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राजस्थान हाईकोर्ट को मिलेंगे नए जज: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश

राजस्थान हाईकोर्ट को मिलेंगे नए जज: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश

शोभना शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट को नए साल की शुरुआत में तीन नए जज मिलने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के लिए तीन न्यायिक अधिकारियों के नामों की सिफारिश की है। ये तीनों अधिकारी 1992 बैच के हैं और वर्षों से न्यायिक सेवाओं में सक्रिय हैं।

सिफारिश किए गए नामों में शामिल हैं:

  1. प्रमिल कुमार माथुर – रजिस्ट्रार जनरल

  2. चंद्रप्रकाश श्रीमाली – जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जयपुर महानगर द्वितीय

  3. चंद्रशेखर शर्मा – जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जोधपुर महानगर

कॉलेजियम की यह सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी गई है। केंद्र की मंजूरी और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति वारंट जारी होने के बाद इन तीनों का नाम राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की सूची में शामिल होगा।

जजों की नियुक्ति से हाईकोर्ट को मिलेगा नया बल

राजस्थान हाईकोर्ट में वर्तमान में 32 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 50 है। तीन नए जजों के जुड़ने के बाद यह संख्या 35 हो जाएगी। हालांकि, स्वीकृत संख्या से यह अभी भी 15 जज कम होगी।

पिछली नियुक्तियां:

करीब दो साल पहले राजस्थान हाईकोर्ट को एक साथ 8 जज मिले थे। इनमें 5 जज न्यायिक सेवा से और 3 जज वकील कोटे से नियुक्त हुए थे।

आगामी रिटायरमेंट का असर:

नए साल में हाईकोर्ट को नए जज तो मिलेंगे, लेकिन 2025 में 5 जज रिटायर होने वाले हैं।
रिटायर होने वाले जजों की सूची:

  • जनवरी: जस्टिस पंकज भंडारी
  • मार्च: जस्टिस मदन गोपाल व्यास
  • मई: जस्टिस बीरेंद्र कुमार
  • सितंबर: जस्टिस नरेंद्र ढढ़ा
  • नवंबर: जस्टिस मनोज कुमार गर्ग

इन रिटायरमेंट के बाद हाईकोर्ट में जजों की संख्या घटकर 30 हो जाएगी।

हाईकोर्ट में जजों की कमी का असर

हाईकोर्ट में जजों की कमी के कारण पेंडिंग मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्वीकृत 50 जजों की संख्या के मुकाबले मौजूदा जजों की संख्या कम है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया धीमी हो सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार इस स्थिति को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।

वकील कोटे से हो सकती हैं अतिरिक्त नियुक्तियां

नए साल में वकील कोटे से भी हाईकोर्ट में जज नियुक्त होने की संभावना है। इससे हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ सकती है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया को गति मिलेगी।

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