राजस्थान के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने राजकॉम्प के जनरल मैनेजर (तकनीकी) छत्रपाल सिंह की गिरफ्तारी ने सबको चौंका दिया है। 27 साल की सरकारी नौकरी में 1.49 करोड़ रुपए सैलरी लेने वाले छत्रपाल के पास से ACB को करोड़ों की काली कमाई के सबूत मिले हैं। उनकी इस काली कमाई से खरीदी गई संपत्तियां और लग्जरी लाइफस्टाइल ने जांच अधिकारियों को हैरान कर दिया है। साथ ही, फर्जी आधार कार्ड और कई छल-कपटों का भी खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में छत्रपाल सिंह की लग्जरी जिंदगी और उनकी काली कमाई के रहस्यों को विस्तार से जानिए।
फर्जी आधार कार्ड से छिपाई संपत्तियां: ACB की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा
छत्रपाल सिंह ने अपनी काली कमाई को छिपाने के लिए कई तरीके अपनाए। उनमें से एक प्रमुख तरीका था फर्जी आधार कार्ड बनवाना। ACB ने जब छत्रपाल की 25 लाख की BMW बाइक की जांच की, तो उसमें छत्रपाल के फर्जी आधार कार्ड का खुलासा हुआ। इस आधार कार्ड के जरिए उसने खुद को हिमाचल प्रदेश का निवासी दिखाया, जबकि असल में वह राजस्थान के हनुमानगढ़ का रहने वाला है। ACB की जांच में यह पता चला कि छत्रपाल ने यह फर्जी आधार कार्ड कांगड़ा जिले के नूरपुर ट्रांसपोर्ट कार्यालय में दिया था। यह सबकुछ संपत्ति छिपाने और RTO टैक्स बचाने के लिए किया गया।
ACB अब हिमाचल प्रदेश सरकार को इस फर्जी आधार कार्ड मामले पर जांच के लिए पत्र भेजने की तैयारी कर रही है। यह एक बड़ा मामला है, जिसमें छत्रपाल ने सरकारी नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया है।
करोड़ों की संपत्तियां: दूसरी पत्नी के नाम करोड़ों के फ्लैट
छत्रपाल सिंह ने अपनी काली कमाई से न केवल खुद के नाम पर, बल्कि अपनी दूसरी पत्नी अंजू शर्मा के नाम पर भी करोड़ों की संपत्ति खड़ी की। ACB की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्रपाल ने अपनी शादी से ठीक पहले, फरवरी 2022 में अजमेर रोड पर अंजू के नाम पर दो सुपर लग्जरी फ्लैट खरीदे। इन फ्लैट्स की कुल कीमत करीब 1.40 करोड़ रुपए बताई गई है। इसके अलावा, उसी बिल्डिंग में छत्रपाल ने अपने नाम पर भी एक फ्लैट खरीदा, जिसकी कीमत 87.74 लाख रुपए बताई गई है। हालांकि, इन संपत्तियों की वास्तविक बाजार कीमत लगभग 3.5 करोड़ रुपए आंकी जा रही है।
अंजू शर्मा का नाम ‘हैपी हार्ट फाउंडेशन’ नामक NGO से भी जुड़ा है, जो जयपुर के पॉश इलाके में स्थित है। ACB की नजर NGO के लेन-देन और अंजू शर्मा के खातों पर है, जिसमें अवैध लेन-देन के संकेत मिले हैं।
काले धन की घिनौनी जड़ों तक पहुंची ACB: पत्नी और साले पर भी जांच की आंच
ACB की जांच से यह पता चला है कि छत्रपाल सिंह के परिवार के सदस्यों, विशेषकर उसकी दूसरी पत्नी अंजू शर्मा और उसके भाई उमेश शर्मा पर भी काले धन के संदेह गहराते जा रहे हैं। उमेश की फर्म ‘ला-टेक सॉल्यूशन’ गाजियाबाद में चल रही है, और उसके पते पर छत्रपाल के फ्लैट का पता दिया गया है। ACB को शक है कि इस फर्म के जरिए छत्रपाल के काले धन को सफेद किया जा रहा है।
अंजू के खातों में भी बड़ी रकम ट्रांसफर हुई है। ACB की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में एक महीने के भीतर अंजू शर्मा के खाते में 40 लाख रुपए यूपी से भेजे गए, जिसके बाद खाता बंद कर दिया गया। ये सारे ट्रांजेक्शन संदिग्ध मानकर ACB जांच कर रही है।
छत्रपाल सिंह की लग्जरी लाइफ: BMW, पोर्श और विदेश यात्राएं
छत्रपाल सिंह की लग्जरी लाइफ ACB की जांच में खुलकर सामने आई है। ACB के छापों में 25 लाख की BMW बाइक के अलावा पोर्श-डिफेंडर, जगुआर जैसी लग्जरी कारें भी मिली हैं। ACB अब इन वाहनों के रजिस्ट्रेशन की जांच कर रही है। इसके अलावा, छत्रपाल ने अपने सेवा काल के दौरान कई विदेश यात्राएं भी की हैं, जिनकी जानकारी ACB ने पासपोर्ट डिपार्टमेंट से मांगी है। ACB की नजर अब इन यात्राओं से जुड़े खर्चों और लेन-देन पर भी है।
सरकारी अधिकारी से करोड़पति बनने की कहानी
एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाला छत्रपाल सिंह जब सरकारी नौकरी में आया, तब उसके पास कुछ खास नहीं था। 1997 में सरकारी अधिकारी के रूप में उसकी नियुक्ति हुई और इसके बाद उसके रहन-सहन में बड़ा बदलाव आया। उसकी आमदनी के मुकाबले उसका रहन-सहन और संपत्ति अचानक कई गुना बढ़ गई।
ACB की रिपोर्ट में बताया गया है कि छत्रपाल ने जयपुर सहित अन्य शहरों में खुद के, अपनी मां और अपनी पत्नियों के नाम पर कई संपत्तियां खरीदीं, जिनकी जानकारी उसने अपने विभाग को नहीं दी। ये सारी संपत्तियां उसने अवैध रूप से अर्जित धन से खरीदीं और सरकार से छिपाई।
ACB की रिपोर्ट: करोड़ों की काली कमाई और फर्जी दस्तावेजों का खेल
ACB ने छत्रपाल सिंह के खिलाफ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें उसके अवैध लेन-देन, संपत्तियों और फर्जी दस्तावेजों का पूरा विवरण है। इस रिपोर्ट के अनुसार, छत्रपाल ने अपने पद का दुरुपयोग करके करोड़ों की संपत्तियां खड़ी कीं, जिनकी जानकारी न तो अपने विभाग को दी और न ही सरकार को। इसके अलावा, उसने अपनी काली कमाई को छिपाने के लिए फर्जी आधार कार्ड, फर्जी पते और अन्य दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया।
छत्रपाल सिंह की अंधाधुंध काली कमाई का अंत
ACB की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्रपाल सिंह की संपत्तियां और उनका रहन-सहन उसकी वैध आय के स्रोतों से मेल नहीं खाता। एसीबी के छापे और जांच अब छत्रपाल सिंह के सारे काले खेल को उजागर करने की दिशा में हैं। आने वाले समय में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिससे राजस्थान की सरकारी नौकरी प्रणाली में फैले भ्रष्टाचार की जड़ें और गहराई से उजागर होंगी।