मनीषा शर्मा। राजस्थान में पीटीआई (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर) भर्ती परीक्षा में फर्जी डिग्री और डमी कैंडिडेट के जरिए नौकरी हासिल करने वाले आरोपियों पर एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में तीन पीटीआई, एक लेक्चरर और एक डमी कैंडिडेट को गिरफ्तार किया गया है।
फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी हासिल करने का खेल
राजस्थान पीटीआई भर्ती परीक्षा में आरोपियों ने फर्जी डिग्री का सहारा लेकर नौकरी प्राप्त की। स्वरूपा राम (बाड़मेर), भारमल राम (सांचौर), और लादूराम (जालोर) को फर्जी बीपीएड डिग्री का इस्तेमाल करके नौकरी पाने का दोषी पाया गया।
जांच में क्या सामने आया?
- आरोपियों ने आवेदन के समय एक विश्वविद्यालय से बीपीएड की डिग्री का दावा किया।
- डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान उन्होंने दूसरी डिग्री प्रस्तुत की।
- एसओजी की जांच में यह साबित हुआ कि डिग्रियां फर्जी थीं और इनका इस्तेमाल नौकरी पाने के लिए किया गया था।
डमी कैंडिडेट का खुलासा
एसओजी ने कमल बिश्नोई नामक डमी कैंडिडेट को भी गिरफ्तार किया। कमल बिश्नोई पहले से ही स्कूल लेक्चरर के पद पर कार्यरत था। उसने वरिष्ठ अध्यापक सेकेंड ग्रेड परीक्षा 2022 में राजेंद्र विश्नोई के बदले परीक्षा दी थी।
डमी कैंडिडेट का तरीका
- राजेंद्र विश्नोई, जो पहले ही गिरफ्तार हो चुका है, ने कमल बिश्नोई को अपनी जगह परीक्षा देने के लिए नियुक्त किया।
- यह परीक्षा पहले 24 दिसंबर 2022 को आयोजित हुई थी, लेकिन पेपर लीक होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया।
- पुनः परीक्षा 29 जनवरी 2023 को आयोजित हुई, जिसमें कमल बिश्नोई ने राजेंद्र की जगह परीक्षा दी।
एसओजी की कार्रवाई और रिमांड
- स्वरूपा राम और भारमल को 7 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।
- कमल बिश्नोई और अन्य आरोपियों से पूछताछ जारी है।
- फर्जी डिग्री और डमी कैंडिडेट के पूरे नेटवर्क का खुलासा करने के लिए जांच तेज कर दी गई है।
फर्जीवाड़े की शुरुआत कैसे हुई?
एसओजी को व्हाट्सएप पर एक शिकायत मिली, जिसमें आरोप लगाया गया कि तीनों पीटीआई ने फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी पाई। शिकायत की जांच में पाया गया कि आरोपियों ने बीपीएड की फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया था।
पेपर लीक मामला
वरिष्ठ अध्यापक सेकेंड ग्रेड परीक्षा 2022 पहले 24 दिसंबर 2022 को आयोजित हुई थी, लेकिन पेपर लीक के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इसके बाद, परीक्षा 29 जनवरी 2023 को दोबारा आयोजित की गई, जिसमें डमी कैंडिडेट का उपयोग किया गया।
एसओजी की जांच के मुख्य बिंदु
- फर्जी डिग्रियों का सत्यापन:
आरोपियों द्वारा प्रस्तुत सभी डिग्रियों का पुनः सत्यापन किया जा रहा है।- डमी कैंडिडेट की जांच:
कमल बिश्नोई और राजेंद्र विश्नोई के संपर्कों की पड़ताल हो रही है।- नेटवर्क का खुलासा:
एसओजी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन शामिल हैं।नौकरी पाने का गैर-कानूनी तरीका
राजस्थान में भर्ती घोटाले का यह मामला यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग फर्जी डिग्री और डमी कैंडिडेट का सहारा लेकर सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेते हैं। यह न केवल परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करता है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों का हक भी छीनता है। ऐसे फर्जीवाड़े समाज और शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं। फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाले लोग अपने काम में योग्य नहीं होते, जिससे सेवा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है।