मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा और प्रभावी कदम उठाने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में यह सहमति बनी है कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में वाइस प्रिंसिपल का पद समाप्त कर दिया जाएगा। यह पद अब “डाइंग कैडर” घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि वर्तमान में जो शिक्षक वाइस प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें पदोन्नति देकर प्रिंसिपल बनाया जाएगा, लेकिन इन पदों को भविष्य में दोबारा नहीं भरा जाएगा।
इस निर्णय को लेकर शिक्षक संगठनों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। वे लंबे समय से इस पद को समाप्त करने की मांग कर रहे थे। शिक्षक संगठनों का मानना है कि वाइस प्रिंसिपल का पद स्कूलों के लिए आवश्यक नहीं था और इसके कारण शिक्षकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा था।
वाइस प्रिंसिपल पद समाप्ति का कारण और प्रभाव
राजस्थान शिक्षा विभाग के अनुसार, स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल और प्रिंसिपल दोनों पदों की आवश्यकता नहीं है। वाइस प्रिंसिपल का पद सृजित होने से न केवल व्याख्याताओं की कमी हुई, बल्कि आर्थिक असमानता भी बढ़ी। फिलहाल राज्य में वाइस प्रिंसिपल के 12,421 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से आधे से अधिक पद खाली हैं।
सरकार का कहना है कि वाइस प्रिंसिपल के इन पदों को समाप्त कर व्याख्याताओं को सीधे प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति का मौका मिलेगा। इससे शिक्षकों को आर्थिक रूप से लाभ होगा और स्कूलों में शिक्षकों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा।
शिक्षकों को आर्थिक लाभ
इस फैसले से व्याख्याताओं को सीधे प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति मिलेगी। इससे उन्हें 6600 ग्रेड पे का लाभ होगा, जो वाइस प्रिंसिपल बनने पर मिलने वाले 5400 ग्रेड पे से अधिक है। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विपिन शर्मा ने कहा कि यह निर्णय शिक्षकों के लिए एक बड़ा सुधार है।
शिक्षक संगठनों का मानना है कि इस कदम से न केवल शिक्षकों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि वे स्कूलों में बेहतर प्रबंधन और शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे।
गहलोत सरकार में हुआ था वाइस प्रिंसिपल पद का सृजन
यह पद पहले की अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में सृजित किया गया था। उस समय इसे स्कूल प्रबंधन को बेहतर बनाने और प्रशासनिक सुधार के उद्देश्य से लागू किया गया था। लेकिन वर्तमान सरकार का मानना है कि यह पद अनावश्यक है और इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी बढ़ी है।
अब वाइस प्रिंसिपल के पद को समाप्त कर प्रिंसिपल के खाली पदों को भरा जाएगा। इससे स्कूलों में प्रबंधन को और अधिक सशक्त बनाया जा सकेगा।
छात्रों को मिलेगा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस निर्णय से स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरी होगी, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी। वाइस प्रिंसिपल पद समाप्त होने से शिक्षक प्रबंधन से अधिक समय छात्रों की शिक्षा पर केंद्रित कर पाएंगे।
सरकार का मानना है कि यह निर्णय राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे स्कूलों में प्रशासनिक जटिलताओं को कम किया जा सकेगा और छात्रों के शैक्षणिक विकास पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा।
शिक्षक संघों का समर्थन
राजस्थान शिक्षक संघ लंबे समय से इस पद को समाप्त करने की मांग कर रहे थे। संघों का कहना था कि वाइस प्रिंसिपल का पद न केवल शिक्षकों के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक था, बल्कि यह स्कूलों में शिक्षकों की कमी को भी बढ़ा रहा था।