मनीषा शर्मा। राजस्थान में इस सीजन की भीषण गर्मी ने बांध, तालाब और नदियों को सूखा दिया है, जिससे जल संकट बढ़ गया है। प्री-मानसून के दौरान बीसलपुर और जवाई बांध का जलस्तर तेजी से गिर रहा है। राज्य के 691 छोटे-बड़े बांधों में से 526 पूरी तरह सूख चुके हैं। इन बांधों की कुल पानी की क्षमता 12900.82 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जिसमें से केवल 4158.22 मिलियन क्यूबिक मीटर (32.23%) पानी ही बचा है। पिछले साल जून 2023 में मानसून से पहले इन बांधों में जलस्तर 6251.48 मिलियन क्यूबिक मीटर था, जो कुल क्षमता का 48.46% था। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में केवल 165 बांध ही ऐसे हैं जिनमें पानी 10% से 93% तक बचा है।
जयपुर के चंदलाई, कानोता, अजमेर के आनासागर और कोटा के कोटा बैराज बांधों में पानी की क्षमता कुल क्षमता का 80% या उससे अधिक है। हालांकि, इनका पानी पीने के योग्य नहीं है और केवल सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बीसलपुर बांध में कुल स्टोरेज क्षमता 1095.84 मिलियन क्यूबिक मीटर है, लेकिन वर्तमान में इसमें केवल 288.89 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचा है। जयपुर, अजमेर, टोंक और दौसा जिलों की 1.20 करोड़ आबादी बीसलपुर बांध पर निर्भर है। जवाई बांध की कुल स्टोरेज क्षमता 207.51 मिलियन क्यूबिक मीटर है, लेकिन इसमें अब केवल 32.85 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचा है। पाली जिले की करीब 10 लाख आबादी जवाई बांध से पीने का पानी प्राप्त करती है।
पिछले साल प्री-मानसून की बारिश से कई बांधों में पानी की आवक शुरू हो गई थी और प्रमुख 22 बड़े बांधों में पानी 61% तक भर गया था। इस साल अब तक इन 22 बड़े बांधों में पानी की उपलब्धता केवल 45.41% है। 23 जून तक मानसून मध्य प्रदेश के इंदौर, भोपाल और उज्जैन समेत अन्य जिलों में पहुंच चुका है और जल्द ही राजस्थान में भी मानसून की एंट्री होने की संभावना है। राज्य को मानसून का बेसब्री से इंतजार है, ताकि जल संकट से राहत मिल सके।