्मेदारी दी गई है।
4. झुंझुनू विधानसभा सीट:
झुंझुनू सीट पर चुनावी जिम्मेदारी खाद्य मंत्री सुमित गोदारा और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत को सौंपी गई है। इनके साथ ही राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, विधायक गोवर्धन वर्मा, और प्रदेश मंत्री विजेंद्र पूनिया भी इस सीट पर बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे हैं।
5. खींवसर विधानसभा सीट:
नागौर जिले की खींवसर विधानसभा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है। इनके साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया और प्रदेश प्रवक्ता अशोक सैनी को भी खींवसर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस सीट पर बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस के अलावा आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल से भी है।
6. चौरासी विधानसभा सीट:
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के प्रभाव वाली चौरासी विधानसभा सीट पर भी बीजेपी ने खास रणनीति बनाई है। इस सीट पर आदिवासी जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी को प्रमुख जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, चित्तौड़गढ़ विधायक श्रीचंद कृपलानी, जिला अध्यक्ष हरीश पाटीदार, पूर्व मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीय, और प्रदेश मंत्री मिथिलेश गौतम को भी यहां की टीम में शामिल किया गया है।
7. सलूंबर विधानसभा सीट:
उदयपुर की सलूंबर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा को टिकट दिया है। उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए राजस्व मंत्री हेमंत मीणा, सांसद मन्नालाल रावत, विधायक श्री चंद कृपलानी, ताराचंद जैन, जिला अध्यक्ष मानसिंह बारहठ और प्रदेश उपाध्यक्ष नाहर सिंह जोधा को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सोशल मीडिया टीम का योगदान और नई रणनीतियां
बीजेपी ने राजस्थान उपचुनाव 2024 के लिए सोशल मीडिया टीम को सक्रिय कर दिया है। सोशल मीडिया टीम का टारगेट इन विधानसभा क्षेत्रों में अधिक से अधिक मतदाताओं से जुड़कर बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाना है। इसके लिए पार्टी ने सोशल मीडिया टीम के विभिन्न इंचार्जों की नियुक्ति की है, जो प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के वोटर्स तक पार्टी के संदेश पहुंचाने में लगे हैं।
बीजेपी की सोशल मीडिया रणनीति के तहत ये कदम उठाए जा रहे हैं:
- वोटर्स के साथ डिजिटल इंटरेक्शन:
हर विधानसभा सीट के लिए अलग-अलग सोशल मीडिया पेज और ग्रुप बनाए गए हैं, ताकि स्थानीय मतदाताओं को सीधे बीजेपी के विचारों से जोड़ सके। - डिजिटल कैंपेनिंग पर फोकस:
वीडियो मैसेज, लाइव सेशन और डिजिटल पोस्ट के माध्यम से बीजेपी के उम्मीदवार और नेता अपनी बातें मतदाताओं तक पहुंचा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कांग्रेस के खिलाफ मजबूत कैम्पेन चलाने के लिए विशेष रणनीतियां तैयार की गई हैं। - मतदाताओं को जागरूक करना:
बीजेपी की सोशल मीडिया टीम विभिन्न पोस्ट, ग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट करने के लिए जागरूक कर रही है।
बीजेपी की रणनीति और कांग्रेस की चुनौती
इस बार राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी कांग्रेस को हराने के लिए हर सीट पर विशेष प्रयास कर रही है। बीजेपी की यह रणनीति और सोशल मीडिया पर सक्रियता से कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव चुनौतीपूर्ण बन सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले इन उपचुनावों के परिणाम आने वाले विधानसभा चुनाव के परिणामों को भी प्रभावित कर सकते हैं।