शोभना शर्मा। राजस्थान के प्रसिद्ध त्योहारों में से खास गणगौर का पर्व होता है जिसकी व्रत और पूजा चैत्र नवरात्रि की तृतीया को सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए करती है । “गणगौर” शब्द में गण का अर्थ शिव और गौर का अर्थ देवी पार्वती से है।
गणगौर तीज सौभाग्य तृतीया
गणगौर तीज को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत और पूजा करती हैं साथ ही इससे पति-पत्नी के बीच का प्रेम बना रहता है लेकिन यह व्रत पति को बिना बताए किया जाता है। इतना ही नहीं इस व्रत को अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे वर्ग की प्राप्ति के लिए करती हैं। गणगौर की पूजा में कथा का विशेष महत्व माना गया है बिना कथा के इस पूजा को अधूरा माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार गणगौर
गणगौर की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय अक्षय चैत्र की तृतीया के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती एक गांव पहुंचे उनके आने की सूचना मिलते ही उच्च वर्ग की महिलाएं तरह-तरह की व्यंजन और पकवान बनाने लगी और निचली जाति की महिलाओं ने फूल जल और अक्षत से शिव शक्ति की पूजा की। उनकी सभी की पूजा से प्रसन्न होकर देवी पार्वती ने उन्हें सौभाग्यवती होने का और वैवाहिक आनंद का आशीर्वाद दिया।
राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों में भी होती है गणगौर की पूजा
2024 में गणगौर का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में सभी त्योहारों मैं पूजा पाठ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है । 2024 मैं गणगौर का त्यौहार 11 अप्रैल को मनाया जाने वाला है। चैत्र माह की तृतीय 10 अप्रैल को शाम 5:30 से प्रारंभ होकर 11 अप्रैल को दोपहर 3:00 बजे तक रहेगी। गणगौर की पूजा के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त सूर्योदय प्रातः 6:29 से 8:24 तक का रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12:04 से 12:52 तक का रहेगा।