मनीषा शर्मा। राजस्थान उपचुनाव 2024 की तैयारी में कांग्रेस ने सातों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें से छह उम्मीदवार ऐसे हैं जो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, जो युवा और नए चेहरों के माध्यम से पार्टी की कोशिश है कि राज्य में नई ऊर्जा और सहानुभूति की लहर उठाई जाए। इस बार कांग्रेस ने कई प्रत्याशियों को परिवारिक पृष्ठभूमि से उठाया है, जिनमें झुंझुनूं से सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला और रामगढ़ से पूर्व विधायक जुबेर खान के बेटे आर्यन जुबेर शामिल हैं।
पहली बार चुनाव लड़ेंगे 6 कैंडिडेट
कांग्रेस द्वारा घोषित सात उम्मीदवारों में से 6 पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी ने युवाओं और नए चेहरों पर विश्वास जताया है। खासतौर पर झुंझुनूं और रामगढ़ जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नए उम्मीदवारों को मौका दिया गया है। झुंझुनूं से वर्तमान सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला को टिकट दिया गया है, जो पहली बार चुनावी मैदान में उतरेंगे।
रामगढ़ से आर्यन जुबेर को मिला टिकट
रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे आर्यन जुबेर को टिकट देकर सहानुभूति कार्ड खेला है। जुबेर खान के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी, और पार्टी ने उनके परिवार से ही उम्मीदवार देकर इस सीट पर भावनात्मक समर्थन जुटाने की कोशिश की है।
खींवसर से रतन चौधरी बनीं उम्मीदवार
खींवसर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी से गठबंधन नहीं करके अपना उम्मीदवार उतारा है। कांग्रेस ने इस सीट से रतन चौधरी को टिकट दिया है, जो डॉक्टर रह चुकी हैं और उनके पति सवाई सिंह चौधरी भाजपा से जुड़े थे। जैसे ही उनकी पत्नी को कांग्रेस का टिकट मिला, उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया।
भाजपा की रणनीति और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
भाजपा ने पहले ही छह सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे, जबकि चौरासी सीट पर अभी तक कैंडिडेट की घोषणा नहीं की गई है। कांग्रेस की ओर से खींवसर में गठबंधन से अलग होकर अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फैसला इस बात का संकेत है कि पार्टी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है।
सहानुभूति कार्ड का खेल
रामगढ़ और सलूंबर जैसी सीटों पर कांग्रेस ने सहानुभूति कार्ड खेला है। रामगढ़ से जहां दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे को टिकट दिया गया है, वहीं सलूंबर से भाजपा ने भी दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी को उम्मीदवार बनाया है। इस तरह, दोनों प्रमुख पार्टियों ने भावनात्मक जुड़ाव के आधार पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
चौरासी और सलूंबर सीट पर उठी नाराजगी
चौरासी सीट पर कांग्रेस ने महेश रोत को युवा चेहरे के रूप में मौका दिया है, लेकिन इस फैसले ने पार्टी के अंदर असंतोष भी पैदा कर दिया है। इस सीट से पहले उम्मीदवार रहे वरिष्ठ नेता ताराचंद भगोरा का टिकट काट दिया गया है, जिससे पार्टी के भीतर नाराजगी है। वहीं, सलूंबर सीट पर रेशमा मीणा को उम्मीदवार बनाए जाने से भी विरोध हो रहा है। सराड़ा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष गणेश चौधरी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा भेजकर अपनी असहमति जाहिर की है।
दौसा में जनरल सीट पर SC-ST उम्मीदवार आमने-सामने
दौसा सीट पर कांग्रेस ने डीसी बैरवा को एससी उम्मीदवार के तौर पर मौका दिया है, जबकि भाजपा ने यहां से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को एसटी उम्मीदवार के रूप में उतारा है। दौसा की सीट सामान्य वर्ग की है, लेकिन यहां एससी और एसटी उम्मीदवारों के आमने-सामने आने से सामान्य वर्ग के वोटर्स में नाराजगी देखी जा रही है।
उपचुनाव के समीकरण
राजस्थान के इस उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के चयन में रणनीतिक चालें चली हैं। जहां कांग्रेस ने सहानुभूति कार्ड और नए चेहरों पर दांव लगाया है, वहीं भाजपा ने अपने पुराने नेताओं और उनके परिवारजनों को टिकट देकर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश की है।
राजस्थान के इन उपचुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण समय है। कांग्रेस ने नए चेहरों और परिवारिक पृष्ठभूमियों पर जोर दिया है, जबकि भाजपा ने अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत रखने की कोशिश की है। इन उपचुनावों के नतीजे यह तय करेंगे कि आगामी विधानसभा चुनावों में किस पार्टी की पकड़ मजबूत होगी।